Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 224 सीटों पर मतदान जारी, जानें चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी बातें
Karnataka Elections: स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने पूरी तैयारी की है. आइए जानते हैं चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी बातें..
Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी बुधवार (10 मई) को मतदान जारी है. सभी पार्टियां पिछले दो महीने से राज्य में सत्ता में आने के लिए सभी प्रकार के दांव-पेंच आजमा रही है. पार्टियां अपने-अपने पाले में जनता को करने की पूरी कोशिश कर रही थी. अब जब आज इवीएम में प्रत्याशियों की किस्मत बंद हो जाएगी तो इससे पहले आइए जानते हैं चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी बातें.
कर्नाटक चुनाव की 10 बड़ी बातें
1.कर्नाटक के 224 विधानसभा सीटों के लिए होने जा रहे इस चुनाव में कुल 2,615 उम्मीदवारों की टक्कर देखना काफी दिलचस्प होगा. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले कुछ आंकड़े जान लीजिए. कर्नाटक में कुल मतदान केंद्र 58,545 हैं, जिनमें कुल 5,31,33,054 मतदाता अपने मत का इस्तेमाल करेंगे. कर्नाटक में इस बार 2,67,28,053 पुरुष मतदाता, 2,64,00,074 महिला मतदाता और 11,71,558 युवा मतदाता शामिल हैं, जबकि 5,71,281 दिव्यांग और 12,15,920 मतदाता 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं.
कुल 2,615 उम्मीदवार मैदान में हैं. उम्मीदवारों में 2,430 पुरुष, 184 महिलाएं और एक उम्मीदवार अन्य लिंग से हैं.
2.राज्य में चुनाव के लिए मैदान में उतरे सभी पार्टियों में BJP और कांग्रेस के बीच मुख्य लड़ाई देखने को मिल रही है. वहीं राज्य की एक मात्र बड़ी पार्टी में शुमार जेडी(एस) भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी. राज्य में हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का रिवाज तोड़ने और बीजेपी को सत्ता में बरकरार रखने के लिए पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा समेत कई दिग्गजों ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं. अकेले पीएम मोदी ने करीब डेढ़ दर्जन जनसभाएं की हैं.
वहीं कांग्रेस भी मुख्य विपक्षी दल की मजबूत भूमिका निभाने में कोई कसर नही छोड़ी है, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा ने धुंआधार प्रचार किया. यह चुनाव राहुल गांधी के साथ खरगे के लिए भी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर बड़ी परीक्षा है क्योंकि वे कर्नाटक से ही आते हैं. वहीं जेडी(एस) फिर से किंगमेकर बने रहने की कोशिश में है.
3. ओल्ड मैसूर रीजन और कई सीटों पर JDS भी 2008 से टक्कर में रहते आया है, ओल्ड मैसूर क्षेत्र में बीजेपी अभी तक कमज़ोर रही है. यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और जेडीएस के बीच है. इस क्षेत्र में वोक्कालिगा समुदाय का दबदबा ज्यादा है. जिसकी जनसंख्या ओल्ड मैसूर क्षेत्र की कुल 61 सीटों पर खास तौर पर रही हैं. वोक्कालिगा जेडीएस के ट्रेडिशनल वोटर्स रहे हैं इसलिए इस क्षेत्र में जेडीएस अच्छा प्रदर्शन करती है. इस क्षेत्र में कुल 10 जिले आते हैं. मांड्या, मैसूर, चिक्काबल्लापुर, चामराजनगर, हासन, तुमकुर, बेंगलुरु रूरल, रामनगर, कोलार, कोडागु. वोक्कालिगा जेडीएस के साथ हैं यही कारण है कि कांग्रेस यहां अपने “AHINDA” (अल्पसंख्यक, हिन्दू (ओबीसी) और दलित) फॉर्मूला पर निर्भर है. वहीं बीजेपी भी यहां पर जीतने की कोशिश में रहेगी.
4. मुस्लिम बहुल सीटों में AIMIM, SDPI भी मैदान में उतर कर कर्नाटक चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. AIMIM फिलहाल SDPI, KRPP, AAP जैसे कई अन्य छोटे दलों के उस गुट में शामिल है, जिन्होंने इस बार चुनाव लड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस विधायक ने माना कि छोटी पार्टियां तकरीबन 50 सीटों पर वोटों को बंटवा सकती हैं. जो खास तौर पर कांग्रेस और जेडी(एस) के लिए संकट बन सकती हैं.
5. BJP के लिए दक्षिण में इकलौती सरकार बचाने की चुनौती रहेगी. दक्षिण भारत में दक्षिण के छह राज्य- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना आते हैं. इन 6 राज्यों में से सिर्फ कर्नाटक में ही बीजेपी की अपने बूते पर सरकार में है. 2014 के बाद से बीजेपी ने देश के अधिकतर राज्यों में या तो अकेले अपने दम पर सरकार बनाई या फिर एनडीए गठबंधन की सरकारें बनीं. लेकिन दक्षिण भारत का दुर्ग जीतने में बीजेपी को अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है. बीजेपी अभी तक कभी कर्नाटक में अपनी बूते सत्ता पर काबिज नही हो सकी है. दक्षिण भारत में बीजेपी को आज भी उत्तर भारत की पार्टी माना जाता है. बीजेपी के सामने नॉर्थ इंडियन पार्टी होने का टैग हटाना मुश्किल है.
6. कांग्रेस के लिए दक्षिण में इकलौती सरकार बनाने की चुनौती पर खड़े उतरा आसान नही. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान की सधी शुरुआत की लेकिन फिर उसने मुस्लिम आरक्षण को बहाल करने और बजरंग दल पर बैन लगाने समेत कई वादे कर बीजेपी को पलटवार मौका दे दिया. कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी प्रचार को धार दिया. वहीं पार्टी बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी के मुद्दे पर जनता को आकर्षित करने की सभी प्रयास कर अब नतिजे पर नजर जमाई हुई है.
7. 2024 से पहले दक्षिण में राष्ट्रीय दलों की सबसे बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है, वहीं कर्नाटक चुनाव को लोकसभा के पहले एक सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है जो राजनीति परिवेश को तौर पर बहुत अहम है. बीजेपी अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान, पार्टी ने चुनावी जीत के उच्च स्तर और कुछ प्रमुख सहयोगियों को खोने और हिमाचल प्रदेश में हार के बाद अब, बड़ी चुनौती कर्नाटक में सरकार बनाए रखने की है. कांग्रेस के लिए इस चुनाव में काफी कुछ दांव पर लगा है, भारत जोड़ों यात्रा के साथ राहुल गांधी का यह सफर पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है. वहीं जेडी(एस) भी अपनी साख बचाना चाहता है.
8. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का गृह राज्य है जिसको लेकर पार्टी को संभालने का बड़ा दबाव उनपर है.कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने अपने गृह में पार्टी को जीत दिलाने की चुनौती है. अगर कांग्रेस को इस चुनाव में हार मिलती है तो उनके नेतृत्व के बारे में कई सवाल उठेंगे.
9. कर्नाटक में 1985 के बाद कोई भी राजनीतिक दल लगातार दूसरी बार जीत दर्ज नहीं कर सका है. 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में जनता पार्टी दोबारा चुनाव जीतकर सत्ता में आई थी. इस बार बीजेपी 38 साल पुराने इस इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश कर रही है. तो वहीं कांग्रेस इसे अपने पाले में लाने की सोच रखती होगी.
10. 10 पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनाव मैदान में है. कर्नाटक के रणक्षेत्र में कई ऐसे चेहरे हैं जो पूर्व सीएम के बेटे के तौर पर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं. कुल मिलाकर ये है कि कर्नाटक का चुनावी दंगल काफी दिलचस्प रहने वाला है. जहां एक तरफ बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी करने की कोशिश है तो वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस राज्य में सत्ता में आने के लिए संघर्ष कर रही है. जेडीएस भी सत्ता में वापसी चाहती है. ये त्रिकोणीय मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है.
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