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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Karnataka Election 2023: जगदीश शेट्टार के कांग्रेस जॉइन करने से BJP को क्या नुकसान हो सकता है? यहां जानें

Jagadish Shettar: शेट्टार ने करीब 5 दशक तक बीजेपी में सेवा दी. टिकट ना मिलने से नाराज शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. शेट्टार लिंगायत समुदाय के बड़े नेता हैं. लगभग 25 सीटों पर उनका प्रभाव है.

Jagadish Shettar: कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को झटके पे झटके मिल रहे हैं. पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी के बाद अब पूर्व सीएम और छह बार के विधायक रहे जगदीश शेट्टार ने भी बीजेपी साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. शेट्टार ने करीब 5 दशक तक पार्टी में अपनी सेवा दी. इस बार के चुनाव में टिकट ना मिलने से नाराज शेट्टार ने सोमवार को पार्टी ऑफिस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. शेट्टार ने बेंगलुरु में रविवार की रात रणदीप सिंह सुरजेवाला, सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार से मुलाकात की थी और इसके बाद ये फैसला लिया. जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय के बड़े नेता हैं और राज्य की लगभग 25 सीटों पर उनका प्रभाव है. ऐसे में आइये जानते हैं कि जगदीश शेट्टार के कांग्रेस में शामिल होने से बीजेपी को क्या नुकसान हो सकता है?

शेट्टार ने कही थी ये बातें
कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने उम्मीदवारों की दो सूची जारी कर दी हैं. इन दोनों सूचियों में जगदीश शेट्टार का नाम नदारद था, सूची में नये चेहरों और युवाओं को टिकट दिया है. टिकट से वंचित होने पर शेट्टार ने नाराजगी जताई और पार्टी हाईकमान से इसकी वजह पूछी थी. शेट्टार ने कहा था कि 'मैं छह बार चुनाव जीता हूं, मेरा करियर बेदाग और साफ-सुथरा है. ऐसे में मुझे टिकट क्यों नहीं दिया जा रहा है?' इसके बाद शेट्टार ने कहा था कि 'मैंने विधानसभा से इस्तीफा देने का निर्णय किया है. मुझे सिरसी में मौजूद स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी से मुलाकात करनी है. मैं भारी मन से इस्तीफा दे रहा हूं. मैंने ही इस पार्टी को बनाया है, उसे खड़ा किया है. लेकिन, पार्टी के कुछ नेताओं ने मुझे इस्तीफा देने की स्थिति पैदा की है.

शेट्टार ने कहा था कि 'पार्टी के नेता अभी तक मुझे समझ नहीं पाए हैं. उन्होंने मुझे जिस तरह से अपमानित किया और नजरअंदाज किया, उससे मैं काफी परेशान हूं. मुझे लगा कि अब शांत नहीं बैठना है और उन्हें चुनौती देनी है. मेरे खिलाफ एक साजिश रची गई थी. मेरा स्वभाव कभी भी सख्त नहीं था. लेकिन, पार्टी ने मुझे ऐसा बनने के लिए मजबूर किया'. 

बीजेपी को क्या होगा नुकसान?
1. इस बार के चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा और केएस ईश्वरप्पा मैदान में नहीं है. वहीं, कर्नाटक में बीजेपी को मजबूत करने वाले शेट्टार ही थे, जिन्होंने टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी है. शेट्टार के इस कदम से बीजेपी को खासकर हुबली-धारवाड़ क्षेत्र में भारी नुकसान हो सकता है. लेकिन, बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, हुबली-धारवाड़ सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है, इसलिए कांग्रेस से इस सीट के लिए चुनाव लड़ रहे शेट्टार को जीतना आसान नहीं होगा.

2. दक्षिण-मुंबई कर्नाटक क्षेत्र से आने वाले जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, पहले नंबर पर येदियुरप्पा हैं. बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ दक्षिण-मुंबई कर्नाटक क्षेत्र है, यहां से कांग्रेस काफी कमजोर थी. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लिंगायत समुदाय के लोग रहते हैं. बताया जा रहा है कि लिंगायत समुदाय के लोग पहले ही बीजेपी से नाराज हैं. ऐसे में शेट्टार का कांग्रेस में जाना बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है. वहीं, कांग्रेस को उम्मीद है कि उत्तर कर्नाटक से प्रमुख लिंगायत होने के नाते शेट्टार समुदाय के ज्यादतर वोटों को पार्टी में लाने में सफल होंगे.

3. जगदीश शेट्टार का राजनीतिक जीवन एकदम बेदाग है. राज्य की सियासत में इतनी लंबी पारी खेलने के बावजूद उन पर भ्रष्टाचार के एक भी आरोप नहीं लगे हैं, जोकि बहुत बड़ी बात है. वहीं, वर्तमान में बसवराज बोम्मई की सरकार भ्रष्टाचार, घोटालों और 40 फीसदी कमीशन वाली सरकार के आरोपों का सामना कर रही है. इन्हीं आरोपों के चलते बीजेपी के कई नेताओं ने अपना पद तक छोड़ दिया है. ऐसे में शेट्टार की साफ-सुथरी इमेज से कांग्रेस को काफी फायदा हो सकता है.

4. जगदीश शेट्टार को विरासत में ये सियासत मिली है. शेट्टार के पिता का नाम एसएस शेट्टार था, जो हुबली-धारवाड़ नगर निगम में 5 बार पार्षद रहे थे. इसके अलावा, वह मेयर भी थे. शेट्टार के भाई एमएलसी और उनके चाचा सदाशिव शेट्टार जनसंघ से साल 1967 में हुबली से विधायक थे. राजनीति में कदम रखने से पहले करीब 20 साल तक जगदीश शेट्टार ने वकालत की थी, वो लॉ ग्रेजुएट थे. राजनीति में आते ही उन्होंने बसवराज बोम्मई को हराया था, जो जनता दल के प्रत्याशी थे.

5. जगदीश शेट्टार ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरुआत की. साल 1994 में वह हुबली ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी विधायक बने थे. साल 1999 में लिंगायत शिवप्पा को दौड़ से बाहर करते हुए नेता प्रतिपक्ष बने. साल 2004 बीजेपी अध्यक्ष की रेस में ओबीसी बंगारप्पा को बाहर का रास्ता दिखाया. शेट्टार ने विधानसभा अध्यक्ष (2008-2009), बीजेपी मंत्री (2009-2012), सीएम (2012-2013) और विपक्ष के नेता (2014-2018) के तौर पर काम किया था. साल 2012 में लिंगायत वोटबैंक बनाये रखने के लिए बीजेपी ने इन्हें सीएम बना दिया. हुबली ग्रामीण (हुबली धारवाड़ मध्य) से 6 बार के विधायक शेट्टार, इस चुनाव में 7वीं बार लड़ने जा रहे हैं.

6. हुबली-धारवाड़ क्षेत्र में शेट्टार परिवार की मजबूत पकड़ है. पिछले दिनों इसी कारण से शेट्टार ने बीजेपी से कहा था कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया जाता है तो इसका असर राज्य के अलावा उत्तर कर्नाटक की 20 से 25 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा. सीएम बसवराज बोम्मई के मुताबिक, शेट्टार की नाराजगी जानने के बाद अमित शाह ने उन्हें फोन किया और उनको विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद राज्यसभा सदस्य बनाने और केंद्रीय कैबिनेट में लाने की पेशकश की थी. लेकिन, शेट्टार ने इसे ठुकरा दिया था.

बीजेपी के साथ विश्वासघात
जगदीश शेट्टार के कांग्रेस में शामिल होने और बीजेपी पर लगाए आरोपों का जवाब देने की तैयारी पार्टी कर रही है. येदियुरप्पा को शेट्टार जैसे दिग्गज नेताओं को टिकट न देने के आलाकमान के फैसले का बचाव किया है. साथ ही, पार्टी छोड़ने के उनके फैसलों की निंदा करने के लिए एक मसौदा तैयार किया. पार्टी ने नेताओं के फैसले को बीजेपी के साथ विश्वासघात करार दिया है. शेट्टार को टिकट ने देने के सवाल पर बसवराज बोम्मई ने कहा था कि बीजेपी ने परिवर्तन की नीति अपनाई है.

शेट्टार को टिकट देने से जोशी और बोम्मई ने रोका
बीजेपी सूत्रों की मानें तो जगदीश शेट्टार को टिकट देने के पक्ष में प्रह्लाद जोशी और बसवराज बोम्मई नहीं थे. उन्होंने कहा कि अब नई पीढ़ी को मौका देने का समय आ गया है. इसी के साथ शेट्टार को टिकट देने से रोक दिया गया. दरअसल, जोशी और बोम्मई दोनों ही सीएम पद के प्रबल दावेदार हैं. वहीं, येदियुरप्पा के संन्यास लेने के बाद से शेट्टार सबसे बड़े लिंगायत नेता हो जाते और सीएम की रेस में सबसे आगे होते. इसी वजह से दोनों ने उन्हें इस दौड़ से दूर रखा था.

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