Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अभी से तैयारी में जुट गए हैं. इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि गुजरात की तरह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यहां भी विधानसभा चुनाव लड़ रही है. राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 80 पर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है.
आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार को 80 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की. इसमें सबसे चौंकाने वाली बात ये हैं कि इस लिस्ट में AAP के कर्नाटक राज्य संयोजक पृथ्वी रेड्डी शामिल नहीं हैं.
कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में आम आदमी पार्टी ने वकील, नौकरशाह और एक कन्नड़ सिने अभिनेता को टिकट दिया है.
इसके अलावा उम्मीदवारों की सूची में शांतला दामले और मोहन दसारी जैसे तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं, जिन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए 2013 और 2019 में चुनाव लड़ा था.
पार्टी ने पहली लिस्ट में युवाओं को दिया टिकट
सूची में शामिल 80 नामों में से, आप का दावा है कि उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक युवा उम्मीदवार हैं जो 45 वर्ष से कम आयु के हैं. इतना ही नहीं पार्टी का दावा है कि इनमें से कम से कम 7 किसान हैं और पहली सूची में 7 महिलाओं को टिकट दिया गया है.
आम आदमी पार्टी के कर्नाटक चुनाव लड़ने के क्या हैं मायने
पहले दिल्ली में सरकार, फिर पंजाब में सत्ता और उसके बाद गुजरात-हिमाचल विधानसभा चुनाव लड़कर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने वाली आम आदमी पार्टी लगातार देश में पार्टी के विस्तार पर ध्यान दे रही है. इसी के मद्देनज़र पार्टी अब कर्नाटक में चुनाव लड़कर कांग्रेस बीजेपी का खेल बिगाड़ने की कोशिश करेगी.
‘आप’ के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. संदीप पाठक ने हाल में ही कहा था कि उनकी पार्टी कर्नाटक के बाद, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी.
दिल्ली, पंजाब, गुजरात, गोवा हर जगह पार्टी की मौजूदगी
जहां आम आदमी पार्टी दिल्ली में सरकार बनाकर बैठी है तो वहीं पंजाब में भी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. AAP ने पंजाब में 117 में से 92 सीटों पर जीत दर्ज की है. अब बात करें गोवा विधानसभा चुनाव की तो यहां भी अरविंद केजरीवाल की पार्टी के नेताओं का दो सीटों पर कब्जा है. वहीं हाल ही में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की और करीब 14 फीसदी वोट हासिल किए हैं. गुजरात पीएम मोदी और अमित शाह का गढ़ है. ऐसे में आम आदमी पार्टी ने वहां पांच सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी बड़ी मजबूती से दर्ज की है.
AAP कांग्रेस और बीजेपी के लिए कर्नाटक में बड़ी चिंता
वर्तमान में अरविंद केजरीवाल की पार्टी के पास पूरे देश में 161 विधायक हैं, जिसमें 62 विधायक दिल्ली, 92 विधायक पंजाब, 2 विधायक गोवा, 5 विधायक गुजरात में हैं. इसके अलावा 10 राज्यसभा सदस्य भी हैं. इतना ही नहीं अब दिल्ली नगर निगम में भी AAP की सरकार बन चुकी है. एमसीडी में AAP ने 250 में से 134 वार्डों में जीत हासिल की है.
ये एक ऐसी पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धी है जिसने अपने गठन के महज 10 के अंदर एक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया है. पिछली कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. पार्टी को स्पष्ट बहुमत तो नहीं था, लेकिन 104 सीटों पर जीत जरूर मिली थी. हालांकि राज्य में सरकार पहले कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन करके बना ली, लेकिन बाद में दोनों पार्टियों के कई विधायकों ने पाला बदल लिया. इन विधायकों की मदद से बीजेपी ने सरकार बनाई.
इस बार बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. एंटी इनकम्बेंसी के अलावा कर्नाटक के दो प्रभावशाली समुदाय लिंगायत और वोक्कालिगा इस वक्त आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर बीजेपी से नाराज हैं. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सरकार के ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से भी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वहीं, इस बार बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि उसके पास नेतृत्व की कमी है. येदियुरप्पा के बाद अब पार्टी में कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जिसके नाम पर पूरी पार्टी एकजुट हो सके.
अब अगर बात कांग्रेस की करें तो उसका हाल भी कुछ ज्यादा अच्छा नहीं है. फिलहाल पूरे देश में कांग्रेस अपने बलबूते सिर्फ तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार चला रही है. हिमाचल में अभी -अभी सत्ता मिली है, तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस साल नवंबर-दिसंबर के बीच चुनाव होने की संभावना है. 2024 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस के सामने देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी खोई सियासी जमीन पाने की बड़ी चुनौती है. इस चुनौती से निपटने के नजरिए से कर्नाटक की सत्ता पर काबिज होना कांग्रेस के लिए फायदेमंद और बूस्टर साबित हो सकता है. इससे देशभर में कांग्रेस के सुस्त पड़े कार्यकर्ताओं के बीच सकारात्मक संदेश भी जाएगा. खुद राहुल गांधी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह कर्नाटक कांग्रेस जीत जाए.
बीजेपी और कांग्रेस के सामने जो चुनौती है उसको आम आदमी पार्टी और बढ़ा सकती है. पार्टी राज्य में खुद को एक नए विकल्प के तौर पर पेश कर चुनाव लड़ेगी. इतना ही नहीं केजरीवाल का दिल्ली मॉडल भी जनता को लुभा सकता है. सबसे जरूरी बात ये है कि हाल के चुनाव में जिस तरह से AAP ने अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है उसे देखते हुए अंदरखाने में दोनों पार्टियां जरूर इस बात से चिंतित होगी कि कहीं एक बार फिर राज्य चुनाव में AAP उनकी वोट बैंक में सेंध न लगा दे.