BJP on Karnataka Elections: कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनाव का सिर्फ एक महीना बाकी है. राज्य की सत्ता पर दोबारा पाने के लिए बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. वोट साधने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी भी कई बार कर्नाटक का दौरा कर चुके हैं. वहीं, कांग्रेस और जेडीएस का मकसद बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है और खुद की सरकार बनाना है. इन सबके बीच, सत्ता में वापसी के साथ-साथ बीजेपी के सामने वोट शेयर बढ़ाने की भी टेंशन है.


एबीपी सीवोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक, कर्नाटक चुनाव में बीजेपी नहीं बल्कि कांग्रेस जीत रही है. अब ऐसे में क्या इस बार भी बीजेपी इतिहास दोहरा पाएगी? आइए जानते हैं क्या कहते हैं समीकरण?


वोट शेयर में कांग्रेस से पीछे बीजेपी


कर्नाटक की सत्ता में दो बार आ चुकी बीजेपी तीन बार राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. इसके बावजूद वोट शेयर के मामले में वो कांग्रेस से आगे नहीं हो पाई है. दक्षिण में कर्नाटक ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी को अपनी सरकार बनाने में सफलता मिली है.


कर्नाटक में साल 1999 से 2018 के बीच पांच विधानसभा चुनाव हुए हैं. इनमें बीजेपी का वोट शेयर 19.89% से 36% के बीच ही रहा है. वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 34.8% से 40.8% के बीच है. इससे साबित होता है कि कर्नाटक में वो मजबूत है और एक ऐसा वोट बैंक है, जिसे उस पर विश्वास है.


शुरुआत से ही त्रिकोणीय मुकाबला


साल 1999 से लेकर 2023 तक के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रहा है. इन चुनावों में जेडीएस ने कई बार किंगमेकर की भूमिका निभाई है. एक जमाने से ही इन्हीं तीनों पार्टियों के बीच वोटों का विभाजन होता आया है.


साल 2018 में के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 80 सीटें मिली थी. 39% वोट पाने के साथ कांग्रेस राज्य की दूसरे नंबर की पार्टी थी. बीजेपी को सबसे ज्यादा 104 सीटें मिली थीं. इसके बावजूद वो बहुमत हासिल करने में नाकामयाब रही थी. बीजेपी को 36.2% वोट मिले थे. वहीं, जेडीएस 37 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर थी और उसका वोट प्रतिशत 18.7% ही था.


बीजेपी का प्रदर्शन


साल 2008 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इसमें बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था और 110 सीटें जीती थी. उस वक्त बीजेपी का वोट शेयर 33.9% था. लेकिन, कांग्रेस ने इस चुनाव में 80 सीटें जीतीं थी और उसका वोट शेयर 34.8% रहा था, जो बीजेपी से ज्यादा था. साल 1999 के बाद बीजेपी ने साल 2003 में सबसे खराब प्रदर्शन किया था. इसमें बीजेपी के वोट शेयर में काफी गिरावट देखने को मिली थी और पार्टी का वोट शेयर 19.9% रह गया था. उस चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 40 सीटें ही मिली थी.


बीजेपी की निगाहें जेडीएस के वोट शेयर पर


वर्तमान विधानसभा चुनाव में जेडीएस के वोट शेयर पर बीजेपी की पैनी नजर हैं, जिसमें वो सेंध लगाने के प्रयास में जुटी है. साल 1999 में जनता दल से अलग होकर जेडीएस ने पहला चुनाव लड़ा था और 18 सीटें जीती थी. जेडीएस को 13.5% वोट शेयर प्राप्त हुआ था. हालांकि, इसके बाद जितने भी चुनाव हुए, सबमें जेडीएस का वोट शेयर 20% के ही इर्द-गिर्द रहा. कांग्रेस भी जेडीएस के वोट बैंक पर अपनी नजरें गड़ाए है. इस बार अकेले चुनाव लड़ रही जेडीएस की कोशिश अपने दम पर सरकार बनाने की है.


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