Karnataka Elections: कर्नाटक में सोमवार को थम जाएगा चुनाव प्रचार का शोर, 10 मई को होगा मतदान
Karnataka Election Campaign: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार (10 मई) को वोट डाले जाएंगे. जबकि मतों की गिणती 13 मई को होगी. राज्य में फिल्हाल बीजेपी की सरकार है.
Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक में 10 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए जोर-शोर से जारी प्रचार अभियान सोमवार (8 मई) शाम को खत्म हो जाएगा. राज्य के तीन प्रमुख राजनीतिक दलों- बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) और जेडीएस (JDS) ने वोटर्स को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इन पार्टियों के प्रमुख नेता पिछले कई दिनों से राज्य के विभिन्न हिस्सों का तूफानी दौरा कर रहे हैं.
बीजेपी सत्ता में क्रमिक रूप से बदलाव होने की 38 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने और दक्षिण भारत में अपने गढ़ को बचाने की कोशिश में जुटी है. बीजेपी के लिए पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, कर्नाटक के सीएम बोम्मई, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने ताबड़तोड़ रैलियां की हैं. दूसरी ओर बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने में जुटी कांग्रेस भी कड़ी मेहनत कर रही है और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है.
किस पार्टी ने किन मुद्दों को उठाया?
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी शक्ति झोंक दी. जेडीएस चुनावों में किंगमेकर नहीं, बल्कि विजेता बन कर उभरना चाहती है. बीजेपी का चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डबल इंजन की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और कार्यक्रमों या केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा है.
कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठा रही है और शुरूआत में इसके चुनाव प्रचार की बागडोर स्थानीय नेताओं के हाथों में थी. हालांकि, बाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे इसके शीर्ष नेता भी चुनाव प्रचार में शामिल हो गए. जेडीएस भी चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दे रही है. इसके नेता एचडी कुमारस्वामी के साथ-साथ देवेगौड़ा भी प्रचार कर रहे हैं.
बीजेपी ने रखा है 150 सीटें जीतने का टारगेट
बीजेपी को 2008 और 2018 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद राज्य में अपने बूते सरकार बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इस बार पार्टी स्पष्ट जनादेश की उम्मीद कर रही है. पार्टी ने 224 में से कम से कम 150 सीट पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी से सत्ता छीनना कांग्रेस के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा और ये इसकी चुनावी संभावनाओं में नई जान फूंकने में अहम भूमिका निभाएगा.
कांग्रेस दे रही कड़ा मुकाबला
कांग्रेस इस चुनाव में जीत हासिल कर साल के अंत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी की चुनावी मशीनरी का मुकाबला करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करना चाहती है. कांग्रेस की ओर से शुरूआत में चुनाव प्रचार प्रदेश के नेता सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के इर्द-गिर्द केंद्रित था, खरगे ने इसे गति दी और पार्टी के शीर्ष नेताओं राहुल व प्रियंका के इसमें शामिल होने से तैयारियों को मजबूती मिली.
मल्लिकार्जुन खरगे की बड़ी परीक्षा
चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में पहुंचने पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को हुब्बली में पार्टी की एक जनसभा को संबोधित किया. ये चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है, क्योंकि मल्लिकार्जुन खरगे राज्य के कलबुर्गी जिले के रहने वाले हैं. कांग्रेस पार्टी ने भी 150 सीट पर जीत का लक्ष्य रखा है.
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