नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी जीत का दमखम भर रही हैं. इस बीच क्षेत्रीय पार्टियां तीसरे मोर्चे के गठन में लगी हुई हैं. इस बाबत शुक्रवार को टीआरएस सुप्रीमो और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बेंगलुरू पहुंचे. राष्ट्रीय स्तर पर फेडरल फ्रंट गठित करने की शुरुआत कर देश में वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता जताते हुए केसीआर ने आज दोपहर दो बजे पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा से मुलाक़ात की.


केसीआर के साथ अभिनेता प्रकाश राज, सांसद विनोद, संतोष कुमार, सुभाष रेड्डी, प्रशांत रेड्डी भी मुलाक़ात में शामिल रहे. इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक परिवेश, फेडरल फ्रंट के गठन, लक्ष्य और भविष्य की कार्ययोजना आदि मुद्दों पर चर्चा की.


गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने में जुटे केसीआर 


बता दें कि गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने में जुटे केसीआर इन दिनों अलग-अलग क्षेत्रीय पार्टियों के अध्यक्षों से मिल रहे हैं. केसीआर ने हाल ही में कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी से भेंट की थी. बाद में झारखंड के पूर्व सीएम और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने हैदराबाद पहुंच कर केसीआर से मुलाकात की थी. अब कर्नाटक चुनाव के बीच केसीआर और देवेगौड़ा की यह भेंट को काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इसमें कोई दो राय नहीं कि कर्नाटक चुनाव को 2019 लोकसभा का सेमीफइनल के तौर पर देखा जा रहा है.


बीजेपी के लिए दक्षिण की राह मुश्किल होती दिख रही है


वर्तमान हालात पर नज़र डाले तो बीजेपी के लिए दक्षिण की राह मुश्किल होती दिख रही है. एक ओर कर्नाटक चुनाव में बीजेपी फ़िलहाल बैकफुट पर खड़ी है. कर्नाटक जहां फिलहाल कांग्रेस की सरकार है. एक के बाद एक चुनाव हार रही कांग्रेस के लिए कर्नाटक जीतना साख की लड़ाई बन चुकी है. वहीं बीजेपी के आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ गठबंधन टूट जाना, तमिलनडु में कावेरी मुद्दे को लेकर भड़का गुस्सा और तेलंगाना में भी कभी नरेंद्र मोदी के समर्थन में बोलने वाले केसीआर अब बीजेपी के खिलाफ हो गए है.


केरल में भी बीजेपी फिलहाल मजबूत नहीं है ऐसे में अगर कर्नाटक जीतना बीजेपी के लिए भी "करो या मरो" का मामला दिख रहा है. अगर कर्नाटक बीजेपी नहीं जीत पाती तो दक्षिण में बीजेपी के लिए कुछ नहीं बचेगा. दूसरी ओर क्षेत्रीय पार्टियों की नाराज़गी भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है.