Karnataka Assembly Election Result 2023: कर्नाटक में 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 135 सीटों पर शानदार जीत के बाद अब सभी के मन में सवाल है कि दक्षिण के इस प्रमुख राज्य का मुख्यमंत्री कौन बनेगा. फिलहाल, शीर्ष पद के लिए दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार सबसे आगे हैं और दोनों नेताओं ने दक्षिणी राज्य का नेतृत्व करने की अपनी महत्वाकांक्षा को छिपाया भी नहीं है.
कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) ने नेता चुनने के लिए रविवार (14 मई) को दिल्ली में एक बैठक की. इसमें सर्वसम्मति से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इसके लिए अधिकृत किया गया. जिसे नेता चुना जाएगा वही राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा.
जानें दोनों दावेदारों का स्वॉट विश्लेषण
स्वॉट विश्लेषण एक विधि है जिसमें शामिल व्यक्तियों की ताकत, कमजोरी, अवसरों और जोखिम का मूल्यांकन किया जाता है. मुख्यमंत्री पद के दोनों प्रमुख दावेदारों सिद्धरमैया और शिवकुमार की ‘ताकत, कमजोरी, अवसर और जोखिम’ (स्वॉट) का विश्लेषण कुछ इस प्रकार है :
सिद्धारमैया:
ताकत
- राज्य भर में व्यापक प्रभाव
- कांग्रेस विधायकों के एक बड़े वर्ग के बीच लोकप्रिय
- मुख्यमंत्री (2013-18) के रूप में सरकार चलाने का अनुभव.
- 13 बजट प्रस्तुत करने के अनुभव के साथ सक्षम प्रशासक.
- अहिंदा (अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कन्नड़ में संक्षिप्त नाम .. एएचआईएनडीए) पर पकड़.
- मुद्दों पर बीजेपी और जनता दल (सेक्युलर) को घेरने की ताकत. सबसे महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का मुकाबला करने की मजबूत क्षमता.
- राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. जाहिर तौर पर उन्हें उनका समर्थन प्राप्त है.
कमजोरी:
- सांगठनिक रूप में पार्टी के साथ इतना जुड़ाव नहीं है. उनके नेतृत्व में 2018 में कांग्रेस की सरकार की सत्ता में वापसी कराने में विफलता.
- अभी भी कांग्रेस के पुराने नेताओं के एक वर्ग द्वारा उन्हें बाहरी माना जाता है. वह पूर्व में जद (एस) में थे.
- आयु भी एक कारक हो सकता है. सिद्धरमैया 75 वर्ष के हैं.
अवसर:
- निर्णायक जनादेश के साथ सरकार चलाने के लिए हर किसी को साथ लेकर चलने और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को मजबूत करने की स्वीकार्यता, अपील और अनुभव.
- मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए बैठे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शिवकुमार के खिलाफ आयकर विभाग (आईटी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मामले दर्ज.
- आखिरी चुनाव और मुख्यमंत्री बनने का आखिरी मौका.
जोखिम :
- मल्लिकार्जुन खरगे, जी परमेश्वर जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को एकजुट करना, जो सिद्धरमैया के कारण मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे. बी के हरिप्रसाद, के एच मुनियप्पा भी उनके विरोधी माने जाते हैं.
- दलित मुख्यमंत्री की मांग.
- शिवकुमार की संगठनात्मक ताकत, पार्टी का ‘संकटमोचक’ होना, वफादार होने की छवि और गांधी परिवार, विशेष रूप से सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा के साथ निकटता.
शिवकुमार:
ताकत:
- मजबूत सांगठनिक क्षमता और चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका.
- पार्टी के प्रति वफादारी के लिए जाने जाते हैं.
- मुश्किल समय में उन्हें कांग्रेस का प्रमुख संकटमोचक माना जाता है.
- साधन संपन्न नेता.
- प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय, उसके प्रभावशाली संतों और नेताओं का समर्थन.
- गांधी परिवार से निकटता.
- आयु उनके पक्ष में, कोई कारक नहीं
- लंबा राजनीतिक अनुभव. उन्होंने विभिन्न विभागों को संभाला भी है.
कमजोरी
- आईटी, ईडी और सीबीआई में उनके खिलाफ मामले.
- तिहाड़ जेल में सजा.
- सिद्धारमैया की तुलना में कम जन अपील और अनुभव.
- कुल मिलाकर प्रभाव पुराने मैसुरू क्षेत्र तक सीमित हैं.
- अन्य समुदायों से ज्यादा समर्थन नहीं.
अवसर:
- पुराने मैसुरू क्षेत्र में कांग्रेस के वर्चस्व की मुख्य वजह उनका वोक्कालिगा समुदाय से होना है.
- कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री पद की स्वाभाविक पसंद. एस एम कृष्णा और वीरेंद्र पाटिल के मामले में भी ऐसा ही हुआ था.
- पार्टी के पुराने नेताओं का उन्हें समर्थन मिलने की संभावना.
जोखिम :
- सिद्धारमैया का अनुभव, वरिष्ठता और जन अपील.
- बड़ी संख्या में विधायकों के सिद्धरमैया का समर्थन करने की संभावना.
- केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दायर मामलों के कारण कानूनी बाधाएं.
- दलित या लिंगायत मुख्यमंत्री की मांग.राहुल गांधी का सिद्धरमैया को स्पष्ट समर्थन.
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