Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं द्वारा दिए गए बयान पर काफी विवाद खड़ा हो गया. कर्नाटक चुनाव में सियासी दलों ने एक-दूसरे पर जमकर निशाना तो साधा ही उसके साथ ही कुछ ऐसे बयान भी दिए जिस पर विवाद उत्पन्न हो गया. इसमें ज्यादातर बयान कांग्रेस और भाजपा के नेताओं द्वारा दिए गए. आलम यह था कि चुनाव आयोग को भी इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियां विवादास्पद बयान नहीं दें. इससे चुनाव का माहौल खराब होता है. आइए देखें क्या क्या कहा गया जो सुर्खियों में रहा


कहां से शुरू हुआ विवादित बयान का दौर


दरअसल, 28 अप्रैल 2023 को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए एक विवादित बयान दिया था. खरगे ने अपने बयान में प्रधानमंत्री की तुलना एक जहरीली सांप से कर दी थी. उन्होंने कहा था की प्रधानमंत्री जी जहरिली सांप की तरह हैं. उनके इस बयान पर सियासी घमासान मच गया था. बीजेपी ने खरगे के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्हें देश और प्रधानमंत्री से माफी मांगने की बात कही. भाजपा ने इस बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष को आड़े हाथों लेते हुए चुनाव आयोग से भी शिकायत की. हालांकि बाद में खरगे अपने बयान को लेकर माफी मांग ली थी.


इसके बाद कांग्रेस ने भी 27 अप्रैल को दिए गए अमित शाह के बयान को लेकर बीजेपी पर पलटवार किया. कांग्रेस ने गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान सांप्रदायिक और उकसाने वाले बयान को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और वो भी इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से दोनों के प्रचार करने पर बैन लगाने की मांग की. दरअसल कर्नाटक के बेलगावी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था कि 'अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो राज्य का विकास 'रिवर्स गियर' में होगा. उन्होंने आगे कहा था कि वंशवाद की राजनीति चरम पर होगी और कर्नाटक दंगों से पीड़ित होगा.' वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 30 अप्रैल को एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस और जेडी (एस) दोनों ही ने कर्नाटक को दंगों की आग में झोंका है. इस बयान पर ही कांग्रेस ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. 


इसके बाद कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र पर बवाल


कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस का प्रचार अच्छा चल रहा था. इसी बीच उसने अपना घोषणा पत्र जारी किया. जिसमें बजरंग दल को बैन करने की घोषणा का जिक्र था. इस पर भी जमकर राजनीति हुई. कांग्रेस के इस घोषणा पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंजरंग दल की तुलना बजरंग बली से कर दिया और कहा कि पहले प्रभु श्री राम को ताले में बंद रखा और अब कांग्रसे बजरंग बली को भी ताले में बंद कर देना चाहती है. इस पर कांग्रेस के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष ने वोटों के समीकरन और कांग्रेस को चौतरफा घिरता देख कहा कि-जब कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता में आएगी तो वह भारी संख्या में पूरे राज्य में बजरंग बली की मंदिर बनवाएगी. 


इसके बाद कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी का संप्रभुता वाला बयान विवादों के घेरे में आ गया है. दरअसल, पिछले हफ्ते कांग्रेस ने शुक्रवार को एक ट्वीट किया था. जिसमें सोनिया गांधी कर्नाटक में चुनाव प्रचार करती हुईं नजर आ रहीं थीं. इस ट्वीट में कांग्रेस ने कहा, 'सोनिया गांधी ने 6.5 करोड़ कन्नड़ वासियों को स्पष्ट संदेश दिया. कांग्रेस किसी को भी कर्नाटक की प्रतिष्ठा, संप्रभुता या अखंडता के लिए खतरा पैदा करने की अनुमति नहीं देगी.' सोनिया गांधी के इस बयान पर भाजपा ने आपत्ति जताते हुए चुनवा प्रचार के अंतिम दिन यानी सोमवार 07 मई को चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गई. बीजेपी ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करते हुए कहा कि ''कांग्रेस देश को बांटने का काम कर रही है''. बीजेपी के तरफ से शिकायतकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, बीजेपी के मीडिया इंचार्ज अनिल बलूनी और पार्टी नेता तरुण चुग शामिल थे.


पीएम मोदी ने सोनिया गांधी को लिया था आड़े हाथों 


वहीं, सोनिया गांधी के इसी बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी जनसभा के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधा था. पीएम मोदी ने कहा, था कि 'इस चुनाव में अब कांग्रेस के शाही परिवार ने कहा है कि वो कर्नाटक की संप्रभुता (sovereignty) की रक्षा करना चाहते हैं. जब कोई देश आजाद हो जाता है तो उसे संप्रभु राष्ट्र कहते हैं. इसका मतलब है कि कांग्रेस खुलकर कर्नाटक को भारत से अलग करने की वकालत कर रही है. टुकड़े-टुकड़े गैंग की बीमारी कांग्रेस में इतनी ऊपर तक पहुंच जाएगी, मैंने सोचा नहीं था''. प्रधानमंत्री ने आगे कहा था कि कांग्रेस, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले लाखों कन्नड़ स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रही है. कांग्रेस ने भाई-भाई बांट दिया. कांग्रेस ने राज्यों को आपस में लड़ाया. कांग्रेस ने देश में जाति और सांप्रदायिक आग भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी.'


कुल मिलाकर कहें तो कर्नाटक में रण में जमकर सियासी बयानबाजी हुई है. अब चूंकि चुनाव प्रचार थम गया है और 10 मई यानी कल बुधवार को मतदाता अपना अंतिम फैसला देंगे. 13 मई को यह देखना काफी दिलचस्प रहेगा कि कर्नाटक का रणक्षेत्र में कौन दंगल जीतता है.