Karnataka Election 2023: वरुणा, चन्नापटना और कनकपुरा में BJP-कांग्रेस के वीआईपी उम्मीदवारों के बीच कांटे का मुकाबला
Karnataka Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 निर्वाचन क्षेत्र हैं. ऐसे में हमारी नजरें उन सीटों पर ज्यादा हैं, जहां से कई दिग्गज नेता अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
Karnataka Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 निर्वाचन क्षेत्र हैं. ऐसे में हमारी नजरें उन सीटों पर ज्यादा हैं, जहां से कई दिग्गज नेता अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसी ही सीटों में वरुणा सीट, चन्नापटना विस क्षेत्र और कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र है.
इन तीनों विधानसभा क्षेत्र से कई दिग्गज नेता अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. हम तीनों सीटों के बारे में बारी-बारी से विस्तार से बात करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि ये क्यों महत्वपूर्ण हैं? क्या समीकरण है और कौन-कौन दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य दाव पर है?
वरुणा सीट पर कांग्रेस की अग्निपरीक्षा
सबसे पहली बात वरुणा सीट की बात करेंगे. यहां पर 2008 से कांग्रेस की मजबूत पकड़ है और इस साल के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. इससे पहले 2013 में सिद्धारमैया ने कर्नाटक जनता पक्ष के कापू सिद्धलिंगस्वामी को 29641 मतों के अंतर से हराया था और 2018 में कांग्रेस के यतींद्र एस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केटी बसवाराजू को हराकर यह सीट अपने नाम कर ली थी.
वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार वी श्रीनिवास प्रसाद ने चामराजनगर लोकसभा (एमपी) सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार आर ध्रुवनारायण को 1817 मतों के अंतर से हराया था.
वरुणा सीट कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है चूंकि इस सीट के चुनावी नतीजे काफी हद तक राज्य में कांग्रेस के भविष्य का निर्धारण करेंगे. इस सीट का परिणाम सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की लोकप्रियता और जन अपील से जुड़ी है. जो इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, आवास मंत्री वी. सोमन्ना भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला होगा.
चन्नापटना से जद (एस) प्रमुख की साख दाव पर
दूसरी महत्वपूर्ण सीट चन्नापटना है. यह बैंगलोर ग्रामीण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. इसमें आठ विधानसभा सीटें हैं. कर्नाटक के कई प्रमुख राजनेता चन्नापटना क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए हैं. मैसूर राज्य के पहले शिक्षा मंत्री एमवी वेंकटप्पा को इसी सीट से चुना गया था.
2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में, जेडी (एस) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार को 21,530 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी. यह सीट वर्तमान में जद (एस) प्रमुख और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पास है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एचएम रेवन्ना 30,208 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
इस बार के चुनाव में चन्नपट्टना सीट से जद (एस) प्रमुख एचडी कुमारस्वामी और पूर्व पर्यटन मंत्री सीपी योगेश्वर के बीच कांटें का मुकाबला है जोकि भाजपा का प्रतिनिधित्व करेंगे. एचडी कुमारस्वामी 2004 से चन्नपट्टना निर्वाचन क्षेत्र में अपराजेय रहे हैं. यह चुनाव उनके लिए एक प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है.
यहां इस बार का चुनावी दंगल इस बार और भी कठिन होने वाला है, क्योंकि योगेश्वर एक अभिनेता और निर्देशक के रूप में व्यापक लोकप्रियता वाले व्यक्ति हैं जिन्हें 'उत्तरा ध्रुवदिम दक्षिण द्रुवाकु', 'सैनिका' और 'बधरी' जैसी सफलताओं के लिए जाना जाता है. वह एक मजबूत वोक्कालिगा समुदाय के नेता भी हैं, जिसका नकारात्मक प्रभाव इस सीट पर पड़ सकता है.
कनकपुरा में कांग्रेस की है मजबूत पकड़
वहीं, अगर हम कनकपुरा में कांग्रेस की मजबूत पकड़ है. डीके शिवकुमार जिन्हें कि 'कनकपुरा रॉक' के नाम से भी जाना जाता है. इस निर्वाचन क्षेत्र से वे सात बार के विधायक हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने जद (एस) के उम्मीदवार को 79,909 मतों के अंतर से हराकर इस सीट पर अपनी जीती पक्की की थी. हालांकि, वक्त के साथ भाजपा भी यहां मजबूत हुई है.
भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर डीके शिवकुमार के विरुद्ध आर अशोक को मैदान में खड़ा किया है. वहीं, जद (एस) के बीआर रामचंद्र भी यहां से खड़े हैं. ऐसे में इस सीट पर लड़ाई देखना दिलचस्प होगा. लेकिन डीके शिवकुमार कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र में अपराजेय रहे हैं. ऐसे में यह चुनाव उनके लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई होने की संभावना है.
यह मुकाबला इसलिए भी देखने लायक होगा क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र में वोक्कालिगा समुदाय का अच्छा प्रतिनिधित्व है और आर अशोक और शिवकुमार दोनों ही उसी समुदाय के हैं. हालांकि, जद (एस) को भी समुदाय से मजबूत समर्थन प्राप्त है, और उनके उम्मीदवार बी नागराजू भी चौंका सकते हैं.
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