Karnataka CM Congress CLP Meeting: कर्नाटक में प्रचंड जीत के बाद कांग्रेस (Congress) में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मंथन हो रहा है. मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर चर्चा के लिए रविवार (14 मई) शाम को विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है. निवर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार हैं. इस बीच कर्नाटक में पोस्टर वॉर शुरू हो गया है. 


सिद्धारमैया और शिवकुमार के आवास पर उनके समर्थकों ने बैनर लगाए हैं जिसमें उन्हें कांग्रेस की जीत के लिए बधाई दी गई है और दोनों को अगला मुख्यमंत्री बताया गया है. पार्टी के सूत्रों के अनुसार, नव निर्वाचित विधायकों की राय ली जाएगी और उसके आधार पर उन्हें जरूरत पड़ने पर अपने नेता के लिए वोट करने को भी कहा जा सकता है. कांग्रेस महासचिव सुशील कुमार शिंदे, दीपक बाबरिया और जितेंद्र सिंह अलवर को कर्नाटक सीएलपी बैठक के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.  


कांग्रेस को मिली बड़ी जीत


कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के नतीजे 13 मई को घोषित किए गए थे. जिसमें कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल करते हुए 135 सीट जीतीं हैं. बीजेपी केवल 66 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के जनता दल (सेक्यूलर) ने 19 सीटें जीती हैं. आठ बार के विधायक शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा सार्वजनिक रूप से जाहिर की है. 


"हमारे बीच कोई मतभेद नहीं"


डीके शिवकुमार ने रविवार को न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि मेरे सिद्धारमैया के साथ मतभेद हैं, लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है. कई बार मैंने पार्टी के लिए त्याग किया है और सिद्धारमैया जी के साथ खड़ा हूं. मैंने सिद्धारमैया को सहयोग दिया है. शिवकुमार ने शनिवार को सिद्धारमैया के बेटे की एक टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. सिद्धारमैया के बेटे ने कहा था कि जनता चाहती है वे फिर से सीएम बनें. इस पर शिवकुमार ने कहा था कि ये हाईकमान तय करेगा. 


चुनाव में गुटबाजी को रखा था दूर


कांग्रेस ने खासतौर से सिद्धारमैया और शिवकुमार के खेमों के बीच गुटबाजी को दूर रखने की चुनौती के साथ चुनाव प्रचार अभियान में प्रवेश किया था. शिवकुमार को पार्टी के लिए संकटमोचक माना जाता है जबकि सिद्धारमैया का पूरे कर्नाटक में प्रभाव है. अगर सिद्धारमैया को विधायक दल का नेता चुना जाता है तो ये मुख्यमंत्री के तौर पर उनका दूसरा कार्यकाल होगा. वह 2013-18 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे. 


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