नई दिल्ली: देश लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है, जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग मार्च के पहले हफ्ते में तारीखों का एलान कर सकता है. राजनीतिक पार्टियां, दिग्गज नेता, पार्टी कार्यकर्ता और आम आदमी तक के जेहन में चुनाव को लेकर घमासान चल रहा है. सत्ताधारी पार्टी के सामने कुर्सी बचाने की चुनौती है तो वहीं विपक्ष सत्ता में वासपी की पूरी कोशिश में है.


आम चुनाव के दौरान चेहरा बनाम चेहरा की लड़ाई तो देखने को मिलेगी ही, इसके साथ ही हर राज्य के अपने अलग-अलग मुद्दे हैं. सभी राज्यों में विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार की कमियां गिनाने में लगे हैं. तो वहीं केंद्र सरकार राज्यों को दिए अपने सहयोग का भी जमकर प्रचार कर रही है. इस सब के बीच हम आपके लिए लेकर उन राज्यों के प्रमुख चुनावी मुद्दे लेकर आए जो हाल के दिनों में चर्चा में रहे.


मुद्दे जो 2019 में उत्तर प्रदेश का रुख तय करेंगे
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा सूबा है, यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं जो किसी भी राज्य से ज्यादा हैं. कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ होकर जाता है. उत्तर प्रदेश के सियासी रण पर पूरे देश की नजर रहती है. 2017 में उत्तर प्रदेश हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद लोगों की दिलचस्पी उत्तर प्रदेश को लेकर चरम है. आइए एक नजर डालते हैं यूपी के प्रमुख मुद्दों पर...


राम मंदिर: अगर ये कहा जाए कि देश और उत्तर प्रदेश की राजनीति इस वक्त राम मंदिर के इर्द गिर्द घूम रही है तो ज्यादती नहीं होगी. राम मंदिर का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार इस वक्त कठिन परीक्षा के दौर से गुजर रही है. एक ओर सुप्रीम कोर्ट में लगातार टलती सुनवाई है तो वहीं दूसरी ओर संत समाज, आरएसएस, वीएचपी और अन्य संगठनों की राम मंदिर पर अध्यादेश को लेकर बढ़ती मांग है. प्रधानमंत्री कह चुके हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही सरकार अध्यादेश पर विचार करेगी. आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेता जब वोट मांगने जाएंगे तो उन्हें राम मंदिर की तारीख के सवाल का सामना जरूर करना पड़ेगा.


10% सवर्ण आरक्षण: मोदी सरकार ने चुनाव से महज तीन महीने पहले गरीब सवर्ण आरक्षण का मास्टर स्ट्रोक खेला. उत्तर प्रदेश में कल ही कैबिनेट इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी. ऐसा माना जा रहा है कि एससी-एसटी एक्ट से नाराज सवर्ण को आरक्षण के जरिए साधने की कोशिश की जा रही है. विपक्ष इस आरक्षण का समर्थन जरूर कर रहा है लेकिन इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसके साथ ही ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने की मांग भी उठ रही है. उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में यह मुद्दा अहम भूमिका निभाएगा.


बेरोजगारी: बेरोजगारी 2019 में सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है. रोजगार के मुद्दे पर केंद्र से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार दोनों ही विपक्ष के निशाने पर हैं. विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री मोदी को दो करोड़ रोजगार का वादा याद दिला रहा है. विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार रोजगार देने में पूरी तरह फेल रही है. नोटबंदी को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. वहीं सरकार का कहना है कि मुद्रा ऋण और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए, लोगों को सक्षम बनाया है.


मॉब लिंचिंग: ये मुद्दा भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में जमकर छाने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश में मई 2017 से लेकर नवंबर 2018 तक भीड़ से पिटाइ और मौत के करीब 11 मामले सामने आए. योगी सरकार से पहले 15 दिसंबर को भी उत्तर प्रदेश में भीड़ ने अखलाख की हत्या कर दी. हर बार की तरह इस बार भी बार से राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा है.


मुद्दे जो 2019 में मध्य प्रदेश का रुख तय करेंगे
विधानसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देर लंबे वनवास से लौटी कांग्रेस के पांव एमपी में इस वक्त जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं. कांग्रेस नेताओं को पूरा भरोसा कि जैसे जनता ने विधानसभा में बीजेपी को नकार दिया वैसे ही लोकसभा चुनाव में हाथ का जादू चल जाएगा. वहीं विधानसभा नतीजों के बाद बीजेपी नेताओं की मेहनत जरूर बढ़ गई है लेकिन उन्हें इस बात का भरोसा है कि जनता लोकसभा चुनाव में लोग प्रधानमंत्री मोदी की छवि और उनके काम को लेकर वोट करेंगे. इस सब के बीच सबसे जरूर है मध्य प्रदेश के उन मुद्दों को जानना जो सीधे 2019 के चुनाव प्रभावित करेंगे.


किसान: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तरह की लोकसभा चुनाव में भी किसानों का मुद्दा प्रमुख होने वाला है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दस दिन में कर्ज माफी का वादा किया और परिणाम सबके सामने है. बीजेपी भी किसानों पर बड़ा दांव खेलने को तैयार है. विधानसभा चुनावों में मिले वोटों के अनुसार अगर 2019 के संभावित नतीजे पर नजर जालें तो बीजेपी को 10 सीटों का नुकसान होता नजर आ रहा है, वहीं कांग्रेस की 10 सीटें बढ़ रही हैं. अगर ये अनुमान सही साबिक होता है बीजेपी इस नुकसान की भरपाई के लिए किसानों से जुड़े बड़े वादों के साथ मैदान में उतर सकती है.


बेरोजगारी: मध्य प्रदेश में व्यापम् जैसे घोटाले के आरोपों के बाद प्रदेश के युवा की सबसे बड़ी परेशानी रोजगार को लेकर है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रोजगार को लेक हर रैली में प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हैं. विपक्ष पूरी लड़ाई को रोगजार और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही लाना चाहता है. बीजेपी का कहना है कि व्यापम में शिवराज सिंह चौहान ने ही जांच के आदेश दिए थे. इसके साथ ही केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं का भी जिक्र किया जाता है. कुल मिलाकर देखें तो 2019 में मध्य प्रदेश में रोजगार बड़ा मुद्दा बनेगा.


मुद्दे जो 2019 में राजस्थान का रुख तय करेंगे
-बेरोजगारी
-किसानों की समस्या


मुद्दे जो 2019 में बिहार का रुख तय करेंगे
-मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड
-बेरोजगारी
-सांप्रदायिक घटनाएं
-बिहार के लिए स्पेशल स्टेटस की मांग


मुद्दे जो 2019 में महाराष्ट्र का रुख तय करेंगे
-परियोजना क्रियान्वयन
-घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप
-किसानों की नाराजगी
-बीजेपी की सहयोगी शिवसेना का रुझान


मुद्दे जो 2019 में पश्चिम बंगाल का रुख तय करेंगे
-ममता बनर्जी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप
-सांप्रदायिक तनाव
-बांग्लादेशी नागरिकों का मुद्दा
-राजनीतिक हिंसा