नई दिल्ली: राजनीति के सक्रिय मैदान में प्रियंका गांधी की औपचारिक एंट्री हो गई है. प्रियंका गांधी को कांग्रेस पार्टी का महासचिव और पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाया गया है. प्रियंका की एंट्री से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता गदगद हैं जबकि बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस ने आज बता दिया कि राहुल गांधी फेल हो गए हैं. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी है.

उत्तर प्रदेश और देश की सियासत के नजरिए से देखें तो पूर्वी उत्तर प्रदेश विशेष अहमियत रखता है. इस इलाके ने देश को अब तक पांच प्रधानमंत्री दिए हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी यूपी में आने वाले वाराणसी से सांसद हैं. इसके साथ ही गोरखपुर मुख्यमंत्र योगी आदित्यनाथ का गढ़ा है तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय चंदौली से सांसद हैं. बीजेपी के कई और दिग्गज भी इसी क्षेत्र से आते हैं.ट

पूर्वांचल का गणित समझिए

पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस क्षेत्र में 21 जिले हैं, जिनमें लोकसभा की 26 और विधानसभा की 130 सीटें हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश खासकर भोजपुरी भाषी बेल्ट है. इस क्षेत्र की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है, अभी तक पांच प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, चंद्रशेखर और नरेंद्र मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही आए हैं.

2014 में क्या था पूर्वी यूपी का रिजल्ट

पूर्वी उत्तर प्रदेश 2014 में मोदी लहर का असर साफ दिखाई दिया था. 26 सीट में बीजेपी के खाते 23 सीट आई थीं, जबकि सहयोगी अपना दल ने भी दो सीटों पर कब्जा जमाया था. समाजवादी पार्टी एक हासिल करने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी. बीएसपी भी जीरो पर ही आउट हो गई थी.

2009 में क्या था पूर्वी यूपी का रिजल्ट
यूपीए वन के बाद जनता ने कांग्रेस को एक मौका और दिया था. पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां बीजेपी और एसपी ने 9-9 सीटों पर कब्जा जमाया था. कांग्रेस और बीएसपी महज चार-चार सीटें ही अपने स्कोर बोर्ड पर लगा पायी थीं.

2017 विधानसभा में क्या था पूर्वी यूपी का रिजल्ट
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था. 130 सीटों में से बीजेपी ने पूर्वी यूपी में 87, अपना दल ने 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने चार सीटों पर कब्जा जमाया. इस तरह एनडीए ने कुल 100 सीटें अपने नाम कीं. वहीं साइकिल (एसपी) का हैंडल थामे हाथ (कांग्रेस) में कुछ खास हासिल नहीं हुआ. एसपी 14 तो कांग्रेस सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई. इस तरह कुल मिलाकर यूपीए के खाते सिर्फ 16 सीटें ही आईं. इसके अलावा बीएसपी से 10, निशात पार्टी से एक और तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे.

पूर्वी उत्तर प्रदेश में कौन कौन से जिले?
पूर्वी यूपी में प्रयागराज, कौशांबी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र, वारणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती, संतकबीर नगर और सिद्धार्थ नगर जिले आते हैं.

पूर्वी यूपी में कौन कौन सी लोकसभा सीट?
डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बंसगांव, लालगंज, आजमगढ़, घोषी, सलेमपुर, बलिया, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर, चंदौली, वारणसी, भदोही, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज, फतेहपुर, फूलपुर, इलाहबाद, प्रतापगढ़

प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस कार्यकर्ता खुश

कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता काफी लंबे समय से प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारने की मांग कर रहे थे. यंका गांधी अभी तक सिर्फ रायबरेली में अपनी मां और अमेठी में अपने भाई के लिए प्रचार करती रही हैं. नई जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ा है. कांग्रेस के मुख्यालय में कांग्रेस समर्थकों ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि उनके आने से हमारी ताकत दोगुनी हुई है. हमें उनमें इंदिरा गांधी की छवि दिखती है.

प्रियंका गांधी को जानिए
प्रियंका गांधी वाड्रा गांधी-नेहरू परिवार से हैं, फिरोज़ गांधी और इंदिरा गांधी की पोती हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और यूपीए चेयरपर्सन सोनियां गांधी की बेटी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन हैं. अभी तक प्रियंका गांधी चुनावी राजनीति में नहीं थीं, चुनाव के दौरान कांग्रेस की जीत के लिए अहम रोल अदा करती रहीं हैं. वे पर्दे के पीछे रहकर भी एक नेता की तरह काम करती रहीं और महत्वपूर्ण रणनीतियां बनाती हैं.

गरीब और महिलाओं के बीच खासकर प्रियंका गांधी जाती हैं और पार्टी पर उनको भरोसा दिलाती हैं. 2012 में प्रियंका गांधी ने रायबरेली और अमेठी में विधानसभा चुनाव के दौरान भी प्रचार किया था. प्रियंका गांधी ने रॉबर्ट वाड्रा से 1997 में शादी की थी. कुछ चुनावी रैलियों में वाड्रा भी प्रियंका के साथ नजर आ चुके हैं.


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