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दूसरे चरण का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए क्या मायने रखता है?
दूसरे चरण में सवाल है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए दूसरे चरण का चुनाव क्या मायने रखता है? वहीं दूसरे चरण में चार मंत्रियों समेत कई बीजेपी के दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी है. इसके साथ ही दक्षिण में प्रदर्शन को सुधारना भी बड़ी चुनौती है.
नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में इस वक्त सबसे बड़ा त्योहार यानी लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. सात चरणों में हो रहे इस चुनाव का एक चरण पूरा हो चुका है तो वहीं दूसरे चरण के लिए कल वोटिंग होगी. दूसरे चरण में 95 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. सत्ताधारी बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2014 के प्रदर्शन को दोहराने की है. इस सबके बीच बड़ा सवाल है कि आखिर पीएम मोदी के लिए दूसरे चरण का चुनाव क्या मायने रखता है. बता दें दूसरे चरण में बीजेपी के सामने यूपी में जहां आठों सीटों पर जीत दोहराने की चुनौती है तो वहीं पार्टी दक्षिण की सीटों पर बढ़त बनाने की कोशिश करेगी.
यूपी में 2014 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती
दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर वोटिंग होगी, इन आठ सीटों के करीब एक करोड़ चालीस लाख वोटर नेताओं की किस्मत का फैसला करेंगे. 2014 में ये आठों सीट बीजेपी की झोली में आई थीं, इसलिए इन आठों सीटों पर बीजेपी के लिए 2014 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है. इस बार उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल 2019 से एकदम उलट है. 2019 में जहां सभी पार्टियां एक दूसरे से लड़ रही थीं तो इस बार एसपी, बीएसपी और आरएलडी का गठबंधन बीजेपी के सामने मजबूत दीवार बनकर खड़ा है. इसके साथ ही कांग्रेस भी अपना खोया जनाधार पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.
यूपी में सीएम योगी पर पाबंदी के बीच वोटिंग है
दूसरा चरण बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में एक चुनौती बनकर आ रहा है, दरअसल चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे की रोक लगा रखी है. सीएम आदित्यनाथ ने एक रैली में अली और बजरंग बली को लेकर बयान दिया था. योगी आदित्यनाथ भले ही प्रचार नहीं कर रहे हैं लेकिन उन्होंने आयोग के आदेश की काट जरूर ढूंढ ली है. आदित्यनाथ यूपी के अलग अलग हनुमान मंदिरों में जा रहे हैं.
चार मंत्रियों और कई दिग्गजों की साख दांव पर
दूसरे चरण में बीजेपी के चार मंत्रियों और कई दिगग्जों की किस्मत भी दांव पर लगी है. मथुरा में जहां ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी, जम्मू कश्मीर में केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह, बेंगलुरू नॉर्थ से सदानंद गौड़ा, महाराष्ट्र के बीड से प्रीतम मुंडे, ओडिशा के सुंदरगढ़ से जुअल ओराम, तमिलनाडु के धर्मापुरी से अंबुमणि रामदौस, उत्तर प्रदेश के अलमोड़ा से कंवर सिंह तंवर और आगरा से एसपी सिंह बघेल अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
तमिलनाडु में AIADMK से दोस्ती का इम्तिहान
बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के लिए दक्षिण की लड़ाई आसान नहीं रहने वाली है. आपको जानकर हैरानी होगी कि दूसरे चरण में जिन 95 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें से 53 सीटों पर बीजेपी कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई है. बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन दक्षिण में तमिलनाडु में रहा है, यहां की जिन 38 सीटों पर चुनाव हो रही है इनमें से 34 पर बीजेपी कभी नहीं जीती. इसलिए तमिलनाडु में बीजेपी और दिवंगत सीएम जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके की दोस्ती का भी इम्तिहान है. वहीं कांग्रेस की बात करें तो वह स्टालिन की पार्टी डीएमके के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. दक्षिण के दो दिग्गजों जयललिता और एम करुणानिधि के निधन के बाद ये पहला लोकसभा चुनाव है.
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