एक्सप्लोरर

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें

Lal Bahadur Shastri: 27 मई 1964 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया. इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हुआ कि नेहरू के बाद कौन? Who after Nehru? प्रधानमंत्री सीरिज में आइए आज जानते हैं कि देश के दूसरे प्रधानमंत्री पद के लिए कैसे लाल बहादुर शास्त्री का चयन हुआ.

Pradhanmantri Series, Lal Bahadur Shastri: 27 मई 1964 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया. इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा हुआ कि नेहरू के बाद कौन? उस वक्त के देश और दुनिया के सभी बड़े अखबरों की सुर्खियां थीं- Who after Nehru? नेहरू की मौत के करीब दो घंटे के भीतर ही तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया. इसके बाद शुरु हुई अगले प्रधानमंत्री की खोज और ये जिम्मा उस वक्त कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के. कामराज को दिया गया. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि वो ऐसे नेता को देश के लिए चुनें जो सबको स्वीकार्य हों और उनको लेकर विरोध कम से कम हो. उस वक्त किसी को इस बात की भनक भी नहीं थी कि एक साधारण आदमी इस देश का अगला प्रधानमंत्री बनने वाला है. प्रधानमंत्री सीरिज में आइए आज जानते हैं कि कैसे लाल बहादुर शास्त्री का देश के दूसरे प्रधानमंत्री  पद के लिए चयन हुआ.

नेहरू के निधन के बाद प्रधानमंत्री पद की दौड़ में लाल बहादुर शास्त्री और मोरारजी देसाई का नाम सबसे आगे था. शास्त्री पर नेहरू खुलकर भरोसा करते थे. अपने आखिरी दिनों में नेहरू बहुत हद तक लाल बहादुर शास्त्री पर निर्भर रहने लगे थे. वहीं, मोरारजी देसाई का नेतृत्व भी दमदार था और प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वो खुले तौर पर शामिल थे. लेकिन जब के. कामराज ने मोरारजी देसाई को लेकर पार्टी नेताओं से बात की तो ज्यादातर नेता इससे सहमत नहीं दिखे. राम चंद्र गुहा ने अपनी किताब 'इंडिया आफ्टर नेहरू' में लिखा है, ''नेताओं से बातचीत के बाद जो बात सामने आ रही थी वो ये थी कि मोरारजी देसाई एक विवादास्पद पसंद हो सकते थे. उनके नाम पर आम सहमति नहीं बन पा रही थी. उनके आक्रामक रुप से काम करने और अपनी मनमर्जी से फैसला लेने की आदत पर कुछ नेताओं को आपत्ति थी. ज्यादातर नेताओं ने जिस नाम पर सहमति बनाई वो थे- लाल बहादुर शास्त्री.''

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें

वहीं, लाल बहादुर शास्त्री अपने अलावा जयप्रकाश नारायण और इंदिरा गांधी को पीएम पद पर देखना चाहते थे. ऐसा दिवंगत पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने लिखा है. नैय्यर ने ना सिर्फ शास्त्री के साथ काम किया था बल्कि वो उन्हें बेहद करीब से भी जानते थे. नैय्यर को उस वक्त कांग्रेस में 'शास्त्री का आदमी' भी कहा जाता था. नेहरू की मौत के बाद कुलदीप नैय्यर ने लाल बहादुर शास्त्री से जब पूछा कि अब अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? तो उन्होंने जयप्रकाश और इंदिरा गांधी का नाम आगे बढ़या था. मोरारजी देसाई की दावेदारी पर उन्होंने ये कहा था, ''मैं मोरारजी को हरा सकता हूं लेकिन इंदिरा को नहीं.''

लाल बहादुर शास्त्री का मानना था कि प्रधानमंत्री पद का चुनाव आपसी सहमति से हो जाना चाहिए लेकिन मोरारजी किसी भी हाल में मानने को तैयार नहीं थे. कुलदीप नय्यर ने एबीपी न्यूज़ के प्रधानमंत्री सीरिज में बताया था, ''शास्त्री जी ने मेरे द्वारा ही मोरारजी के पास पैगाम भेजा कि पीएम पद के लिए वो जयप्रकाश नारायण या फिर इंदिरा गांधी का समर्थन करें. लेकिन मोरारजी ने दोनों नामों को रद्द कर दिया. उनका कहना था कि जेपी भ्रतिम (Delusional) नेता हैं और इंदिरा अभी बच्ची (Little girl) हैं.''

इधर, के. कामराज खुद भी मोरारजी देसाई को देश की बागडोर नहीं सौंपना चाहते थे. ऐसा भी कहा जाता है कि इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की जो रणनीति नेहरू ने बनाई थी उसे अमली जामा के. कामराज ने ही पहनाया. उन्हें पता था कि अगर मोरार जी देसाई प्रधानमंत्री बनते हैं तो आगे चलकर इंदिरा गांधी की राह कठिन हो जाएगी.

लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हुआ जिसने के. कामराज की मुश्किलें आसान कर दीं.

कुलदीप नैय्यर ने मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी जताने की सनसनीखेज खबर छापी. मोरारजी देसाई की ये राजनीतिक महत्वाकांक्षा कांग्रेस पार्टी के नेताओं सहित बाकियों को भी नागवार गुजरी. ये खबर मोरारजी देसाई के लिए बहुत नुकसानदेह साबित हुई और इसने शास्त्री की दावेदारी को और भी मजबूत बना दिया.

मोरारजी देसाई के समर्थकों ने  तो ये भी दावा किया कि उस खबर की वजह से उन्हें 100 वोट का नुकसान हुआ. हालांकि नैय्यर ने शास्त्री और देसाई दोनों को ही ये समझाने की कोशिश की थी कि वो खबर किसी को फायदा या नुकसान पहुंचाने के मकसद से नहीं लिखी गई थी. नैय्यर को इसका अंदाजा तब हुआ जब के. कामराज ने संसद में उन्हें गले लगाकर धन्यवाद कहा. उसके बाद के. कामराज ने बताया कि प्रधानमंत्री पद के लिए लाल बहादुर शास्त्री का चुनाव हुआ है.

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें

इंदिरा गांधी को ही अपना उत्तराधिकारी देखने चाहते थे नेहरू

वैसे, कहीं ना कहीं नेहरू के दिमाग में उनके उत्तराधिकारी के तौर पर उनकी बेटी इंदिरा गांधी थीं. ये बात खुद लाल बहादुर शास्त्री ने कुलदीप नैय्यर से कही थी. इसका जिक्र कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब 'बियॉन्ड द लाइन्स' में किया है. उन्होंने लिखा है, ''एक बार मैंने शास्त्री का मन टटोलते हुए पूछा था कि नेहरू का उत्तराधिकारी कौन होगा? तो शास्त्री ने कहा था कि उनके (नेहरू) दिल में तो उनकी सुपूत्री (इंदिरा गांधी) हैं. लेकिन ये आसान नहीं होगा.’’

उन्होंने ये भी लिखा है, ''लाल बहादुर शास्त्री की तरफ नेहरू का व्यवहार इंदिरा गांधी से प्रभावित था. पहले तो उन्हें ऐसी बातों पर यकीन नहीं होता था लेकिन बाद में उन्होंने इसे आजमा लेना सही समझा. फिर वो इस नतीजे पर पहुंचे कि वो (शास्त्री) नेहरू के दिमाग में उत्तराधिकारी के लिए पहले विकल्प नहीं हैं.’’

हालांकि नेहरू अपने निधन के पहले काफी हद तक शास्त्री पर भरोसा जताने लगे थे इसलिए उनके प्रधानमंत्री बनने से किसी को ऐतराज नहीं हुआ. इस तरह 9 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के प्रधानमंत्री की शपथ ली.

शास्त्री ने अपने कैबिनेट में इंदिरा गांधी को जगह दी थी और उन्हें सूचना और विकास मंत्री बनाया गया था. हालांकि शुरु से लेकर आखिर तक इंदिरा गांधी और शास्त्री के रिश्तों में तल्खी रही.  

प्रधानमंत्री बनने के बाद शास्त्री की चुनौतियां

जब शास्त्री प्रधानमंत्री बने तब देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती अनाज की थी. उस वक्त खाने की चीजों के लिए भारत अमेरिका पर निर्भर था. उन्होंने अपने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी सबसे पहली प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है. उसी बीच 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया. ये खबर सुनकर पूरा रात प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री सो नहीं पाए और दफ़्तर के कमरे के एक छोर से दूसरे छोर तक टहलते रहे. इसका जिक्र लाल बहादुर शास्त्री के सचिव सीपी श्रीवास्तव ने अपनी किताब 'लाल बहादुर शास्त्री: ए लाइफ़ ऑफ़ ट्रूथ इन पॉलिटिक्स' (Lal Bahadur Shastri: A Life of Truth in Politics) में किया है. उन्होंने लिखा है, "शास्त्री ऐसा तभी करते थे जब उन्हें कोई बड़ा फ़ैसला लेना होता था. मैंने उनको बुदबुदाते हुए सुना... अब तो कुछ करना ही होगा." इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि भारत इसका करारा जवाब देगा.

'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया  

पाकिस्तान से युद्ध के दौरान ही देश में अनाज की भारी कमी थी. तभी देश का हौसला बुलंद करने के लिए शास्त्री ने 'जय जवान, जय किसान ' का नारा भी दिया था. अन्न की कमी से जूझ रहे देश को पटरी पर लाने के लिए उन्होंने एक समय भूखे रहने की अपील भी की थी जिसे पूरे देश ने माना.

ताशकंद समझौते के बाद हुई अचानक मौत

1965 के युद्ध के दौरान शास्त्री नेशनल हीरो बन चुके थे. बाद में अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद भारत पर युद्ध समाप्त करने के समझौते का दबाव पड़ने लगा. शास्त्री को रूस बुलवाया गया. समझौता वार्ता के दौरान शास्त्री ने सारी शर्ते मानीं लेकिन वो पाकिस्तान को जमीन लौटाने को तैयार नहीं थे. उन पर दबाव बनाकर 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद समझौते के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करा लिये गए. इसके कुछ घंटे बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही उनकी मृत्यु हो गई.

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें 10 जनवरी 1966 की तस्वीर. ताशकंद समझौते के दौरान लाल बहादुर शास्त्री (L), पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयुब खान (C), सोवियत के प्रधानमंत्री Alexei Kosygin.

आधिकारिक तौर पर कहा गया कि उनकी मौत हॉर्ट अटैक से हुई लेकिन उनकी पत्नी सहित कई लोगों ने इस पर संदेह जताया था. निधन के बाद शास्त्री का शरीर नीला पड़ गया था. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि उनकी हत्या हुई है. लाल बहादुर शास्त्री के बेटे और कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री कई बार शास्त्री की मौत के कागजात सार्वजनिक करने की मांग कर चुके हैं.

कश्मीर मुद्दे को सुलझाना चाहते थे शास्त्री

कुलदीप नैय्यर ने  BBC से इंटरव्यू में बताया था कि शास्त्री भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर भी काफी गंभीर थे. वो चाहते थे कि दोनों देशों में आगे कोई युद्ध ना हो. वो मानते थे कि चाहे किसी अन्य देश से संबंध ठीक न हों, पर पाकिस्तान से संबंध ज़रूर अच्छे होने चाहिए. नैय्यर ने इस बारे में  बताया था कि जब शास्त्री की मौत हुई उसी रात पाकिस्तान के जनरल अयूब ने उनसे कहा था, "अगर शास्त्रीजी ज़िंदा रहते तो कश्मीर समस्या का हल निकल सकता था क्योंकि वो इसको लेकर ख़ासे गंभीर थे."

लाल बहादुर शास्त्री के बारे में-

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय में हुआ था. उन्होंने काशी विद्यापीठ से अपनी पढ़ाई पूरी की. 1928 में उनका विवाह ललिता से हुआ. उनके कुल 6 बच्चे हुए. दो बेटियां-कुसुम और सुमन. चार बेटे-हरिकृष्ण, अनिल, सुनील और अशोक. उनके दो बेटों का निधन हो चुका है. अनिल शास्त्री और सुनील शास्त्री अपनी राजनीति में सक्रिय हैं. अनिल शास्त्री कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं और सुनील शास्त्री बीजेपी में हैं. उनके नाती आदर्श शास्त्री आम आदमी पार्टी के नेता है.

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री और सुनील शास्त्री

आजादी की लड़ाई में 9 बार गए जेल

स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री की अहम भूमिका रही जिनमें 1930 का दांडी मार्च और 1942 का 'भारत छोड़ो आन्दोलन' मुख्य है. कई बार शास्त्री जेल भी गए. 1930 में हुए ‘नमक सत्याग्रह’ के चलते उन्हें ढाई साल जेल में रहने पड़ा. इसके बाद फिर स्वतंत्रता आंदोलन की वजह से उन्हें 1 साल जेल की सजा हुई. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें 4 साल तक जेल में रहने पड़ा. बाद में 1946 में उन्हें जेल से रिहा किया गया था. कुल मिलाकर करीब 9 बार शास्त्री जेल गए.

इलाहाबाद में ही नेहरू से उनकी मुलाकात हुई. नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद 4 अप्रैल 1961 से 29 अगस्त 1963 तक शास्त्री उनके कैबिनेट में गृहमंत्री रहे. 9 जून 1964 से 18 जुलाई 1964 तक विदेश मंत्री भी रहे. नेहरू की मौत के बाद वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक वह भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे. उन्होंने करीब अठारह महीने यानि अपनी मौत तक भारत के प्रधानमंत्री पद को संभाला.

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें

लाल बहादुर शास्त्री उन नेताओं में रहे जिनके सादगी की मिसालें दी जाती हैं. प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने लोन से अपने लिए कार खरीदी थी. उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने उस कार का लोन चुकाया था.

उनकी सादगी के बारे में बात करते हुए कुलदीप नैय्यर ने बीबीसी को एक इंटरव्यू में बताया था, ''वो एक आम आदमी की तरह एक सीधे-सादे भारतीय थे. लिबास में ही नहीं, बल्कि बातों में भी सादा और सरल व्यक्तित्व था उनका. उनके गृहमंत्री बनने के बाद और फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद लंबे समय तक मैंने उनके साथ काम किया था. उनके व्यक्तित्व में कोई चालाकी वाली बात नहीं थी. दिल में बस यही था कि देश के लिए कुछ करूँ.'' 

लाल बहादुर शास्त्री को 1966 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

प्रधानमंत्री सीरिज में ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री सीरीज 1 : जानें देश के पहले प्रधानमंत्री कैसे बने थे जवाहरलाल नेहरू

प्रधानमंत्री सीरीज 2: रेस में मोरारजी देसाई के आगे रहते हुए भी कैसे पीएम बन गए लाल बहादुर शास्त्री, जानें

प्रधानमंत्री सीरीज 3: कुछ ना बोलने वाली छवि ने बनाया पीएम और रेस में हार गए मोरारजी देसाई

प्रधानमंत्री सीरीज 4: दो बार चूकने के बाद तीसरी बार में दलित नेता जगजीवन राम को पछाड़ प्रधानमंत्री बने मोरारजी 

प्रधानमंत्री सीरीज 5: जिस इंदिरा गांधी को जेल भेजना चाहते थे चरण सिंह, उन्हीं के समर्थन से बने प्रधानमंत्री, एक महीने में गिरी सरकार 

प्रधानमंत्री सीरीज 6: एम्स में राजीव को पीएम बनने से सोनिया ने रोका, तब उन्होंने कहा, 'मैं इंदिरा का बेटा हूं'

प्रधानमंत्री सीरीज 7: साजिश का शिकार हुए थे चंद्रशेखर, देवीलाल को आगे कर प्रधानमंत्री बने थे वीपी सिंह

प्रधानमंत्री सीरीज 8: राजीव गांधी के गेम प्लान से प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर, चार महीने में ही दिया इस्तीफा

प्रधानमंत्री सीरीज 9: संन्यास लेने जा रहे थे पीवी नरसिम्हा राव, राजीव गांधी की हत्या के बाद अचानक बने प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री सीरीज 10: बीजेपी को शिखर पर पहुंचाने वाले आडवाणी ने खुद पीएम के लिए वाजपेयी का नाम पेश 

प्रधानमंत्री सीरीज 11: 1996 में तीसरे नंबर की पार्टी और सिर्फ 46 सीटें होने के बावजूद जनता दल के एचडी देवगौड़ा बने 

प्रधानमंत्री सीरीज 12: लालू, मुलायम, मूपनार जैसे नेताओं की आपसी भिड़ंत में गुजराल का नाम हुआ गुलजार

प्रधानमंत्री सीरीज 13: सोनिया गांधी ने ठुकराया पद तो अचानक मनमोहन सिंह बने प्रधानमंत्री, ट्विस्ट और टर्न से भरी है ये पूरी कहानी

प्रधानमंत्री सीरीज 14: आडवाणी के विरोध के बावजूद मोदी बने PM कैंडिडेट, BJP को दिलाई ऐतिहासिक जीत

और देखें
Advertisement
IOI
Don't Miss Out
00
Hours
00
Minutes
00
Seconds
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Railway Station Chaos: भगदड़ पर RPF रिपोर्ट में खुलासा, अफरा-तफरी के वक्त स्टेशन पर थे 300 कर्मचारी, 400 बयान दर्ज, 18 की मौत
भगदड़ पर RPF रिपोर्ट में खुलासा, अफरा-तफरी के वक्त स्टेशन पर थे 300 कर्मचारी, 400 बयान दर्ज, 18 की मौत
Delhi CM Suspense: दिल्ली का नया CM कौन? सस्पेंस के आखिरी घंटों के दो नाम, जो रेस में सबसे आगे
दिल्ली का नया CM कौन? सस्पेंस के आखिरी घंटों के दो नाम, जो रेस में सबसे आगे
भिंड सड़क हादसे पर CM मोहन यादव ने जताया दुख, मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख देने का किया ऐलान 
भिंड सड़क हादसे पर CM मोहन यादव ने जताया दुख, मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख देने का किया ऐलान 
Karan Singh Grover New Show: करण सिंह ग्रोवर का टीवी पर कमबैक? सालों बाद 20 साल छोटी लड़की संग करेंगे रोमांस!
करण सिंह ग्रोवर का टीवी पर कमबैक? सालों बाद 20 साल छोटी लड़की संग करेंगे रोमांस!
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में श्रद्धालुओं की खचाखच भीड़, फिर चरमराई ट्रैफिक व्यवस्था | Breaking | ABP NEWSUP Budget 2025: बजट सत्र से पहले SP के विधायकों ने सरकार को घेरा | Breaking | ABP NewsTop Headline: बड़ी खबरें फटाफट | New Delhi Railway Station Stampede | MahaKumbh | Delhi New CM | ABP NEWSUP Budget 2025: बजट सत्र से पहले SP के विधायकों ने किया प्रदर्शन | Breaking | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Railway Station Chaos: भगदड़ पर RPF रिपोर्ट में खुलासा, अफरा-तफरी के वक्त स्टेशन पर थे 300 कर्मचारी, 400 बयान दर्ज, 18 की मौत
भगदड़ पर RPF रिपोर्ट में खुलासा, अफरा-तफरी के वक्त स्टेशन पर थे 300 कर्मचारी, 400 बयान दर्ज, 18 की मौत
Delhi CM Suspense: दिल्ली का नया CM कौन? सस्पेंस के आखिरी घंटों के दो नाम, जो रेस में सबसे आगे
दिल्ली का नया CM कौन? सस्पेंस के आखिरी घंटों के दो नाम, जो रेस में सबसे आगे
भिंड सड़क हादसे पर CM मोहन यादव ने जताया दुख, मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख देने का किया ऐलान 
भिंड सड़क हादसे पर CM मोहन यादव ने जताया दुख, मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख देने का किया ऐलान 
Karan Singh Grover New Show: करण सिंह ग्रोवर का टीवी पर कमबैक? सालों बाद 20 साल छोटी लड़की संग करेंगे रोमांस!
करण सिंह ग्रोवर का टीवी पर कमबैक? सालों बाद 20 साल छोटी लड़की संग करेंगे रोमांस!
Champions Trophy 2025: क्या बांग्लादेश के खिलाफ खेल पाएंगे ऋषभ पंत? इंजरी पर आया बड़ा अपडेट?
क्या बांग्लादेश के खिलाफ खेल पाएंगे ऋषभ पंत? इंजरी पर आया बड़ा अपडेट?
ताज महोत्सव का टिकट कैसे कर सकते हैं बुक, कम से कम कितने रुपये में मिलेगी एंट्री?
ताज महोत्सव का टिकट कैसे कर सकते हैं बुक, कम से कम कितने रुपये में मिलेगी एंट्री?
इस गंभीर बीमारी की मरीज हैं प्रियंका चोपड़ा, ऐसे रखती हैं खुद ख्याल
इस गंभीर बीमारी की मरीज हैं प्रियंका चोपड़ा, ऐसे रखती हैं खुद ख्याल
AIIMS Recruitment 2025: एम्स बिलासपुर में कई पदों पर निकली भर्ती, जानें कैसे कर सकते हैं अप्लाई
एम्स बिलासपुर में कई पदों पर निकली भर्ती, जानें कैसे कर सकते हैं अप्लाई
Embed widget

We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking "Allow All Cookies", you agree to our use of cookies.