नई दिल्ली: जिस दिन नंदन गांव में नीतीश कुमार के काफिले पर हमला हुआ था उसी दिन से ये लगने लगा था कि बिहार की राजनीति बदल रही है. अब हो भी ऐसा ही रहा है. आज लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने राज्यपाल से मिलकर नीतीश सरकार पर सवाल उठाए हैं.


नीतीश कुमार के वोट बैंक पर तेजस्वी यादव की नजर


पिता के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में ज्यादा सक्रिय हैं. खबर ये है कि जिस महादलित समुदाय को नीतीश कुमार का वोट बैंक माना जाता था उसपर अब लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की नजर है. बिहार में दलितों की आबादी करीब 16 फीसदी है. इनमें से चार फीसदी पासवान जाति के वोटर पर रामविलास पासवान की पकड़ है. बाकी दलित जातियों पर नीतीश कुमार का प्रभाव माना जाता है. लेकिन नंदन गांव में 12 जनवरी को दलितों ने नीतीश कुमार के काफिले पर पत्थऱ बरसाए और इस घटना ने राजनीति को नया मोड़ दे दिया.


जीतन राम मांझी को आरजेडी का न्यौता


इसी विवाद के बीच 19 जनवरी को रांची कोर्ट में जीतन राम मांझी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वृषण पटेल ने लालू यादव से मुलाकात की. वृषण का बयान बताता है कि नीतीश सरकार के कामकाज से उनकी पार्टी खुश नहीं है. मांझी के ‘दूत’ वृषण पटेल की लालू यादव से हुई मुलाकात के बाद ये चर्चा होने लगी कि क्या बिहार में एनडीए बिखरने वाला है. इस चर्चा को बल मिला है लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के बयान से, जिन्होंने कहा है कि जिस प्रकार का माहौल देश में है उसे देखते हुए बिहार के एनडीए में भी बिखराव की संभावना है. क्योंकि सहयोगी दलों में नाराजगी है.


इस बयान के साथ ही लालू यादव की पार्टी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने तो मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को साथ आने का ऑफर तक दे दिया है. अब सवाल ये है कि मांझी अगर एनडीए छोड़कर लालू यादव के साथ जाते हैं तो उन्हें क्या हासिल होगा? इस सवाल के जवाब से पहले ये जानना जरूरी है कि कि जीतन राम मांझी एनडीए में खुश क्यों नहीं हैं?


एनडीए से नाखुश हैं मांझी!


जीतन राम मांझी को लगता था कि उन्हें गवर्नर बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वे चाहते थे कि नीतीश सरकार में उनका बेटा मंत्री बने लेकिन यह भी नहीं हुआ. इसके अलावा नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद मांझी का कद कम हुआ है. क्योंकि मांझी पहले नीतीश के साथ थे और उन्हीं से बगावत करके नई पार्टी बनाई और एनडीए का हिस्सा बने. लेकिन नीतीश के एनडीए में लौटने के बाद इनके और इनकी पार्टी के सामने अस्तित्व का संकट आ गया है. ऐसे में लग रहा होगा कि शायद लालू यादव के साथ जाने में भविष्य़ उज्जवल है.


मांझी को राज्यसभा भेज सकते हैं लालू यादव: सूत्र


सूत्रों की माने तो लालू यादव आने वाले दिनों में मांझी को राज्यसभा भेज सकते हैं. लोकसभा के सीट बंटवारे में एनडीए की तुलना में ज्यादा सीट दे सकते हैं. बदले में लालू यादव को एमवाईएम यानी मुस्लिम, यादव और मांझी समीकरण मिल सकता है. पहले रांची जाकर वृषण पटेल का लालू यादव से मिलना फिर तेजस्वी यादव का बयान इन अटकलों को बल देता है.


वहीं 22 तारीख को पप्पू यादव और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा साथ दिखे. कुशवाहा एनडीए की सहयोगी आरएलएसपी के अध्यक्ष हैं. कुशवाहा भी एनडीए में खुश नहीं माने जा रहे हैं. इसकी पुष्टि पप्पू यादव के इस बयान से हो जाती है जिसमें कुशवाहा के साथ मंच साझा करने के अगले ही दिन उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला बोला.


पप्पू यादव फिलहाल न तो एनडीए में हैं और ना ही लालू यादव के साथ हैं. लेकिन नंदन गांव की घटना को लेकर जिस तरीके से सक्रिय हैं और जेल में जाकर गिरफ्तार लोगों से मिले हैं उससे ये सवाल जरूर उठ रहा है कि बिहार की राजनीति में बहुत कुछ पक रहा है. कौन किसके साथ कब तक है कहा नहीं जा सकता. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कैसे जेल की काल कोठरी से लालू बिहार की राजनीति को घुमाते हैं.