नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) साथ आ चुकी है. मजबूरी सियासी जमीन की है, जो 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार खिसकती गई. एक के बाद एक चुनाव में दोनों पार्टियों को हार का सामना करना पड़ा. अब उम्मीद है कि दोनों पार्टियां 1993 के पैटर्न पर नतीजे को दोहराएगी. राम मंदिर आंदोलन के ठीक बाद विधानसभा चुनाव में बीएसपी और समाजवादी पार्टी बीजेपी को हराने के लिए साथ आई थी. तब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने. लेकिन कई मुद्दों पर असहमति के बाद तकरार बढ़ा.


बीएसपी के प्रमुख कांशीराम ने मायावती की सलाह पर गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया. इस बीच 2 जून 1995 को गेस्ट हाउस कांड हुआ और एसपी-बीएसपी के बीच दूरी इतनी बढ़ गई कि एक दूसरे का नाम लेने से भी बचते रहे. लेकिन चार जनवरी 2019 को 25 मिनट की बैठक ने सबकुछ बदल दिया. दोनों पार्टियों के प्रमुख मायावती और अखिलेश ने 25 साल की दुश्मनी को भुलाकर एक दूसरे को स्वागत में गुलदस्ता थमाया.



पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद मायावती के साथ बैठक के बारे में बताया. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) को दिये इंटरव्यू में कहा, ''25 मिनटों की मुलाकात में हमने 25 सालों की दुश्मनी भुला दी.'' अखिलेश ने कहा कि दिल्ली में चार जनवरी को हुई हमारी मीटिंग में ये सब हुआ. जहां हमने सीट बंटवारे को लेकर बात की.


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उन्होंने कहा कि वह चार जनवरी की मुलाकात से पहले मायावती से मात्र एक बार मिले थे. जब मार्च 2018 में दोनों पार्टियों ने फूलपुर और गोरखपुर में मिलकर बीजेपी को हराया था.


अखिलेश यादव ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देंगे. उन्होंने कहा, "समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने दशकों तक एक-दूसरे का मुकाबला किया. लेकिन अब हम एकजुट हैं. मैंने समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को स्पष्ट कर दिया है कि मायावती का अपमान मेरा अपमान है.''


राजनीतिक विश्लेषकों और सर्वे के दावों पर गौर करें तो एसपी-बीएसपी गठबंधन से बीजेपी को भारी नुकसान होगा. दोनों पार्टियां वोट ट्रासंफर की माद्दा रखती हैं. एबीपी न्यूज़ के हालिया सर्वे में कहा गया था कि एसपी-बीएसपी गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में 50 सीटें जीत सकती है. वहीं एनडीए के खाते में 28 सीटें जा सकती है. कांग्रेस पिछली बार की तरह की मात्र दो सीटों पर सिमट सकती है. सूबे में 80 सीटें है. यूपी में एनडीए में बीजेपी, अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी शामिल है. हालांकि बीजेपी से दोनों पार्टियां नाराज है.


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2014 के लोकसभा चुनाव में एसपी, बीएसपी और कांग्रेस तीनों पार्टियां अलग-अलग होकर चुनाव लड़ी थी. मोदी लहर ने समाजवादी पार्टी मात्र पांच और कांग्रेस 2 सीट जीत पायी थी. मायावती की बीएसपी तो खाता खोलने में भी नाकामयाब रही. बीजेपी गठबंधन ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी.