VIP Seat Series, Gorakhpur Lok Sabha constituency : लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी अखाड़ें में उतर चुकी हैं. देश की नज़रें यूपी पर हैं. हर पार्टी के लिए ये राज्य महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं. यूपी की राजनीति के लिए ये चुनाव इस लिहाज से भी काफी दिलचस्प है क्योंकि यहां का राजनीतिक माहौल 2014 के मुकाबले पूरी तरह बदल चुका है. 2014 के लोकसभा चुनाव में 71 सीटों के साथ बंपर जीत पाने वाली बीजेपी को हराने के लिए इस बार सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल एक साथ चुनावी मैदान में हैं. वहीं, कांग्रेस ने भी प्रियंका गांधी को ब्रह्मास्त्र बनाकर मैदान में उतारा है. लोकसभा चुनाव से पहले ABP न्यूज़ आपके लिए लेकर आया है वीआईपी सीट सीरीज़. इस सीरिज में हम आपको उन लोकसभा सीटों के बारे में बताएंगे जो देश और यूपी की राजनीति में अहम भूमिका निभाएंगी. इस सीरीज में आज आपको बताते हैं गोरखपुर लोकसभा सीट का पूरा इतिहास.


गोरखपुर लोकसभा सीट


गोरखपुर का नाम आते ही सबसे पहले जेहन में आस्था से सरोबार बाबा गोरखनाथ की तस्वीर उभरती है, लेकिन वास्तविकता ये भी है कि इस भव्य मंदिर का साया राजनीति पर भी गहरा है और यही वजह है कि इस लोकसभा सीट की किस्मत यहीं से तय होती है. मठ का जलवा ऐसा है कि मौजूदा महंथ और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित दो पूर्व महंथ भी यहां से सांसद रह चुके हैं.


राप्ती नदी के किनारे बसा ये शहर गोरखपुर जिले का नगरीय इलाका है और इस सीट का नाम गोरखपुर लोकसभा सीट है. गोरखपुर लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें हैं और गोरखपुर नगर निगम भी इसी सीट का हिस्सा है. विधानसभा और नगर निगम के चुनाव नतीजे इस बात की चुगली करते हैं कि ये इलाका बीजेपी का गढ़ है.



मठ का दबदबा
अगर ये समझना हो कि आखिर गोरखपुर सीट पर मंदिर का कैसा दबदबा रहा है तो बस ये जान लीडिए कि बीते 65 सालों में गोरखनाथ मंदिर से जुड़े लोगों 3 लोगों ने 32 साल तक अब लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है.


1962 के लोकसभा चुनाव में ही गोरखनाथ मंदिर ने चुनावी अखाड़े में अपनी दस्तक दी और तब से इस सीट पर गोरखनाथ मंदिर के तीन महंत 10 बार सांसद बन चुके हैं. इस सीट पर महंत दिग्विजय नाथ 1 बार, महंत अवैद्यनाथ 4 बार और योगी आदित्यनाथ 5 बार सांसद रह चुके हैं.


पहली बार 1967 में गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ ने निर्दलीय चुनाव लड़कर इस सीट से कांग्रेस का सफाया कर दिया था. 1969 में दिग्विजय नाथ का निधन हो गया और 1970 में यहां उपचुनाव हुए. इस उपचुनाव में दिग्विजय नाथ के उत्तराधिकारी और गोरक्षपीठ के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए. हिंदू महसभा के टिकट पर अवैद्यनाथ दूसरी बार भी सांसद बनें. इसके बाद अवैद्यनाथ 1989, 1991 और 1996 में भी गोरखपुर से बीजेपी के टिकट पर जीते.



1998 में अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी युवा योगी आदित्यनाथ पहली बार सांसद बनें. तब योगी सबसे कम उम्र के सासंद थें. 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार पांच बार योगी गोरखपुर के बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए.


2018 उपचुनाव में गोरखपुर सीट सपा ने जमाया कब्जा 


2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत मिली और किस्मत की देवी ने योगी आदित्यनाथ पर बहुत बड़ी मेहरबानी की और वो सूबे के सीएम बन गए. मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद मार्च 2017 में योगी ने सांसद पद से त्याग पत्र दे दिया. इस तरह गोरखपुर सीट पर उपचुनाव की नौबत आ गई. लेकिन ये उपचुनाव योगी की लोकप्रियता और बढ़े राजनीतिक कद पर भारी पड़ गया.


2018 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें सपा के विपक्ष के उम्मीदरवार रहे प्रवीण निषाद ने बीजेपी के उपेन्द्र शुक्ल को हरा कर बीजेपी और मठ का किला ढहा दिया.


गोरखपुर लोकसभा सीट का इतिहास


स्वतंत्र भारत में पहली बार 1951-52 में लोकसभा चुनाव हुए. तब गोरखपुर जिले और आसपास के जिलों को मिलाकर 4 सांसद चुने जाते थें. 1951-52 के चुनाव में गोरखपुर दक्षिण सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की और यहां से सिंहासन सिंह सांसद चुने गए. यही सीट बाद में गोरखपुर लोकसभा सीट बनी.


दूसरे लोकसभा चुनाव 1957 में गोरखपुर लोकसभा सीट से दो सांसद चुने गए. दोनों सांसद कांग्रेस पार्टी के ही थे. इस बार भी सिंहासन सिंह दूसरी बार सांसद बनें और दूसरी सीट कांग्रेस के महादेव प्रसाद ने जीती.


1962 के लोकसभा चुनाव में गोरखनाथ मंदिर ने चुनावी दंगल में एंट्री ली. गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ हिंदू महासभा के टिकट पर मैदान में उतरे लेकिन कांग्रेस के सिंहासन सिंह से उन्हें 3260 वोटों से हरा दिया. इस साल यहां सिंहासन सिंह लगातार तीसरी बार सांसद बनें.


1967 के लोकसभा चुनावों में ये सीट कांग्रेस को गवानी पड़ी. दिग्विजय नाथ निर्दलीय चुनाव लड़ें और कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया. दिग्विजय नाथ 42 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतें. 1969 में दिग्विजय नाथ के निधन के बाद यहां 1970 में उपचुनाव हुए और उनके उत्तराधिकारी, गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ ने निर्दलीय चुनाव लड़कर यहां से सांसद बने.


1971 में फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी की. कांग्रेस के नरसिंह नारायण पांडेय चुनाव जीते और निर्दलीय अवैद्यनाथ चुनाव हार गए.


1977 में इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से भारतीय लोकदल के हरिकेश बहादुर सांसद बने. इस साल अवैद्यनाथ चुनावी मैदान में नहीं थे. कांग्रेस के नरसिंह नारायण पांडेय चुनाव हार गए.


1980 के चुनाव से पहले हरिकेश बहादुर ने कांग्रेस ज्वाइनकर लिया और दूसरी बार सांसद बनें. 1984 के लोकसभा चुनाव से पहले हरिकेश लोकदल में चले गए लेकिन चुनाव जीत नही सकें. कांग्रेस के टिकट से मदन पांडेय सांसद बनें.



महंत अवैध्यनाथ के साथ योगी आदित्यनाथ

इस सीट पर राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1989 के चुनाव में मंहत अवैद्यनाथ फिर से चुनावी मैदान में उतरे. हिंदू महसभा के टिकट पर अवैद्यनाथ दूसरी बार सांसद बनें. 1991 और 1996 में अवैद्यनाथ बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़े और दूसरी-तीसरी बार सांसद बनें.


1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार पांच बार योगी गोरखपुर के बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए. 2018 के उपचुनाव में ये सीट सपा को मिली और प्रवीण निषाद यहां के सांसद हैं.


गोरखपुर लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण


2018 के उपचुनावों में जब बीजेपी अपने ही गढ़ में हार गई तो विश्लेषकों ने कहा कि ये सब जातिगत समीकरण की वजह से हुआ. आपके लिए ये भी जानना जरुरी है कि जब गोरक्षापीठ का कोई उम्मीदवार होता है तो हर जाति के लोग उसका समर्थन करते हैं. इस सीट का पिछला इतिहास तो यही बताता है. वजह ये भी है कि गोरखनाथ मंदिर का वहां के विकास में अहम भूमिका है. मठ के अपने स्कूल, कॉलेज हैं. इसके अलावा अस्पताल और तमाम तरह के दूसरे संस्थान हैं जिनसे वहां के स्थानीय लोग लंबे समय से जुडे हुए हैं. उपचुनाव के बाद ये भी जानकारों ने ये भी कहा कि बीजेपी की हार की एक वजह ये भी है कि उपेंद्र शुक्ल का पीठ से सीधा संबंध नहीं है.


आपको बताते हैं कि गोरखपुर सीट पर जातिय समीकरण क्या है-




  • गोरखपुर लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा निषाद मतदाता है जिनकी संख्या लगभग 4 लाख है. पिपराइच और गोरखपुर ग्रामीण में सबसे ज्यादा निषाद मतदाता हैं.

  • यहां पिछड़े व दलित वोटरों की बहुलता है. इस सीट पर करीब 1 लाख 50 हजार मुस्लिम मतदाता हैं.

  • ब्राह्मण मतदाता इस सीट पर 1 लाख 50 हजार हैं और राजपूत मतदाओं की संख्या 1 लाख 30 हजार हैं. यादव 1 लाख 60 हजार और 1 लाख 40 हजार सैंथवार मतदाता हैं. वैश्य और भूमिहार मतदाताओं की संख्या यहां 1 लाख के आस-पास है.


कितने वोटर – महिला और पुरूष


गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में  कुल 19 लाख 03 हजार 988 वोटर थें. कुल 10 लाख 40 हजार 822 लोगों ने मतदान किया था जिसमें 5,82,909 पुरूष और 4,57,008 महिलाएं थीं.  करीब 54.67 फीसदी मतदाताओं ने वोटिंग की थी.


गोरखपुर लोकसभा की विधानसभा सीटें


गोरखपुर लोकसभा सीट में विधानसभा की 5 सीटें आती हैं. ये सीटे हैं - कैंपियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण और सहजनवा विधानसभा. 2017 के विधानसभा चुनाव में पांचों सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.



कौन सी पार्टी कितनी बार जीती


अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और एक उपचुनाव में बीजेपी ने 7 बार जीत हासिल की है. कांग्रेस 6 बार इस सीट पर जीत चुकी है. निर्दलीय 2 बार, हिंदू महासभा 1 बार, भारतीय लोकदल 1 बार और सपा एक बार जीत दर्ज करा चुकी है है.


बसपा इस सीट पर अभी तक खाता भी नहीं खोल पाई है.


वर्तमान सांसद के बारे में-


इस सीट पर वर्तमान में सांसद संतोष निषाद उर्फ प्रवीण कुमार निषाद हैं. संतोष निषाद निषाद दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा संजय निषाद के पुत्र हैं. प्रवीण निषाद पेशे से इंजीनियर हैं और उनकी उम्र महज 29 साल हैं. वह कैंपियरगंज के रहने वाले हैं. उनकी पत्नी रितिका साहनी सरकारी नौकरी में हैं.


 कौन से बड़े नेता जीतें


इस सीट के बड़े नेताओं में सबसे पहले सिंहासन सिंह का नाम आता है. वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा. कांग्रेस के टिकट पर वो तीन बार गोरखपुर सीट से सांसद रहे. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में उनकी गिनती होती थी.


इसके बाद महंत दिग्विजय नाथ का नाम आता है जो हिंदू महासभा के बड़े नेताओं में से एक थे और राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. महंत अवैद्यनाथ इस सीट से पांच बार विधायक (1962, 1967, 1968 1974 और 1977) और 4 बार सांसद रहें. उनके निधन के बाद सरकार ने उनके नाम पर 2015 में डाक टिकट जारी किया था.


इसके बाद योगी आदित्यनाथ हैं जो इस समय यूपी के मुख्यमंत्री है.


गोरखपुर लोकसभा सीट पर किस दिन होगी वोटिंग


यूपी में सात चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे. गोरखपुर लोकसभा सीट पर 19 मई को वोटिंग होगी.


देशभर में सात चरणों में होंगे चुनाव
17वीं लोकसभा के लिए 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक वोटिंग होगी. इसके नतीजे 23 मई को आएंगे.


रिसर्च- अभिषेक पांडे