'19 के खिलाड़ी': क्या बीजेपी को 2014 जैसी जीत का तोहफा दे पाएंगे अमित शाह?
विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक बीजेपी की जीत की पटकथा लिखने वाले अमित शाह क्या पिछली जीत जैसा तोहफा बीजेपी को दे पाएंगे, नई सरकार के गठन में परिस्थिति के हिसाब से उनकी रणनीति क्या होती है ये देखना दिलचस्प होगा.
Lok Sabha Election 2019: बीते पांच सालों में अमित शाह ने जिस तरह से भारतीय राजनीति में अपनी सूझबूझ और रणनीति का लोहा मनवाया है, वह अपने आप में मिसाल है. ये अमित शाह ही हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर बीजेपी को नगर निकाय चुनावों से लेकर लोकसभा चुनाव तक मजबूती से स्थापित किया. जैस-जैसे सफलता मिलती चली गई अमित शाह का भारतीय राजनीति में कद बढ़ता चला गया. ये उनकी रणनीति का ही कमाल था कि सियासी गलियारे में उन्हें बीजेपी के ‘चाणक्य’ की संज्ञा दी गई. पीएम मोदी ने अमित शाह को जो भी जिम्मेदारी दी उसे उन्हें जमीन पर लाकर दिखाया. बीजेपी विरोधी खेमे में बीते सालों में अमित शाह ने खलबली मचाए रखी है. वैसे तो अमित शाह गुजरात से नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद रहे हैं. जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब अमित शाह के पास राज्य की अहम जिम्मेदारियां थीं लेकिन असली कहानी तब शुरू हुई जब 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई.
यूपी के जब नतीजे आए तो बीजेपी ने रिकॉर्ड सीटों पर जीत दर्ज की. ये अमित शाह का ही कमाल था कि कुल 80 लोकसभा सीटों में से पार्टी ने राज्य की 71 सीटों पर जबरदस्त जीत दर्ज की. बीजेपी ने अकेले दम पर बहुमत हासिल की और केंद्र में सरकार बनी. तब राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे. केंद्र में उन्हें गृहमंत्री जैसी अहम जिम्मेदारी दी गई और पार्टी की कमान अमित शाह को सौंपी गई. इस बड़ी जिम्मेदारी के मिलने के बाद अमित शाह ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. विरोधियों ने जब-जब उनका काट ढूंढ़ना चाहा है उन्हें निराशा ही हाथ लगी है.
अमित शाह के बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद अगर पार्टी का ग्राफ देखें तो वो चुनाव दर चुनाव बढ़ता ही गया है. लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में साल 2017 में विधानसभा चुनाव हुए. यहां भी बीजेपी को प्रचंड जीत मिली. विधानसभा की कुल 403 सीटों में से बीजेपी ने 312 सीटों पर जीत दर्ज की. अमित शाह की इमेज पहले से और ज्यादा मजबूत हुई. यूपी की लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजों ने अमित शाह को स्थापित कर दिया. इस जीत के बाद बीजेपी में अटल-आडवाणी युग के बाद मोदी-शाह युग के रूप में देखा जाने लगा. साल 2017 में अमित शाह को बीजेपी ने राज्यसभा भेजा.
इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अमित शाह को गुजरात के गांधीनगर से चुनावी मैदान में उतारा है. लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत 23 अप्रैल को वहां वोटिंग हो चुकी है. बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी इस सीट से छह बार सांसद रह चुके हैं. शाह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. ये सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है. अमित शाह का लक्ष्य होगा कि वे आडवाणी की विरासत को आगे बढ़ाएं.
22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में जन्मे अमित शाह का पैतृक घर गांधीनगर जिले के मानसा कस्बे में है. मानसा में आरंभिक पढ़ाई करने के बाद अमित शाह ने बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई अहमदाबाद में की. पढ़ाई के दौरान ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े. इसके बाद वो बीजेपी की यूथ विंग यानी भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े. यहां से आगे बढ़ते हुए वो राज्य इकाई में मंत्री, उपाध्यक्ष और महामंत्री बने और फिर 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने.
नरेंद्र मोदी से अमित शाह की पहली मुलाकात साल 1982 में हुई थी. शाह तब आरएसएस में सक्रिए थे जबकि मोदी बतौर प्रचारक युवाओं के बीच संघ के लिए काम कर रहे थे. साल 2001 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो अमित शाह को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. बाद में जब साल 2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी दोबारा गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो अमित शाह को मंत्रिमंडल में जगह मिली.
1991 में जब लोकसभा के चुनाव हुए और आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े तो अमित शाह ने प्रचार में योगदान दिया. 1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी गांधीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आए तब अमित शाह उनके चुनाव प्रभारी बने. उसके बाद वो 1998,1999, 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में गांधी नगर सीट पर आडवाणी के चुनाव प्रभारी रहे. गांधीनगर लोकसभा सीट का एक बड़ा हिस्सा अमित शाह की विधानसभा सीट सरखेज का था. चुनाव प्रभारी की भूमिका के दौरान अमित शाह आडवाणी के भी काफी करीब आए.
अमित शाह 1997 में पहली बार विधायक बने. अमदाबाद की सरखेज विधानसभा सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष हरिश्चंद्र पटेल की मौत के बाद ये सीट खाली हो गई थी. इस सीट पर उपचुनाव हुए. अमित शाह ने कांग्रेस उम्मीदवार दिनेश ठाकोर को 24482 वोटों के अंतर से हरा दिया. ये जीत इसलिए भी अहम थी कि क्योंकि राज्य में बीजेपी के बागी शंकरसिंह वाघेला के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. इसके बाद उन्होंने 1998, 2002, 2007 और 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. अब जब लोकसभा का चुनाव अपने आख़िरी पड़ाव की तरफ़ बढ़ रहा है. बीजेपी में मोदी के बाद अमित शाह की सबसे बड़ी भूमिका से किसी को इनकार नहीं हो सकता. नई सरकार के गठन में परिस्थिति के हिसाब से इस चाण्क्य की रणनीति क्या होती है, क्या वो बीजेपी को 2014 जैसी जीत का तोहफा दे पाएंगे, यही उनकी अग्निपरीक्षा है.