Lok Sabha Election 2019: विपक्ष की तरफ से बीते पांच सालों में कई नेताओं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की. आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू उनमें से एक हैं. इस बार राज्य की कुल 175 विधानसभा और 25 लोकसभा सीटों पर एक साथ 11 अप्रैल को चुनाव संपन्न हो चुके हैं. नतीजे 23 मई को आएंगे. बीते दिनों में नायडू विपक्षी नेताओं को एकजुट करते दिखाई दिए. प्रिंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विपक्ष को एकजुट करने की उनकी कवायद की खूब चर्चा हुई. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित देश के कई नेताओं से मिले.


एक वक्त में नायडू एनडीए में बड़े कद के नेता माने जाते थे लेकिन पिछेल साल नरेंद्र मोदी से उनके रिश्ते खराब हो गए. आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्ज की मांग को लेकर वे एनडीए से अलग हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आंध्र प्रदेश के साथ अन्याय कर रही है. एनडीए से अलग होने के बाद वे मोदी सरकार के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए.


विपक्ष की तरफ से पीएम उम्मीदवार का चेहरा कौन होगा, इस सवाल के ईर्द-गिर्द नायडू ने अपनी दावेदारी मजबूत की. पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा ने हाल ही में संकेत दिए कि चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष की पसंद बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश टीडीपी अध्यक्ष के नेतृत्व की राह देख रहा है. उन्होंने कहा कि नायडू देश के पीएम क्यों नहीं बन सकते हैं. हालांकि इन सवालों का जवाब 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजों में आने वाले आंकड़ों से पता चलेगा लेकिन पिछले आंकड़े ये बताते हैं कि चंद्रबाबू नायडू बड़े खिलाड़ी हैं.


आंध्र प्रदेश: साल 2014 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजे


साल 2014 के आंध्र प्रदेश की कुल 42 लोकसभा सीटों में से नायडू की पार्टी तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) को 16 सीटें मिली थी और वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इसके अलावा टीआरएस को 11, वाईएसआर कांग्रेस को नौ, बीजेपी को तीन, कांग्रेस को दो और एआईएमआईएम को एक सीट पर जीत मिली थी. इसके अलावा साल 2014 में ही हुए विधानसभा चुनाव में भी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने कुल 175 में से 102 सीटों पर कब्जा किया और राज्य के मुख्यमंत्री बने. बता दें कि पिछली लोकसभा चुुनाव में आंध्र प्रदेश एक ही राज्य था लेकिन बाद में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दो राज्यों में बांट दिया गया. ऐसे में कुल 42 लोकसभा वाले तब का आंध्र प्रदेश अब 25 सीटों वाला आंध्र प्रदेश और 17 सीटों वाला तेलंगाना है. वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान नए आंध्र प्रदेश की कुल 175 सीटों पर चुनाव हुए थे.


चंद्रबाबू नायडू का राजनीति जीवन


अपने छात्र जीवन से ही चंद्रबाबू नायडू राजनीति में सक्रिय रहे हैं. 1978 में वे पहली बार विधायक बने. साल 1981 में उनकी शादी प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और तेलुगु देशम पार्टी के संस्थापक और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामाराव की बेटी भुवनेश्वरी से हुआ. वे 1985 से तेलुगु देशम पार्टी के महासचिव रहे. इस दौरान उन्होंने पार्टी पर अपनी पकड़ मज़बूत की. 1989 और 1994 में वे फिर विधानसभा के लिए चुने गए. नायडू दिग्गज नेता एनटीआर के दामाद थे ऐेसे में वे सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए लेकिन उन्होंने आगे चलकर सियासी खेल कर दिया.


नायडू ने रातों-रात अपने ससुर को पद से हटाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की. एक सितंबर 1995 को चंद्रबाबू नायडू बड़े ही नाटकीय ढंग से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए. इसके बाद 1999 में वे दोबारा राज्य के सीएम बने. फिर 2004 में नायडू सीएम की कुर्सी पर काबिज हुए और अभी तक बने हुए हैं. नायडू ने देश के सामने खुद को हाईटेक सीएम के रूप में पेश किया. अपने शासन काल में उन्होंने तकनीक के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया.


हालांकि सियासी मैदान में कई सफलता हासिल कर चुके नायडू के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस चुनौती बनी हुई है. इसके अलावे जाने-माने अभिनेता पवन कल्याण की जन सेना पार्टी बीएसपी के साथ मैदान में है. 23 मई के नतीजे पर सबकी नजरे होंगी.