कानपुर: 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के गढ़ कन्नौज में सपा-बसपा गठबंधन में सेंध लगाई है. बसपा के कद्दावर नेता निर्मल तिवारी बसपा छोड़ कर अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्मल तिवारी कन्नौज से डिम्पल यादव के खिलाफ चुनाव लड़े थे. ब्राह्मण चेहरा होने की वजह से निर्मल तिवारी की कन्नौज की जनता के बीच जबर्दस्त पकड़ है. कन्नौज में बीजेपी कैंडिडेट सुब्रत पाठक ने गठबंधन पर सबसे बड़ा प्रहार किया है. निर्मल तिवारी को 2014 के लोकसभा चुनाव में 1,27,785 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर रहे थे.


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कन्नौज से बीजेपी कैंडिडेट सुब्रत पाठक ने बसपा के वोटरों में सेंध लगाने के लिए निर्मल तिवारी को भाजपा की सदस्यता दिलाई है.  कन्नौज में निर्मल तिवारी की ब्राह्मण वोटरों और बसपा के वोटरों में अच्छी पकड़ है. बीजेपी की नजर बसपा वोटरों पर है.

कानपुर के रहने वाले निर्मल तिवारी ने डीएवी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी. इसके बाद निर्मल तिवारी ने बसपा ज्वाईन कर ली थी. निर्मल तिवारी एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे. बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2012 के विधानसभा चुनाव में गोविंद नगर विधानसभा से निर्मल तिवारी को कैंडिडेट बनाया था लेकिन वो यह चुनाव हार गए थे. निर्मल तिवारी 2017 का विधानसभा चुनाव भी गोविंद नगर से लड़ चुके हैं. बीजेपी के उम्मीदवार सत्यदेव पचौरी ने निर्मल तिवारी को हराया था.

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2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने निर्मल तिवारी को कन्नौज से कैंडिडेट बनाया था. बसपा सुप्रीमो ने निर्मल तिवारी को डिम्पल यादव के खिलाफ मैदान में उतारा था. निर्मल तिवारी को 1,27,785 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर रहे थे.

बता दें कन्नौज में 5 विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें कन्नौज की सदर विधानसभा, छीबरामऊ, विधानसभा और तिर्वा विधानसभा इसके साथ ही जनपद कानपुर देहात की रसूलाबाद विधानसभा और जनपद औरैया की बिधुना विधानसभा सीटें शामिल हैं. क्षेत्रफल की दृष्टि से यह बहुत बड़ा इलाका है और इसकी भगौलिक स्थिति भी विषम परिस्थितियों वाली है.

कन्नौज संसदीय क्षेत्र में 1553 मतदान केंद्र हैं, कन्नौज लोकसभा सीट में 18,53,987 वोटर हैं. जिसमें पुरुष वोटरों की संख्या 10,13,505 हैं वहीं महिला वोटरों की संख्या 840482 है.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से 09 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन बीजेपी के हाथ से कन्नौज की सीट फिसल गई थी.

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2014 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत पाठक सपा की डिम्पल यादव से मात्र 13,907 वोटों से हार गए थे. इस हार के अंतर को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने सुब्रत पाठक को एक और मौका दिया है. मोदी लहर भी कन्नौज की सीट बीजेपी को जीत नहीं दिला पाई थी.

कन्नौज लोकसभा सीट
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कन्नौज से सुब्रत पाठक को डिम्पल यादव के अपोजिट मैदान में उतारा था. मोदी लहर का असर कन्नौज लोकसभा सीट पर नहीं पड़ा था. डिम्पल यादव ने सुब्रत पाठक को हरा कर समाजवादी पार्टी की साख बरकरार रखी थी. डिम्पल यादव को 489,164 वोट मिले थे और बीजेपी के सुब्रत पाठक को 469,257 वोट हासिल हुए थे. वहीं बसपा के निर्मल तिवारी को 1,27,785 वोट मिले थे. डिम्पल यादव ने सुब्रत पाठक को 13,907 वोटों से हराया था.