अधिकारियों के अनुसार घाटी में आतंकवाद का दबदबा वाले क्षेत्र दक्षिण कश्मीर में और कई अन्य आतंकवादी कमांडरों के गांवों में भी मतदान नहीं हुआ. त्राल क्षेत्र में वानी के शरीफाबाद गांव ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया और गांव से किसी ने भी वोट नहीं डाला.
गुंडीबाग में महज 15 वोट पड़े. यह गांव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आ गया था जब वहां के रहने वाले आदिल डार जैश ए मोहम्मद का आत्मघाती बम हमलावर बना था और उसने पुलवामा में विस्फोटकों से लदी एक कार सीआरपीएफ के काफिल के वाहन से टकरा दी थी. उस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
अधिकारियों के अनुसार आतंकवादी संगठन अंसार-गजावत-उल हिंद के तथाकथित प्रमुख जाकिर मुसा के गांव नूराबाद, हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू के गांव बेघपुरा, और 14 फरवरी के आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड मुदासिर खान के गांव शेखपुरा में भी मतदान नहीं हुआ.
साल 2016 में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में वानी के मारे जाने के बाद घाटी में लंबे समय तक अशांति रही थी जिसमें 100 लोगों की जान गई थी.
अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में शोपियां और पुलवामा जिलों (जहां आतंकवादियों की पकड़ मानी जाती है) में चुनाव के दिन सड़के सूनी रहीं और जगह-जगह सुरक्षाबलों की मौजूदगी नजर आई. इस सीट पर मात्र तीन फीसद मतदान हुआ. 25 फीसद से ज्यादा मतदान किसी भी बूथ पर नहीं हुआ.
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