विरासत: चिराग पासवान पर पिता की विरासत आगे ले जाने की जिम्मेदारी, जमुई से फिर लड़ रहे हैं चुनाव
चिराग पासवान ने साल 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा और जमुई से 16वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए. सभी जानते हैं कि रामविलास पासवान के उत्तराधिकारी चिराग पासवान ही हैं ऐसे में उनका इस बार भी इस सीट पर जीतना काफी अहम हो जाता है.
नई दिल्ली: बिहार में इस लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत की जिम्मेदारी उनके बेटे चिराग और भाई पशुपति कुमार पारस कंधों पर है. जहां बेटा चिराग पासवान जमुई लोकसभा सीट से लड़ रहा है तो वहीं भाई पशुपति पारस हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
पहले हाजीपुर सीट की बात करें तो तीन दशकों से संसद में हाजीपुर का प्रतिनिधित्व रामविलास पासवान करते आ रहे हैं. बाद में उन्होंने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पार्टी बनाई. इसके बाद भी वे यहां से लड़ते रहे. अंतिम बार वे 2014 में यहां से सांसद बने, लेकिन अस्वस्थ रहने के कारण इस बार काफी पहले ही उन्होंने लोकसभा चुनाव से लड़ने से इनकार कर दिया. इसके बाद उत्तराधिकारी की तलाश हुई. पासवान की पत्नी रीना पासवान व बेटे चिराग पासवान के नाम आए, लेकिन दोनों ने हाजीपुर से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. बाद में फैसला हुआ कि इस सीट से भाई पशुपति पारस चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में इस सीट पर जीतना उनके लिए रामविलास पासवान के राजनीतिक विरासत को आगे बढाने जैसा होगा.
वहीं चिराग पासवान ने साल 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा और जमुई से 16वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए. सभी जानते हैं कि रामविलास पासवान के उत्तराधिकारी चिराग पासवान ही हैं ऐसे में उनका इस बार भी इस सीट पर जीतना काफी अहम हो जाता है. चिराग लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष भी है. अब वह पार्टी के सभी बड़े पैसले लेते हैं. उनपर पार्टी की विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है.
कौन हैं चिराग पासवान
चिराग पासवान का जन्म 31 अक्टूबर 1982 को बिहार के खगड़िया में हुआ. उन्होंने स्कूली पढ़ाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से की.राजनीति में प्रवेश करने से पहले चिराग ने बॉलीवुड में शुरुआत की. 2011 में उनकी फिल्म 'मिले न मिले हम' आई लेकिन बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा पाई. इस फिल्म में उनके साथ तीन-तीन नायिकाएं- कंगना रनौत, नीरू बाजवा और सागरिका घाटगे थीं. फिल्मों में असफल रहने के बाद वह पिता के साथ राजनीति में सक्रिय हो गए. राजनीति में वह 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव में लड़े और जीत गए. वह जमुई से सासंद चुने गए. राजनीतिक करियर चिराग पासवान का बेशक छोटा रहा हो लेकिन पिछले पांच साल में वह जिस तरह के बयान देते आए हैं उसमें उनका आत्मविश्वास झलका है और साथ ही उनकी परिपक्वता भी.
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