Lok Sabha Election 2019: मैसूर की वजह से कांग्रेस-जेडीएस में सीटों के बंटवारे का पेंच फंसा
2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस, जेडीएस का सीएम बनाने को राजी हो गई थी. लेकिन गठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही दोनों दलों के बीच तल्खी बरकरार है.
Lok Sabha Election 2019: कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) की सरकार होने के बावजूद दोनों दलों के बीच की तल्खी कम होने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी से तंग आकर सीएम कुमारस्वामी इस्तीफा तक देने की धमकी दे चुके हैं. अब दोनों पार्टियों के बीच नया पेंच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर फंस गया है.
रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे की सबसे बड़ी समस्या पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा और पूर्व सीएम सिद्धारमैया का झगड़ा है. 2018 में विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद कांग्रेस, जेडीएस का सीएम बनाने को तैयार हो गई थी. इसी एवज में अब कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों का दावा ठोंक रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 18 या 19 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि वह जेडीएस को 9 या 10 सीटों से ज्यादा देने के हक में नहीं है. दोनों पार्टियों में सीटों का बंटवारे फाइनल नहीं होने की एक वजह मैसूर की सीट है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट बीजेपी ने जीती थी. पर सिद्धारमैया की होम सीट होने की वजह से वह मैसूर में कांग्रेस का उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. वहीं जेडीएस ने भी इस सीट पर उम्मीदवार उतारने का दावा ठोका है.
मैसूर की सीट पर फंसा है पेंच
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में जेडीएस के सोर्स के हवाले से कहा गया है कि पार्टी मैसूर में मजबूत होने की वजह से दावा ठोक रही है. हालांकि अगर सिद्धारमैया खुद चुनाव लड़ते हैं तो जेडीएस इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार है.
2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो मैसूर की 8 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 4 पर जीत मिली थी. इसके अलावा जेडीएस तीन और कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ एक सीट आई. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मैसूर की 5 सीटों पर विजेता बनने में कामयाब हुई थी.
2014 में बीजेपी को मिले थे सबसे ज्यादा वोट
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने मैसूर की वजह से दोनों पार्टियों में बंटवारे को पेंच फंसा होना स्वीकार किया है. रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस मैसूर से बीजेपी के पूर्व सासंद विजयशंकर को उम्मीदवार बनाना चाहती है. जेडीएस के अध्यक्ष और पूर्व पीएम दैवगौड़ा की नजरें भी इसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने पर हैं.
बात अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो राज्य की 28 सीटों में से 17 पर बीजेपी जीती थी. सरकार में होने के बावजूद कांग्रेस 9 सीटें पर जीतने में कामयाब हुई थी, जबकि जेडीयू के खाते में 2 सीटें आई थी. वोट शेयर के मामले में भी बीजेपी कांग्रेस से आगे रही. बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनाव में 43.37 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस 41.15 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे और जेडीएस 11.07 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे नंबर की पार्टी बनी थी.