गोरखपुर: निषाद पार्टी ने छोड़ा एसपी-बीएसपी गठबंधन का साथ, योगी आदित्यनाथ से की मुलाकात
इस बार देश में सात चरणों में लोकसभा का चुनाव होना है और यूपी में सभी सातों सीटों पर चुनाव होगा. पहले चरण का चुनाव जहां 11 अप्रैल को होगा वहीं सातवें और आखिरी चरण का चुनाव 19 मई को होगा. मतों की गिनती 23 मई को होगी और इसी दिन पता चलेगा कि देश में किस पार्टी के हाथ में सत्ता आती है.
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गोरखपुर: निषाद पार्टी ने सपा बसपा गठबंधन से नाता तोड़ लिया है. डॉक्टर संजय निषाद ने इसका ऐलान किया है. सपा से गोरखपुर के सांसद और उनके बेटे प्रवीण निषाद के भाजपा से गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ने के संकेत मिल रहे हैं. पिछले उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ल को साढे बाइस हजार वोटों से हराकर सपा के प्रवीण निषाद ने बड़ा उलटफेर किया था.
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने लखनऊ में गठबंधन से नाता तोड़ने की औपचारिक घोषणा की. इसके बाद उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडे से कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के साथ जाकर मुलाकात की. इसके थोड़ी देर बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने भी गए. इससे निषाद पार्टी के भाजपा के साथ आने की संभावना प्रबल हो गई है.
वाराणसी से मोदी के खिलाफ लड़ने के सवाल पर बोलीं प्रियंका- जहां से पार्टी कहेगी, वहां से लड़ूंगीसूत्रों की मानें तो गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल यानी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद को भाजपा पश्चिम में भी दो सीटें देने के लिए तैयार है. संभावना जताई जा रही है कि निषाद पार्टी को भदोही और जौनपुर की कोई सीट भी मिल सकती है. जिस पर वे भी अपनी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे.
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद लगातार सपा-बसपा गठबंधन की उपेक्षा का शिकार हो रहे थे. उन्होंने कई बार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ बैठक की. दो दिन पहले जब अखिलेश यादव और संजय निषाद की लखनऊ में प्रेस वार्ता हुई तो यह उम्मीद जताई जा रही थी कि निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद के महाराजगंज से चुनाव लड़ने का अखिलेश यादव औपचारिक ऐलान कर देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इसी नाराजगी का परिणाम दो दिन बाद ही सामने आ गया. पहले भी ऐसे संकेत मिले थे कि निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद अपने बेटे को भाजपा ज्वाइन करा कर गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ा सकते हैं. लेकिन, बात बन नहीं पा रही थी. सपा से उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ गोरखपुर सीट पर जीत हासिल कर चुके प्रवीण निषाद के खिलाफ भाजपा को भी कोई चेहरा नहीं मिल रहा था. यही वजह है कि जब डॉक्टर संजय निषाद ने भाजपा के साथ जाने की पहल की शीर्ष नेतृत्व सहित मुख्यमंत्री ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया.
कुछ दिन पहले ही निषाद पार्टी के बड़े आंदोलन के दौरान गोरखनाथ मंदिर कूच कर रहे सांसद प्रवीण निषाद और निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं क्यों पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया था. उस समय निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद और सांसद प्रवीण निषाद ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कई गंभीर आरोप लगाए थे.
उम्मीद जताई जा रही है कि शनिवार को लखनऊ में ही इसका औपचारिक ऐलान हो सकता है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोरखपुर महाराजगंज की सीट को जहां अंत तक चुप्पी साध कर अपने पाले में करना चाहते थे. वही निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने गठबंधन से नाता तोड़कर उन्हें बड़ा झटका दे दिया है. डॉक्टर संजय निषाद के मास्टर स्ट्रोक से सपा चारों खाने चित नजर आ रही है.
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के तुरंत बाद ही सत्ता की हनक का नजारा भी दिखने लगा. पादरी बाजार स्थित निषाद पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय पर भारी फोर्स की नजर आने लगी.
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