लोकसभा चुनाव 2019: प्रज्ञा को टिकट मिलने के बाद अजमेर दरगाह के खादिम ने कहा- इस मामले में बीजेपी से कोई सवाल क्यों नहीं पूछता?
अक्टूबर 2007 में सूफी दरगाह अजमेर शरीफ में हुए धमाके में 3 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 17 लोग घायल हो गए थे. धमाके में शुरुआती तौर पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर का भी नाम सामने आया था.
नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 में भोपाल सीट से प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद अजमेर शरीफ दरगाह के ख़ादिम (पुजारी) ने सवाल उठाए हैं. ख़ादिम ने सवाल पूछा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवाद को खत्म करने की बात करते हैं और चुनाव में एक अभियुक्त को टिकट देते हैं जिस पर आतंकी गतिविधियां फैलाने का आरोप है.
खादिम मोहम्मद मुस्तकीम ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आतंकवाद खत्म करने की बात करते हैं लेकिन चुनाव में ऐसे लोगों को टिकट देते हैं जिस पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब आतंकी आरोपों का सामना करने वाला व्यक्ति देश में चुनाव लड़ रहा हो."
बता दें कि अक्टूबर 2007 में सूफी दरगाह अजमेर शरीफ में हुए धमाके में 3 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 17 लोग घायल हो गए थे. धमाके में शुरुआती तौर पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर का भी नाम सामने आया था. जांच के बाद एएनआई ने सबूतों के अभाव में प्रज्ञा को बरी कर दिया था.
उन्होंने सवाल पूछा, ''अगर इस ब्लास्ट में हिंदू मारा जाता तो बीजेपी चुनाव में टिकट देती? अगर प्रज्ञा मुस्लिम होती तो क्या उसे टिकट दिया जाता? अगर कोई दूसरी पार्टी आतंकवाद के आरोपी को उतारती तो बीजेपी उसे बख्श देती?''
बीजेपी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, ''कोई बीजेपी से सवाल क्यों नहीं पूछ रहा है? बीजेपी जज बनकर यह बताती रहती है कि कौन राष्ट्रवादी है और कौन देशद्रोही. अब वह खुलकर एक आतंकवाद की आरोपी को समर्थन दे रही है.''
प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद एनडीए के सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी सवाल खड़े किया हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''बीजेपी अगर प्रज्ञा ठाकुर को टिकट नहीं देती तो ज्यादा अच्छा था.'' इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर का नाम मालेगांव मामले से जुड़ा है और महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के पास उनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत थे.
अठावले ने कहा, ''हेमंत करकरे लोगों को बचाते हुए और आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए हैं. मैं साध्वी की बातों से सहमत नहीं हूं. मैं इसकी निंदा करता हूं. यह कोर्ट का मुद्दा है और उसे तय करना है कि क्या सही है क्या गलत.''
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