Lok Sabha Election 2019: एक शहर, जिसे झीलों के शहर के तौर पर जाना जाता है. एक शहर जहां की खूबसूरती ऐसी की कभी बड़े तालाब के किनारे तो कभी मनीषा झील के पानी में न जाने कितनी हसीन शामें सुहाने तरीके से गुजरती हैं. एक शहर ऐसा जहां कॉफी हाउस में मुहब्बतें भी पलती हैं और शिकवे भी जगह पाते हैं. एक शहर ऐसा जहां रिश्ते और जुबान अब भी भाईचारे की डोर को जिंदा रखे है. उस एक शहर का नाम है भोपाल, वही भोपाल शहर जिसकी तासीर में एक अजीब सी खुशबू है, जिससे सारा शहर मुन्नवर है, जहां साझी विरासत के नगमे अब भी गाए जाते हैं.


लोकतंत्र की अपनी मजबूरियां और चुनाव की अपनी अय्यारियां, ये शहर भी इससे अछूता नहीं है. विकास की भागदौड़ यहां भी, लेकिन महानगर बनने की यात्रा में उगते मल्टीप्लेक्स, माल और मेगा शो-रूम के बीच आज भी पुराने भोपाल के बाजार आबाद हैं.  खास पहचान वाले इस शहर की अपनी एक राजनीतिक विरासत भी रखती है. इस बार लोकसभा चुनाव में भी यह सीट चर्चा के केंद्र में है. ऐसे में आइए जानते हैं तालाबों के इस शहर का राजनीतिक इतिहास क्या है और इस बार किन प्रत्याशियों के बीच टक्कर है.


क्या है भोपाल लोकसभा सीट का इतिहास


कांग्रेस के लिए राजधानी भोपाल की सीट अभी भी अभेद्य किला बनी हुई है, जहां 30 सालों से पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई है. अब पार्टी ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को भोपाल से उतारा है. बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और कैलाश जोशी भी सांसद रह चुके हैं.


इस सीट पर पहली बार साल 1957 में चुनाव हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस की मैमुना सुल्तान ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद लगातार कांग्रेस इस सीट पर जीतती रही लेकिन साल 1989 में बीजेपी का खाता इस सीट पर खुला और तब से 2014 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा है. 1989 में सुशील चंद्र शर्मा ने यहां पर बीजेपी का खाता खोला था इसके बाद वो 1991, 1996 और 1998 में वो लगातार जीते. इसके बाद 1999 में यहां से उमा भारती, 2004 और 2009 में कैलाश जोशी और 2014 में आलोक संजर चुनाव जीते.


कितनी है जनसंख्या


भोपाल लोकसभा क्षेत्र की जनसंख्या 26,79,574 है. यहां की 23.71 फीसदी आबादी ग्रमीण क्षेत्र में रहती है, जबकि 76.29 फीसदी शहरी इलाके में रहती है.भोपाल की 15.38 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है और 2.79 फीसदी अनुसूचित जनजाति की है.


वोटर्स की संख्या


2014 में वोटर्स की संख्या यहां 19,56,936 थी. जिसमें 9,17,932 महिला मतदाता और 10,39,004 पुरूष मतदाता थे.


कौन है इस लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद


पिछले 8 चुनावों से भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी जीत रही है. इस सीट पर फिलहाल बीजेपी के मौजूदा सांसद आलोक संजर हैं. भोपाल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. बेरसिया, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, हुजूर, भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य, सिहौर, नरेला और गोविंदपुरा वह सीटें हैं.


इस बार कांग्रेस और बीजेपी में टक्कर


मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह को भोपाल सीट से कांग्रेस ने टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा पर दांव खेला है. इस मुकाबले को 72 की उम्र के दिग्विजय के लिए आर-पार की लड़ाई माना जा रहा है तो वहीं साध्वी प्रज्ञा के लिए यह एक तरह से सियासत की शुरुआत है. लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि दिग्विजय के लिए यह मुकाबला भारी ना पड़ जाए. क्योंकि भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ है.


क्या है जातिय समीकरण


भोपाल लोकसभा सीट के जातीय समीकरण को देखा जाए तो यहां 20 से 25 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. वहीं, अनुसूचित जाति के वोटर्स यहां 14.83 प्रतिशत हैं और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स 2.56 प्रतिशत है.


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