नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. वह अपनी पारंपरिक सीट अमेठी के अलावा इस बार केरल के वायनाड से भी चुनावी दांव खेलने जा रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वायनाड सीट को चुनकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि साउथ और नॉर्थ को कांग्रेस एक तरह से मानती है. इस फैसले को कांग्रेस की तरफ से दक्षिण भारत में पार्टी के जनाधार को मजबूत करने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा रहा है, जहां लोकसभा की करीब 130 सीटें हैं.
जिस वायनाड सीट से राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है यह जिला तीन राज्यों (केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक) की सीमा को छूता है. केरल में 20, तमिलनाडु में 39 और कर्नाटक में 28 सीटें हैं. राहुल गांधी के वायनाड सीट से चुनाव लड़ने के फैसले के बाद अब इस सीट के बारे में जानने को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है. ऐसे में आइए जानते हैं इस सीट के बारे में सबकुछ
कब बना वायनाड लोकसभा सीट
केरल का वायनाड लोकसभी सीट 2009 में बना. इस सीट को कांग्रेस की सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है.
तीन जिलों की संगम है ये सीट
वायनाड लोकसभा के तहत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से तीन वायनाड ज़िले के, तीन मल्लापुरम ज़िले के और एक कोझीकोड ज़िले से हैं. विधानसभा सीटें- मानाथावाडी, सुल्तानबथेरी, कल्पेट्टा, थिरुवंबाडी, एननाड, नीलांबुर और वांडूर.
क्या है इस सीट पर समीकरण
वायनाड सीट में हिंदू आबादी 49.7 प्रतिशत है. ईसाई और इस्लाम को मानने वालों की आबादी भी करीब-करीब इतनी ही है. यहां ईसाई 21.5 और मुस्लिम 28.5 प्रतिशत हैं. खास बात ये है कि इस सीट की हिंदू आबादी में दलितों की खासी आबादी है. कुल वोटरों की तादाद 13 लाख, 25 हजार 788 है.
क्या रहे थे 2014 और 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजे
इस सीट पर 2009 और 2014 दोनों ही चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी की जीत हुई थी. 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को वायनाड में बड़ी जीत हासिल हुई थी. यूडीएफ (कांग्रेस) के एमआई शानवास ने एलडीएफ (सीपीआई) के ऐडवोकेट एम रहमतुल्लाह को 1,53,439 के भारी मार्जिन से शिकस्त दी थी. वहीं 2014 में भी कांग्रेस इस सीट पर जीती थी लेकिन वोटों के अंतर में 2009 के मुकाबले काफी कम अंतर था. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वायनाड लोकसभा सीट पर महज 20,870 वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी.
FULL DETAILS: राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने के लिए केरल के वायनाड सीट को ही क्यों चुना?
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