DETAILS: अखिरी चरण में कल 59 लोकसभा सीटों पर वोटिंग, जानें इस चुनाव से जुड़ी पूरी जानकारी
आज लोकसभा चुनाव 2019 के सातवें और आखिरी चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया है. सातवें चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर 19 मई को वोट डाले जाएंगे.
Lok Sabha Election 2019: देश की कमान किसके हाथों में जाएगी, इसका फैसला होने में एक सप्ताह से भी कम समय बाकी रह गया है. इससे पहले सातवें और अंतिम चरण के तहत 19 मई को वोटिंग होनी है. अंतिम चरण के तहत देश के आठ राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर मतदान होंगे.
शुक्रवार शाम छह बजे अंतिम चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया. लास्ट फेज में बिहार की आठ, मध्य प्रदेश की आठ, झारखंड की तीन, पंजाब की 13, हिमाचल प्रदेश की चार, उत्तर प्रदेश की 13, चंडीगढ़ की एक और पश्चिम बंगाल की नौ सीटों पर वोटिंग होगी. अंतिम चरण में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी लोकसभा सीट पर वोटिंग होगी. इसके अलावा बिहार में बीजेपी के कई वीआईपी कैंडिडेट मैदान में हैं वहीं यूपी में योगी के गढ़ गोरखुपर में चुनाव है.
पिछले छह चरण के चुनाव में 542 लोकसभा सीटों में से अब तक 484 सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. अंतिम चरण के चुनाव में कुल 918 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. लगभग 10 करोड़ मतदाता 19 मई को इनके भाग्य का फैसला करने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे.
वे मुद्दे जो इस चुनाव में छाए रहे
राफेल मुद्दा-राफेल डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लंबे समय से इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हैं और उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. राफेल डील के बाद राहुल गांधी ने सीधे पीएम मोदी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और उन्हें चोर कह दिया. राहुल गांधी ने पीएम मोदी के ’मैं चौकीदार हूं’ पर सीधा हमला बोला और ‘चौकीदार ही चोर है’ का नया नारा दिया. कांग्रेस के इस नारे के जवाब में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मैं भी चौकीदार’ के नारे के साथ देशभर में मुहिम शुरू की. इसके बाद पीएम मोदी सहित तमाम केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी के छोटे-बड़े नेताओं ने ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ लिया.
राष्ट्रवाद-2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है. साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने राष्ट्रवाद के मुद्दे को हमेशा सर्वोपरी रखा है. उरी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों पर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से मोदी सरकार ने हर मंच पर इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की है. इन पांच सालों में मोदी सरकार ने विकास के मुद्दे से ज्यादा राष्ट्रवाद के मुद्दे को तरजीह दी है. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में भी राष्ट्रवाद का मुद्दा सर्वोपरी रखा है और कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसकी जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी है. वहीं विपक्ष बीजेपी पर देश की सेना के शौर्य का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहा है.
कर्जमाफी का मुद्दा-किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे को भुनाकर कांग्रेस 2018 में हुए चुनावों में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में सफल हुई. इसके बाद मोदी सरकार ने इसी साल पेश हुए अंतरिम बजट में किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा की. इसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को 6000 रुपये सालाना सीधे खाते में भेजे जाने की योजना है. पार्टी का वादा है कि वापस सरकार में आने पर ये योजना का दायरा सभी किसानों तक बढ़ाएंगे. यानि सिर्फ छोटे और सीमांत किसान ही नहीं, सभी किसानों को 6000 रुपये सालाना सीधे खाते में दिया जाएगा. इसके अलावा पार्टी ने 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन देने का भी वायदा किया है.
'19 के खिलाड़ी' जिन पर टिकी हैं सबकी निगाहें
बेरोजगारी- कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने इस चुनाव में रोजगार को एक बड़ा मुद्दा बनाया है. राहुल गांधी जिस भी सभा में जा रहे हैं रोजगार को लेकर पार्टी मेनिफेस्टो में किये गए वायदों को गिना रहे हैं. उनका साथ प्रियंका गांधी भी दे रही हैं. पिछले दिनों ही प्रियंका ने रायबरेली में कहा कि जहां जाती हूं, हर चौराहे पर युवा कहते हैं रोजगार नहीं मिला. प्रधानमंत्री पूरी तरह विफल हैं. विपक्ष की कोशिश है कि बेरोजगारी का मुद्दा चुनाव के केंद्र में आए. ज्यादातर रिपोर्ट में यह दावा है कि बीजेपी की सरकार में रोजगार का नया अवसर पैदा होना तो दूर, लोगों की असंगठित क्षेत्रों में नौकरियां गई और बेरोजगारी बढ़ी. जबकि मोदी सरकार ने इसकी सफाई में रोजगार के आंकड़े तो नहीं दिये. हां, यह जरूर है कि सरकार ने स्वरोजगार बढ़ने संबंधी मुद्रा लोन के आंकड़े दिये. विपक्ष का सीधा सवाल है कि 2014 में मुक्कमल रोजगार देने का वायदा था, न की स्वरोजगार का.
धारा 370- बीजेपी जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के पक्ष में है, तो कांग्रेस इसके खिलाफ है. कांग्रेस का कहना है कि संविधान में शामिल अनुच्छेद 370 को बदलने की न तो अनुमति दी जायेगी, न ही ऐसा प्रयास होगा. जबकि बीजेपी का कहना है कि जनसंघ के वक्त से ही अनुच्छेद 370 पर हमारा रुख साफ है. बीजेपी ने कहा हम धारा 35ए को भी खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि अनुच्छेद 370 में कोई भी बदलाव नहीं किया जाएगा.
2019 के सियासी समर के VIP उम्मीदवार
चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा इन मुद्दों के अलावा पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा भी चर्चा का विषय बनी रही. अब तक संपन्न हुए छह चरणों में लगभग हर चरण में हिंसा देखी गई. इसके अलावा हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो में हुई हिंसा के बाद चुनाव आयोग सख्त हो गया. 15 मई को ईसी ने एलान किया कि जो चुनाव प्रचार 17 मई शुक्रवार को खत्म होना था वो 16 मई की रात 10 बजे से थम जाएगा. राज्य में किसी भी प्लेटफॉर्म पर चुनाव प्रचार से जुड़ी गतिविधि नहीं की जा सकेगी. दरअसल अमित शाह के रोड शो के दौरान शहर में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हुई हिंसा की घटना के बाद चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया. बता दें कि रोड शो के दौरान प्रमुख समाजसेवी ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी गई थी.
चुनाव आयोग ने नेताओं के चुनाव प्रचार पर लगाया बैन
इस बार चुनाव के दौरान इलेक्शन कमीशन ने आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर सख्ती दिखाई. चुनाव आयोग ने जब ये पाया कि भाषण के दौरान नेताओं ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है तो उसने उनके चुनाव प्रचार पर बैन लगा दिया. इसमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू, सपा नेता आजम खान, बीजेपी नेता मेनका गांधी, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और हिमाचल प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती का नाम शामिल है.
चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे, सिद्धू पर 72 घंटे, आजम खान पर 72 घंटे, मेनका गांधी पर 48 घंटे, मायावती पर 48 घंटे, साध्वी प्रज्ञा पर 72 घंटे और सतपाल सिंह सत्ती पर 48 घंटे के लिए चुनाव प्रचार पर रोक लगाई. आजम खान के चुनाव प्रचार करने पर दो बार बैन लगा. पहले चुनाव आयोग ने 72 घंटे का बैन लगाया और उसके बाद उनके दूसरे बयान के चलते 48 घंटे का बैन लगाया.
किस राज्य की कौन सी सीट पर होगा चुनाव
उत्तर प्रदेश 13 सीट महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चन्दौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज सीट है. 2014 में ये सभी सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी.
मध्य प्रदेश में 8 सीट देवास, उज्जैन, मंदसौर, खरगौन, खंडवा, रतलाम और धार सीट है. 2014 में इन सभी आठों सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. हालांकि बाद में रतलाम सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इस तरह से मौजूदा समय में 7 सीटें बीजेपी के पास है.
बिहार में 8 सीटों पर चुनाव नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकट और जहानाबाद सीट हैं. 2014 में इन आठ सीटों में बीजेपी सात और एक सीट आरएलएसपी जीतने में कामयाब रही थी.
पंजाब में 13 सीट पर चुनाव गुरदासपुर, अमृतसर, जालंधर, होशियारपुर, आनंदपुर साहिब, लुधियाना, फतेगढ़ साहिब, फरीदकोट, फिरोजपुर, बठिंडा, संगरुर, पटियाला और खडूर साहिब सीट है. 2014 के चुनाव में इन 14 सीटों में आम आदमी पार्टी 4, अकाली दल 4, कांग्रेस 3 और बीजेपी ने 2 सीटें जीती थी.
पश्चिम बंगाल में 9 सीटों पर चुनाव दमदम, बारासात, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जाधवपुर, कोलकाता दक्षिण और कोलकाता उत्तर सीट शामिल है. 2014 में इन सभी 9 सीटों पर टीएमसी को जीत मिली थी.
झारखंड में 3 सीट पर चुनाव झारखंड में राजमहल, दुमका और गोड्डा सीट पर वोटिंग होगी. चंडीगढ़ की एक सीट पर भी सातवें चरण में वोट डाले जाएंगे.
इस तरह ये चुनाव बेहद गर्मागर्मी वाला रहा और सत्ता पक्ष और विपक्ष ने इस चुनावी समर को जीतने के लिए जी-जान लगा दिया. 23 मई को जब चुनावी नतीजे आएंगे तो साफ हो जाएगा कि सत्ता पक्ष का दावा सफल होता है या विपक्ष की उम्मीदें साकार होती हैं.