नई दिल्ली: आरक्षण के विरोध में गठित हुई सपाक्स पार्टी 2019 में पहली बार आम चुनाव में उतरेगी. पार्टी मध्यप्रदेश समेत देश के 10 राज्यों में चुनाव लड़ेगी. हांलाकि एमपी विधानसभा चुनावों में सपाक्स कुछ बेहतर नहीं कर पायी थी.


लोकसभा चुनाव में पार्टी का मुख्य एजेंडा समाजिक आरक्षण को समाप्त कर आर्थिक आरक्षण लागू करना और एट्रोसिटी एक्ट की खामियों को दूर करना है. वहीं पार्टी का कहना है कि योजनाओं के नाम पर सरकार को खजाने से मुफ्त पैसे भी नहीं बाटने चाहिए.


इससे पहले सपाक्स पार्टी 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है. हांलाकि इस चुनाव में पार्टी का एक भी नुमाइंदा चुनाव नहीं जीत सका था. सपाक्स के चुनाव लड़ने पर कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी ने कहा कि हर पार्टी को चुनाव लड़ने का हक है, कांग्रेस पार्टी को किसी के भी चुनाव में उतरने से कोई नुकसान नहीं है. बता दें कि रिटायर्ड आईएएस डॉ हीरालाल त्रिवेदी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.


मध्य प्रदेश के मंदसौर में लोगों ने कहा-नोटा पर ही वोट करेंगे


वहीं, मध्य प्रदेश के मंदसौर में आर्थिक आधार पर आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर उठ रहा है. जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर गरोठ तहसील के ग्राम वारनी में आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करते हुए राजनीतिक दलों से गांव में ना घुसने की अपील के पोस्टर लगाए गए हैं गांव वालों ने चेतावनी दी है कि वे नोटा पर मतदान करेंगे.


जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर गरोठ तहसील मुख्यालय से 2 किलोमीटर दूर स्थित लगभग 500 की आबादी वाले ग्राम वारनी में अधिकतर सामान्य वर्ग के लोग रहते हैं. उनका आरोप है कि राजनीतिक दलों द्वारा जातिगत आधार पर आरक्षण व्यवस्था को लागू किया गया है जिसकी वजह से उनके बच्चों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. गांव का विकास नहीं हो पा रहा है इसलिए आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करते हुए सभी राजनीतिक दलों के प्रवेश पर प्रतिबंध के बोर्ड गांव में लगा चुके हैं. उन्होंने कहा कि तमाम राजनीतिक दल आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू नहीं कर रहे हैं इस वजह से वह इस बार चुनाव में नोटा पर ही वोट करेंगे और उनकी मांग अब तक ना सुनने वाले राजनीतिक दलों को गांव में नहीं घुसने देंगे.


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