नई दिल्ली: राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं और लगभग 10 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं. लेकिन लोकसभा चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. केवल एक ही मुस्लिम उम्मीदवार अब तक जीतकर लोकसभा में पहुंचा है. अयूब खान ने झुंझुनू सीट से दो बार 1984 और 1991 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता है. वह केंद्र में मंत्री भी रहे हैं.
इतिहास की बात की जाए तो राजस्थान में कांग्रेस कम से कम एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही है. 1952 के पहले आम चुनाव में उसने जोधपुर से यासीन नूरी को टिकट दिया था. इसके बाद भी उसने राज्य की अलग अलग सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे लेकिन कोई भी सफल नहीं रहा. इस लिहाज से पहली और आखिरी सफलता अयूब खान को झुंझुनू सीट पर मिली.
अयूब खान की कहानी भी रोचक है. वह सेना में रिसालदार रहे. 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने के लिए वीरचक्र से सम्मानित हुए और दो बार सांसद चुने गए. केंद्र में मंत्री भी रहे. लेकिन अपने बाद के दिनों में राजनीति से अलग हो गए.
पिछले कुछ चुनावों की बात की जाए तो कांग्रेस की ओर से 1999 के चुनाव में अबरार अहमद झालावाड़ सीट से, 2004 के चुनाव में हबीबुर्ररहमान अजमेर से, 2009 में रफीक मंडेलिया चुरू सीट से व 2014 में मोहम्मद अजहरूद्दीन टोंक सवाई माधोपुर सीट से लड़े और हारे.
अब तक कांग्रेस के टिकट पर केवल 13 मुस्लिम उम्मीदवार राज्य में चुनाव लड़े हैं जबकि पिछले 16 लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने केवल एक मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
1979 में बीकानेर संसदीय सीट से बीजेपी ने एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार महबूब अली को उतारा था, लेकिन उन्हें हार मिली. तब से बीजेपी ने राज्य के किसी भी संसदीय सीट से कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा.
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