ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ होते हैं. अभी वहां पिछले 19 सालों से बीजू जनता दल (बीजेडी) की सरकार है. नवीन पटनायक साल 2000 से ही राज्य के मुख्यमंत्री हैं. ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं. पिछली बार बीजेडी के 20 सांसद चुने गए थे, जबकि बीजेपी से सिर्फ जोएल ओराम चुनाव जीत पाए थे. जो मोदी सरकार में अभी कैबिनेट मंत्री हैं.
कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था. बीजेपी इस बार किसी 'चमत्कार' के इंतज़ार में है. इसीलिए पीएम नरेन्द्र मोदी से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ओडिशा के चक्कर लगाते रहते हैं. 15 जनवरी को मोदी के दौरे के बाद अमित शाह 18 जनवरी को कटक में बूथ कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात करेंगे.
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अमित शाह भले ही यूपी में 74 लोकसभा सीटें जीतने का दावा करें. लेकिन वे बखूबी जानते हैं इस बार 2014 वाला माहौल नहीं है. एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में बीजेपी की हार से पार्टी का मनोबल गिरा है. ऐसा अनुमान है कि यूपी समेत इन इलाक़ों में पार्टी पहले जैसे नतीजे न ला पाये. इसीलिए सारा ज़ोर ओडिशा जैसे राज्यों पर है. अपनी सरकार के चार साल पूरा होने पर नरेन्द्र मोदी ने कटक में सभा की. 2017 में बीजेपी ने भुवनेश्वर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. ख़ुद पीएम मोदी ने रोड शो किया. पुरी जाकर भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए.
पीएम नरेन्द्र मोदी के पुरी से भी लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है. ओडिशा की बीजेपी इकाई ने तो इस संबंध में प्रस्ताव पास कर दिल्ली भी भेज दिया है. बीजेपी के कई नेता समय समय पर मोदी से पुरी से चुनाव लड़ने की मांग भी करते रहे हैं. ओडिशा, बंगाल और असम जैसे राज्यों के लोगों की भगवान जगन्नाथ में बड़ी आस्था है. बीजेपी नेताओं के एक गुट को लगता है कि मोदी के पुरी आ जाने भर से चुनावी समीकरण बदल सकते हैं. सिर्फ़ ओडिशा ही नहीं बंगाल तक में पार्टी को फ़ायदा हो सकता है. वैसे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने तो मोदी के पुरी से चुनाव लड़ने की चर्चा को ख़ारिज कर चुके हैं.
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