Lok Sabha Result: लोकसभा चुनाव 2019 में NDA की बंपर जीत हुई है तो वहीं कई सियासी घरानों के उम्मदीवारों को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. वहीं कई ऐसी राजनीतिक पार्टियां भी रही जो अपनी विरासत को बचाने में कामयाब नहीं हो पाई. आइए जानते हैं ऐसे ही राजनीतिक परिवार और उन परिवारों के उम्मीदवारों के बारे में जिनकी चमक इस लोकसभा चुनाव में फीकी पड़ गई.


लालू परिवार

बिहार की राजनीति में कभी जनता की पहली पसंद होने वाली लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल इस बार राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल पाई. लालू खुद जेल में थे और पार्टी का सारा दारमोदार बेटे तेजप्रताप के कंधों पर था. तेजप्रताप ने लगातार कोशिश करते हुए महागठबंधन बनाया. कांग्रेस, आरएलएसपी, हम, वीआईपी और सीपीआई (एमएल) का महागठबंधन NDA के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ा था. नतीजे चौंकाने वाले रहे और राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर NDA ने जीत दर्ज की. महागठबंधन में एकमात्र सीट कांग्रेस ने किशनगंज की सीट जीती. लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र से खुद भी चुनावी मैदान में थी जहां वह 38 हजार से ज्यादा वोटों से हार गई.


ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार में आरजेडी का खाता भी नहीं खोल पाई है. वहीं इस हार के बाद लालू की विरासत बिहार में डगमगाता हुआ दिख रहा है. अब देखना होगा आगे लालू परिवार की क्या रणनीति रहने वाली है क्योंकि इस चुनाव में पार्टी की चमक पूरी तरह से फीकी रही.



मुलायम परिवार


समाजवादी पार्टी की मुलायम परिवार भी एक ऐसा ही परिवार है जिसकी चमक इस चुनाव में फीकी रही. इस चुनाव में सपा ने अपने 37 उम्मीदवार चुनाव में उतारे. इन चुनाव में यादव परिवार के कुल 6 सदस्यों ने चुनाव लड़ा. हालांकि शिवपाल यादव अपनी अलग पार्टी से चुनाव लड़े. परिवार के 4 सदस्य हार गए. डिंपल यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा था और वह वो बीजेपी के सुब्रत पाठक से 12353 वोट से हार गईं. वहीं रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव फिरोजाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं. वो बीजेपी उम्मीदवार डॉ. चंद्रसेन यादव से 28781 वोट से हार गए.


मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव ने बदायूं से चुनाव लड़ा. वो बीजेपी की संघमित्रा मौर्य से 18454 वोटों से हार गए. इसके अलावा मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव ने बदायूं से चुनाव लड़ा. वो बीजेपी की संघमित्रा मौर्य से 18454 वोटों से हार गए.


परिवार का केवल दो सदस्य ही जीत दर्ज कर पाया. मुलायम सिंह यादव इस बार मैनपुरी से चुनाव लड़ा. वो 94389 वोटों से जीते. उनका मुकाबला बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य से था. वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से चुनाव लड़ा.अखिलेश 259874 वोटों से जीते. उनके सामने बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ थे.



चौधरी चरण सिंह परिवार


इतिहास खुद को दोहराता है और वही हुआ मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भी. यहां से कभी जीवन के पहले लोकसभा चुनावों में चौधरी चरण सिंह को हार मिवली थी तो वहीं इस चुनाव में उनके पुत्र चौधरी अजित सिंह हार गए हैं. वह बीजेपी के संजीव बालियान से हार गए हैं. चौधरी अजित के पिछड़ने से आरएलडी समेत महागठबंधन दल बीजेपी और सपा के नेता भी सकते में हैं. इस सीट पर उनके जीतने की पूरी संभावनाएं थी.


अजित चौधरी के अलावा उनके बेटे आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी चुनाव हार गए है. केन्द्रीय मंत्री डॉक्टर सत्यपाल सिंह ने उन्हें 20 हजार से ज्यादा मतों से पराजित कर दिया है.



सिंधिया परिवार


ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि राजा को प्रजा का प्यार न मिले. लेकिन लोकतंत्र के पर्व में जनता को राजा को भी न चुनने का अधिकार होता है. ऐसा ही हुआ है सिंधिया परिवार के साथ. इस परिवार की पारंपरिक सीट गुना लोकसभा से ज्योतिरादित्य सिंधिया हार गए हैं. गुना लोकसभा सीट पर ज्यादातर सिंधिया परिवार का कब्जा रहा है. ग्वालियर लोकसभा सीट के बाद गुना सीट ही सिंधिया परिवार की सबसे पसंदीदा सीट है. जहां से सिंधिया परिवार के लोग चुनाव लड़ना पसंद करते हैं. ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं. पिछले चार लोकसभा चुनावों से ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट से लगातार चुनाव जीतते चले आ रहे हैं.



हुड्डा परिवार

हुड्डा परिवार के लिए भी यह चुनाव सही नहीं रहा. राज्य की सभी 10 सीटों पर हरियाणा में बीजेपी जीती थी. हुड्डा परिवार में इस बार पिता और पुत्र दोने की हार हुई. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दिपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव हार गए.


हरियाणा की सबसे हॉट सीट रोहतक में कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा और बीजेपी के अरविंद शर्मा के बीच कांटे का मुकाबला रहा. अंत तक यह सीट फंसी रही. रात करीब 4 बजे अरविंद शर्मा को 7503 मतों से विजयी घोषित किया गया. अरविंद शर्मा को 573845 मत मिले. दीपेंद्र सिंह हुड्‌डा को 566342 मत प्राप्त हुए. वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत चुनाव लड़े था. यहां उन्हें बीजेपीपा प्रत्याशी रमेशचंद्र कौशिक से हार का सामना करना पड़ा.



देवीलाल परिवार

पूर्व सीएम देवीलाल के तीन पोते दुष्यंत चौटाला हिसार से, दिग्विजय चौटाला सोनीपत से और अर्जुन चौटाला कुरुक्षेत्र से चुनाव मैदान में थे. दुष्यंत और दिग्विजय जेजेपी की सीट पर चुनाव लड़ रहे थे तो अर्जुन इनेलो की सीट पर पहली बार चुनाव मैदान में थे. इनमें से महज दुष्यंत चौटाला अपनी जमानत बचा सके. बाकी दोनों की जमानत तक जब्त हो गई. सोनीपत से चुनाव लड़ रहे दिग्विजय चौटाला को महज 4.53 प्रतिशत वोट मिले तो अर्जुन चौटाला को 4.93 प्रतिशत वोट मिले. वहीं दुष्यंत चौटाला को 24.51 प्रतिशत वोट मिले.


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