राजनीतिक विरासत बचाने में कामयाब हुए इन राजनीतिक परिवारों के दिग्गज, दर्ज की बंपर जीत
लोकसभा चुनाव 2019 में कई राजनीतिक परिवारों के उम्मीदवारों ने अपनी विरासत बचाई है. कई राजनीतिक परिवार के उम्मीदवार भारी मतों से जीते हैं.
Lok Sabha Result: लोकसभा चुनाव 2019 में कई परिवारों के किले ध्वस्त हो गए. बिहार में लालू की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई तो वहीं उत्तर प्रदेश में मुलायम परिवार के छह में से चार सदस्य चुनाव हार गए. वहीं चौधरी चरण सिंह के परिवार से पिता और पुत्र दोनों की जोड़ी को शिकस्त मिली. यहां चौधरी अजित सिंह और बेटे जयंत चौधरी दोनों चुनाव हार गए. हरियाणा में भी परिवारों का हाल कुछ ठीक नहीं रहा. हुड्डा परिवार हो या देवीलाल परिवार सबको हार का सामना करना पड़ा.
जहां एक ओर इन परिवारों की हार हुई तो वहीं कुछ परिवार ऐसे भी रहे जो अपने प्रदर्शन के दम पर चमके. ऐसे ही परिवारों में बिहार में रामविलास पासवान का पिरवार है तो वहीं महाराष्ट्र में सरद पवार का परिवार है. आइए जानते हैं इस लोकसभा चुनाव में किन-किन परिवारों के सदस्यों के पक्ष में परिणाम आए..
रामविलास पासवान
रामविलास पासवान की पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी ने सभी छह सीटें जीती है. इस जीत के बाद पार्टी का एनडीए में कद और बढेगा. रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भाई रामचंद्र पासवान और पशुपति कुमार पारस भी चुनाव जीत गए हैं. बेटे चिराग पासवान ने जमुई से जीत दर्ज की तो वहीं पशुपति कुमार पारस हाजीपुर और रामचंद्र पासवान समस्तीपुर से जीत दर्ज की.
पवार परिवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने पश्चिमी महाराष्ट्र की बारामती सीट 1.55 लाख से अधिक वोटों के अंतर से अपने पास बरकरार रखने में सफलता पायी है. बारामती को पवार परिवार को गढ़ माना जाता है. सुले को 6,86,714 वोट मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार कंचन कुल को 5,30,940 मत मिले. सुले को 52.63 फीसदी वोट हासिल हुए जबकि कुल को 40.69 फीसदी वोट हासिल हुए.
हालांकि शरद पवार के भतीजे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार को मावल लोकसभा क्षेत्र में अपने पहले चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा.
कमलनाथ परिवार
मध्य प्रदेश में जहां बीजेपी प्रचंड सीटें जीती वहां एक सीट कांग्रेस बचाने में कामयाब रही. मध्य प्रदेश की 29 में से 28 लोकसभा सीट में बीजेपी ने अपना दम दिखाया. सिर्फ मुख्यमंत्री कमलनाथ की परंपरागत छिंदवाड़ा सीट ही कांग्रेस के हाथ आई. इस सीट से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनावी पारी का आगाज कर रहे थे. पहले दिन से ही उनकी जीत तय मानी जा रही थी और नतीजा भी ऐसा ही आया.
करुणानिधि परिवार
डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने खुद को एक परिपक्व नेता साबित करते हुए, पार्टी को अकेले अपने दम पर लोकसभा चुनाव में भारी जीत दिलाई है और राज्य की 38 में से 37 सीटें उसके खाते में आई है. हालांकि द्रमुक की अगुवाई वाले मोर्चे में कांग्रेस और आईयूएमएल भी शामिल है. एक सीट अन्नाद्रमुक के खाते में जाने की संभावना है. इस तरह वह लोकसभा चुनाव जीतकर करुणानिधि परिवार की विरासत को आगे ले जाने में सफल हुए हैं. वहीं उनकी बहन कनिमोझी तूतीकोरिन लोकसभा सीट से चुनाव जीती हैं.
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