Lok Sabha Election 2019: सपा ने कानपुर में खेला ओबीसी कार्ड, रामकुमार निषाद को बनाया कैंडिडेट
बता दें कि कानपुर लोकसभा ब्राह्मण बहुल सीट है कांग्रेस और बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियां सामान्य वर्ग का ही प्रत्याशी घोषित करती है. लेकिन सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद सपा ने ओबीसी कार्ड खेल कर सभी की धड़कनें बढ़ा दी हैं.
कानपुर: समाजवादी पार्टी ने कानपुर लोकसभा सीट पर ओबीसी कार्ड खेला है. रामकुमार निषाद को सपा ने कैंडिडेट बनाया है. रामकुमार निषाद उन्नाव सदर विधासभा से विधायक भी रह चुके हैं. रामकुमार निषाद के पिता मनोहर लाल कानपुर लोकसभा से 1977 में भारतीय लोकदल पार्टी से सांसद भी रह चुके हैं. कानपुर लोकसभा सीट पर सभी राजनीतिक पार्टियों का फोकस जनरल कैटेगरी के प्रत्याशी को मैदान में उतारने की होती है. लेकिन सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद समाजवादी पार्टी ने ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने के लिए बड़ा दांव खेला है.
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रामकुमार निषाद जाजमऊ वाजिदपुर के रहने वाले हैं. परिवार में पत्नी तारारानी, दो बेटे एकलव्य और अरिजीत हैं ,बेटी मोना की शादी हो चुकी है. रामकुमार निषाद ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से बीएससी की थी. इसके बाद एलएलबी की भी पढ़ाई कानपुर से ही पूरी की.
रामकुमार निषाद ने के पिता मनोहर लाल सक्रिय राजनीति में थे. आपातकाल के दौरान मनोहर लाल जेल भी गए थे. पिता से प्रेरणा लेते हुए रामकुमार निषाद सन 1974 में राजनीति में कूद पड़े. रामकुमार के पिता मनोहर लाल ने 1974 में छावनी विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ा था. पिता के साथ मिलकर रामकुमार ने चुनाव का संचालन किया था. 1975 में जब आपातकाल लगा था तो पिता के साथ इस आन्दोलन में कूद पड़े थे. आपातकाल में गिरफ्तार बंदियों के पैरवी की थी.
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1977 में आपातकाल जब पिता मनोहर लाल को भारतीय लोकदल ने कैंडिडेट बनाया था. उस लोकसभा चुनाव का संचालन किया था जिसमे मनोहर लाल भारीमतों से जीते थे. इसके बाद कानपुर और उन्नाव की विधान सभा चुनावों का संचालन किया. इसके साथ ही उन्नाव की सदर विधानसभा चुनाव से विधायक भी बने.
कानपुर लोकसभा ब्राह्मण बहुल सीट है कांग्रेस और बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियां सामान्य वर्ग का ही प्रत्याशी घोषित करती है. लेकिन सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद सपा ने ओबीसी कार्ड खेल कर सभी की धड़कनें बढ़ा दी हैं. दरअसल कानपुर में ओबीसी और अनुसूचित जाति के साथ ही बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर भी हैं. ओबीसी और मुस्लिम वोटर कांग्रेस पार्टी को भी सपोर्ट करता है.
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कानपुर में 5,16,594 सामान्य वोटर हैं जिसमें ब्राह्मण वोटरों की संख्या 2,90,772 है. क्षत्रिय वोटरों की संख्या 95,500 है ,वैश्य वोटरों की संख्या 90 ,772 है कायस्थ वोटरों की संख्या 39,500 है.
अल्पसंख्यक वोटर कानपुर में अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या 4,07,182 है. जिसमें मुस्लिम वोटरों की संख्या 3,05661 हैं, इसाई वोटरों की संख्या 22261 है, वहीं सिक्ख पंजाबी वोटरों की संख्या 79.560 है.
अनुसूचित जाति अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या 3,81000 है. जिसमें जाटव ,दोहरे ,अहिरवार की संख्या लगभग 01 लाख है. कोरी, वर्मा वोटरों की संख्या 42 हजार के लगभग है. खटिक वोटर की संख्या 65,400 है. दिवाकर, धोबी वोटरों की संख्या 42 हजार के करीब है.
ओबीसी वोटर कानपुर में ओबीसी वोटरों की संख्या 2,90,721 है. ओबीसी में लगभग जातियां शामिल है.
अगर इन आकड़ों पर नजर डाली जाए तो सपा ने अपना कैंडिडेट सपा-बसपा गठबंधन को ध्यान में रखते हुए मैदान में उतारा है. बीजेपी और कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर समर्थन करते थे. लेकिन गठबंधन होने के बाद सपा मुस्लिम, ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने का प्रयास किया है. सपा का कानपुर में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट बैंक है.