नई दिल्लीः चुनाव से चंद महीने पहले सियासी कुश्ती खेलने में माहिर दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने इस बार किसी भी सियासी पार्टी के पक्ष में हिमायत का एलान नहीं किया है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय इस बार खुद तय करे कि वह किसे वोट देना चाहती है.


शाही इमाम ने कहा कि लोकतंत्र में कभी कभी ऐसे मौके आते हैं कि कोई फैसला करना मुश्किल हो जाता है कि कौन से सियासी पार्टी ठीक है और देश का विकास करेगी. ये बहुत नाजुक वक्त है लेकिन मुसलमानों को एक नई हुकूमत बनाने का फैसला करना है.


शाही इमाम अहमद बुखारी ने अपने बयान में कहा, ''लोकतंत्र में यह तय कर पाना काफी मुश्किल होता है कि कौन सी राजनीतिक पार्टी देश को विकास और एकजुटता के रास्ते पर ले जाएगी. ऐसी स्थिति में लोकतांत्रिक चुनावों के दौरान लोगों को, विशेषकर मुस्लिम समुदाय को इस बात का फैसला करना होगा कि एक नई सरकार चुनी जाए.''


उन्होंने कहा, ''बढ़ते धार्मिक उन्माद और कट्टरता हमारे देश के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. इन परिस्थितियों ने सभ्य समाज को गंभीर चिंता में डाल दिया है. हालात यह हो गए हैं कि देश के सुनहरे सिद्धांतों और अनेकता में एकता के बजाय, सांप्रदायिकता का जहर फैलाया जा रहा है.''


बुखारी ने कहा, ''वर्तमान चुनाव देश के राजनीतिक इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है. देश की सामान्य संस्कृति और सभ्यता के अस्तित्व के लिए यह चुनाव दूरगामी परिणाम तय करेंगे.''


बता दें कि देश भर में सात चरणों में मतदान होंगे. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा जबकि 19 मई को सातवें और अंतिम चरण का मतदान होगा. वोटों की गिनती 23 मई को होगी.


जेडीएस अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा ने कहा- चंद्रबाबू नायडू प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकते?


जानिए, अनुच्छेद 370 और 35 A के बारे में जिसको लेकर कश्मीर की सियासत गर्म है