लखनऊ: कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में इस बार मुकाबला यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कभी कांग्रेस के करीबी रहे दिनेश प्रताप सिंह के बीच में है. दरअसल, दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस से विधान परिषद् के सदस्य रह चुके हैं लेकिन पिछले साल उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था और इस बार बीजेपी के टिकट पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं.


रायबरेली सीट पर इस लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में छह मई को मतदान है. कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी 11 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र यहां से दाखिल करेंगी.यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस के पास रही है और 1957 से 2014 तक केवल तीन बार यहां से गैर कांग्रेसी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की.


पहली बार आपातकाल के बाद 1977 में राजनारायन ने इंदिरा गांधी को हराया था, जबकि 1996 और 1998 के चुनाव में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गयी थी. इसके अलावा हर बार इस सीट पर कांग्रेस का ही परचम लहराया है. इस लोकसभा सीट से गांधी परिवार के फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी ने भी लोकसभा की यात्रा की है.


2004 से यह सीट यूपीए अध्यक्ष और कांग्रस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है. इस सीट पर गांधी परिवार की करीबी शीला कौल और सतीश शर्मा भी चुनाव जीत चुके हैं.


अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और तीन उपचुनावों में कांग्रेस ने यहां से 16 बार जीत दर्ज की. 1977 में भारतीय लोकदल और 1996, 1998 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी.


बहुजन समाज पार्टी इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खोल सकी है, जबकि समाजवादी पार्टी लगातार पिछले दो चुनावों से इस सीट पर प्रत्याशी नहीं उतार रही है. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी बसपा, सपा और आरएलडी के गठबंधन ने राहुल और सोनिया के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है.


रायबरेली लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की पांच सीटें आती हैं - बछरावां, हरचन्दपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार । 2017 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों में से दो सीटों पर बीजेपी, दो सीटों पर कांग्रेस जबकि एक सीट पर सपा को जीत मिली थी.


यह भी देखें