नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विपक्षी दलों के 21 नेताओं से कहा कि वे लोकसभा चुनाव में वीवीपैट पर्चियों की गिनती के संबंध में निर्वाचन आयोग के हलफनामे पर अपना जवाब एक सप्ताह के भीतर दाखिल करें. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने मांग की है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक सीट से कम से कम 50 फीसदी ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों की जांच की जानी चाहिए.


चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने विपक्ष के नेताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी से कहा कि वह अगले सोमवार तक इस संबंध में जवाब दाखिल करें. निर्वाचन आयोग ने पिछले शुक्रवार को इस याचिका को रद्द करने का अनुरोध किया था. आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि विपक्ष के नेता वीवीपैट पर्चियों की गिनती के मौजूदा तरीके को बदलने का कोई ठोस कारण नहीं बता सके हैं. फिलहाल प्रत्येक सीट के एक मतदान केन्द्र पर वीवीपैट पर्चियों की क्रम रहित (रैंडम) गिनती की जाती है.


निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को कोर्ट से कहा था कि वीवीपैट की पर्चियों की गणना का वर्तमान तरीका सबसे अधिक उपयुक्त है. आयोग ने प्रति विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र से क्रम रहित तरीके से वीवीपैट की पर्चियों की गणना की प्रणाली को न्यायोचित ठहराया. आयोग ने कहा कि वह किसी भी ऐसे सुझाव पर विचार के लिये तैयार है जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने में सुधार में मदद मिलती हो.


शीर्ष अदालत के 25 मार्च के सवाल के उत्तर में निर्वाचन आयोग ने एक हलफनामा दाखिल किया है. कोर्ट जानना चाहता था कि क्या एक विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र से अकस्मात तरीके से लिये जाने वाले नमूना सर्वेक्षण की संख्या बढ़ाई जा सकती है? आयोग ने इस संबंध में कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि इन याचिकाओं में आगामी चुनाव के मुद्दे उठाये गये हैं जिन पर निर्वाचन आयोग ने विचार किया, अध्ययन किया और निर्णय लिया और इसके बाद वर्तमान तरीके से आगामी चुनाव कराने के बारे में फैसला किया गया.


वीवीपैट गणना की वर्तमान प्रणाली सबसे उपयुक्त- EC
आयोग ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं की याचिका का जिक्र करते हुये कहा कि इसमें इस समय वर्तमान प्रणाली में बदलाव के लिये कोई वजह नहीं बताई गयी है. आयोग ने यह भी कहा कि वर्तमान प्रणाली को आसन्न चुनाव में जारी रहने दिया जाये क्योंकि यह सबसे अधिक उपयुक्त पायी गयी है.


निर्वाचन आयोग ने इस समय विधानसभा चुनाव के लिये एक निर्वाचन क्षेत्र से एक मतदान केन्द्र और लोकसभा चुनाव के मामले में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक-एक मतदान केन्द्र की वीवीपैट पर्चियों की गणना की प्रणाली अपनायी है.


आयोग ने कहा है कि लोकसभा संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र या प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट की 50 फीसदी पर्चियों के सत्यापन के लिये गणना में लगने वाला समय करीब छह दिन बढ़ जायेगा. हलफनामे में कहा गया है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में 400 से अधिक मतदान केन्द्र हैं जिनके लिये वीवीपैट पर्चियों की गणना पूरी करने में करीब आठ-नौ दिन की जरूरत होगी.


आयोग ने कहा कि बढ़ी हुयी वीवीपैट पर्चियों की गणना के लिये चुनाव अधिकारियों के लिये व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी और इसके लिये चुनाव कार्य में तैनात अधिकारियों की संख्या में भी वृद्धि करने की जरूरत पड़ेगी.


अमित शाह ने दी हलफनामे में गलत जानकारी, कार्रवाई का आदेश दे EC- कांग्रेस


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