'19 के खिलाड़ी': गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी नेतृत्व की वकालत करने वाले केसीआर 'किंगमेकर' बनेंगे?
आत्मविश्वास से भरे हुए तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने राज्य की कुल 17 लोकसभा सीटों में से 16 पर अपने उम्मीदवार उतारे और एक सीट एआईएमआईएम के लिए छोड़ी. नतीजे 23 मई को आने हैं. गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी नेतृत्व की बात करने वाले केसीआर पर सबकी नजरे हैं.
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Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में तेलंगाना की सभी 17 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव राज्य की सत्ता संभाल रहे हैं. वो गैर-कांग्रेस और गैर-बीजेपी नेतृत्व की बात करते रहे हैं. बीते दिनों में फेडरल फ्रंट बनाने की कवायद करते भी दिखे थे. इसके तहत उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे नेताओं से भी मुलाकात की थी. देश के सामने कांग्रेस और बीजेपी का विकल्प देने के लिए वे क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट होने के लिए कहते रहे हैं. राज्य की सियासत पर उनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है. ‘तेलंगाना प्राइड’ की राजनीति करने वाले केसीआर के बारे में कहा जा रहा है कि 2019 में बड़ा रोल अदा कर सकते हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद उन्होंने कहा था कि हम राष्ट्रीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं.
तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद केसीआर 2 जून 2014 पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में केसीआर की पार्टी को 63 सीटे मिली थीं. शासन संभालने के बाद बड़ा सियासी दांव खेलते हुए केसीआर ने सवा चार साल बाद ही विधानसभा भंग कर दिया और राज्य में विधानसभा चुनाव हुए. इस विधानसभा चुनाव में केसीआर ने कुल 119 विधानसभा सीटों में से 88 सीटों पर जीत दर्ज की. चुनाव में उन्हें कुल 46.90 फीसदी वोट हासिल हुए और वे दूसरी बार राज्य के सीएम बने.
कांग्रेस से की थी राजनीतिक करियर की शुरुआत
केसीआर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत साल 1970 में यूथ कांग्रेस के सदस्य के रूप में शुरू की. 1970 से 1983 यानी 13 सालों तक वे कांग्रेस के सदस्य रहे. बाद में 1983 में वे तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) में शामिल हो गए. टीडीपी के टिकट पर उन्होंने चार बार विधानसभा चुनाव जीता. आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव की सरकार के दौरान वे मंत्री पद पर भी रहे. इसके बाद साल 2000 में केसीआर को आंध्र प्रदेश विधानसभा का उप सभापति बनाया गया.
अलग तेलंगाना राज्य की मांग के साथ टीडीपी से अलग हुए
अपने राजनीतिक सफर में लगातार आगे बढ़ रहे केसीआर ने साल 2001 में बड़ा सियासी दांव चला और टीडीपी से अलग होने का फैसला किया. इसके बाद ही उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का गठन किया. टीडीपी से अलग होने के बाद उन्होंने तेलंगाना के अलग राज्य की मांग के साथ अपनी मुहिम शुरू कर दी. साल 2009 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने घोषणा की कि तेलंगाना के अलग राज्य के गठन के लिए कदम उठाए जाएंगे. इस घोषणा के बाद केसीआर ने 11 दिन तक चले अपने अनशन को समाप्त किया. साल 2014 में तेलंगाना अलग राज्य बना. इसी साल राज्य की कुल 119 सीटों पर पहला विधानसभा चुनाव हुआ और 63 सीटें जीतकर केसीआर तेलंगाना के पहले सीएम बने.
आत्मविश्वास से भरे हुए केसीआर ने इस बार राज्य की कुल 17 लोकसभा सीटों में से 16 पर अपने उम्मीदवार उतारे. एक सीट उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के लिए छोड़ी. अब 23 मई को आने वाले नतीजों का इंतजार है. ये देखना भी दिलचस्प होगा कि विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस राज्य में कैसा प्रदर्शन करती है.
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