नई दिल्ली: देश में छोटी-बड़ी करीब 2,354 राजनीतिक दल चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव के समय देश में 1709 पार्टियां थीं, जिसमें 464 पार्टियों ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हिस्सा लिया था. चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड 2,354 राजनीतिक दलों में से सात ‘मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय’ और 59 ‘मान्यताप्राप्त राज्य’ पार्टियां हैं.


आम तौर पर चुनाव आने से पहले दलों के रजिस्ट्रेशन का सिलसिला शुरू होता है. इस बार भी लोकसभा चुनाव से पहले ढेर सारे राजनीतिक दलों ने रजिस्ट्रेशन के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया. सिर्फ फरवरी और मार्च के बीच 149 राजनीतिक दलों ने आयोग में रजिस्ट्रेशन करवाया. राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन का यह सिलसिला लोकसभा चुनावों की घोषणा से एक दिन पहले यानी नौ मार्च तक चला.


पिछले साल नवंबर-दिसंबर के दौरान मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मिजोरम और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों से पहले 58 राजनीतिक पार्टियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. हाल में आयोग में रजिस्ट्रेशन करने वाली राजनीतिक पार्टियों में ‘भरोसा पार्टी, ‘राष्ट्रीय साफ नीति पार्टी’ और ‘सबसे बड़ी पार्टी’’ सरीखे राजनीतिक दल शामिल हैं. बिहार के सीतामढ़ी से ‘बहुजन आजाद पार्टी, उत्तर प्रदेश के कानपुर से ‘सामूहिक एकता पार्टी’ और तमिलनाडु के कायंबतूतर से ‘न्यू जेनरेशन पीपुल्स पार्टी’ ने अपना पंजीकरण कराया है.


हालांकि, ये पार्टिया रजिस्टर्ड तो हैं लेकिन गैर-मान्यताप्राप्त हैं. इनका अपना कोई विशिष्ट चुनाव चिह्न नहीं होता है जिसपर ये चुनाव लड़ सकें. इन पार्टियों को चुनाव आयोग से जारी ‘मुक्त चुनाव चिह्नों’ में से किसी एक को चुनना होगा. आयोग के नए सर्कुलर के अनुसार ऐसे 84 चुनाव चिह्न हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इन पार्टियों के उम्मीदवारों को हर चुनाव क्षेत्र में अलग-अलग चुनाव चिह्नों पर भी लड़ना पड़ सकता है.


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