'19 के खिलाड़ी': लगातार बीजेपी पर आलोचनाओं के बाद चुनाव में किया गठबंधन, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की है महत्वपूर्ण भूमिका
एक बार फिर महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा की सीटें हैं. इस बार के चुनाव में भी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर सबकी नजरें हैं. हाल के समय में जिस तरह से उन्होंने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है उससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों दलों का साथ टिकेगा या सिर्फ चुनाव के लिए ही दोनों साथ आए हैं ?
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में महाराष्ट्र राज्य भी काफी महत्वपूर्ण है. महाराष्ट्र की शिवसेना इस चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका में होगी. बालासाहब ठाकरे के निधन के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे शिवसेना के प्रमुख हैं. उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी को नई ऊंचाइयां दी हैं. शिवसेना एनडीए का हिस्सा है और इस बार वह महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव लड़ रही है. उद्धव ठाकरे समय-समय पर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं. कई मौके पर दोनों पार्टियों में खटास भी नजर आई है लेकिन आपसी मतभेदों के बावजूद दोनों पार्टियों के विचार एक-दूसरे से काफी हद तक मिलते हैं. उद्धव ठाकरे अपने पिता की तरह चुनाव नहीं लड़ते लेकिन पार्टी की नीतियों एवं संगठन पर उनकी अच्छी पकड़ और प्रभाव है.
साल 2014 में बीजेपी-शिवसेना न साथ मिलकर महाराष्ट्र में चुनाव लड़ा था और 48 सीटों में से 40 सीटों पर कब्जा किया था. इसमें बीजेपी को 22 और शिवसेना को 18 सीटें मिली थी.2014 के आम चुनाव में शिवसेना राज्य में 22 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि 26 सीटों पर बीजेपी ने. इस बार शिवसेना को एक सीट ज़्यादा मिली है.अब देखना होगा कि पिछले 5 साल तक केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार सवाल खड़े करने वाली शिवसेना को उद्धव ठाकरे इस बार कहां तक ले जा पाते हैं.
बीजेपी के साथ बेशक लोकसभा चुनाव में शिवसेवा ने गठबंधन किया हो लेकिन जिस तरह के रिश्ते पिछले कुछ सालों में दोनों दलों के बीच देखने को मिला है उससे तो यही लगता है कि वह कभी भी राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखते हैं.
ऐसे में कयास यह भी है शिवसेना कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहेगी जिससे अगामी विधानसभा चुनाव के बाद यदि परिणाम अनुकूल होते हैं तो मुख्यमंत्री शिवसेना से ही हो. साथ ही विधानसभा चुनाव में शिवसेना किसी भी सूरत में 'जूनियर' की भूमिका में नहीं दिखना चाहेगी. ऐसे में अगर शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन लोकसभा चुनाव में पिछला प्रदर्शन दोहराती है तो आने वाले वक्त में सीटों की डिमांड पर दोनों दलों में किस कदर एकता बनी रहेगी यह देखना होगा.
उद्धव ठाकरे का राजनीतिक सफर
जब तक बाला साहेब ठाकरे राजनीति में सक्रिय रहे तो उद्धव राजनीतिक परिदृश्य से लगभग दूर ही रहे. वह इस दौरान 'सामना' का संपादन करते रहे. साल 2000 में वह सक्रिय राजनीति में आए. साल 2002 में बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (बीएमसी) के चुनावों में शिवसेना ने शानदार प्रदर्शन किया और इस जीत का पूरा श्रेय उद्धव ठाकरे को गया. इसके बाद साल 2003 में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अधिकारी बनाया गया. इसके बाद बाल ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव को उत्तराधिकारी चुना और इसी बात से नाराज होकर राज ने 2006 में पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी का गठन किया. उद्धव ठाकरे ने रश्मि ठाकरे से शादी की है और उनके दो बेटे आदित्य और तेजस हैं. उनका बड़ा बेटा आदित्य दादा और पिता की तरह राजनीति में सक्रिय है और शिवसेना की युवा संगठन युवा सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष है.
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