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VIP Candidate: जानिए पीएम नरेंद्र मोदी का गुजरात की राजनीति से दिल्ली तक का सियासी सफर

26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया. वह भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री बने लेकिन उनका यह सफर कभी आसान नहीं रहा.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वाराणसी से नामांकन पर्चा भरेंगे. इस दौरान  नामांकन कार्यक्रम में नीतीश कुमार, प्रकाश सिंह बादल, उद्धव ठाकरे, रामविलास पासवान समेत एनडीए के कई बड़े नेता मौजूद रहेंगे. पिछले लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी ने वाराणसी से जीत दर्ज की थी. साल 2014 में पीएम मोदी वाराणसी के अलावा वडोदरा से भी चुनाव लड़े थे. उन्होंने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की है. वाराणसी में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल 3,71,784 वोटों के अंतर से हरा दिया था. वाराणसी में नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले हैं. वहीं, दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.

वाराणसी के अलावा पीएम मोदी ने वडोदरा से भी जीत दर्ज की थी. उन्होंने वडोदरा सीट से इस चुनाव की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी. वडोदरा से पीएम मोदी ने अपने निकतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री को 5,70,128 मतों से हराया.

26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया. वह भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री बने लेकिन उनका यह सफर कभी आसान नहीं रहा. 17 सितंबर 1950 को भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के 3 साल बाद नरेंद्र मोदी दामोदरदास मोदी और हीराबा मोदी के घर पैदा हुए. वह अपने माता-पिता के छठे संतान हैं.

बचपन में नरेंद्र मोदी का परिवार काफी गरीब था और इसलिए जीवन संघर्ष भरा रहा. पूरा परिवार एक छोटे से एक मंजिला घर में रहता था. उनके पिता स्थानीय रेलवे स्टेशन पर एक चाय के स्टाल पर चाय बेचते थे. शुरुआती दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी भी अपने पिता का हाथ बटाया करते थे.

निजी जिंदगी के संघर्षों के अलावा पीएम मोदी एक अच्छे छात्र भी रहे. उनके स्कूल के साथी नरेंद्र मोदी को एक मेहनती छात्र बताते हैं और कहते हैं कि वह स्कूल के दिनों से ही बहस करने माहिर थे. काफी समय पुस्तकालय में बिताते थे. साथ ही उन्हें तैराकी का भी शौक था. नरेंद्र मोदी वड़नगर के भगवताचार्य नारायणाचार्य स्कूल में पढ़ते थे. पीएम मोदी बचपन से ही एक अलग जिंदगी जीना चाहते थे और इसलिए पारम्परिक जीवन में नहीं बंधे.

बचपन में होना चाहते थे सेना में शामिल

बचपन में पीएम मोदी का सपना भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करने का था, हालांकि उनके परिजन उनके इस विचार के सख्त खिलाफ थे. नरेन्द्र मोदी जामनगर के समीप स्थित सैनिक स्कूल में पढ़ने के बेहद इच्छुक थे, लेकिन जब फीस चुकाने की बात आई तो घर पर पैसों का घोर अभाव सामने आ गया. नरेंद्र मोदी बेहद दुखी हुए.

पीएम मोदी का राजनीतिक सफर

बचपन से ही उनका संघ की तरफ खासा झुकाव था और गुजरात में आरएसएस का मजबूत आधार भी था. वे 1967 में 17 साल की उम्र में अहमदाबाद पहुंचे और उसी साल उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली. इसके बाद 1974 में वे नव निर्माण आंदोलन में शामिल हुए. इस तरह सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे.

इसके बाद 1980 के दशक में वह गुजरात की बीजेपी ईकाई में शामिल हुए. वह 1988-89 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात ईकाई के महासचिव बनाए गए. नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका अदा की. इसके बाद वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कई राज्यों के प्रभारी बनाए गए.

इसके बाद साल 1995 में उन्हें पार्टी ने और ज्यादा जिम्मेदारी दी. उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया. इसके बाद 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया. इस पद पर वो अक्‍टूबर 2001 तक रहे. लेकिन 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई.

प्रधानमंत्री मोदी ने जब साल 2001 में मुख्यमंत्री की पद संभाली तो सत्ता संभालने के लगभग पांच महीने बाद ही गोधरा कांड हुआ जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए. इसके ठीक बाद फरवरी 2002 में ही गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ़ दंगे भड़क उठे. इस दंगे में सैकड़ों लोग मारे गए. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौर किया तो उन्होंनें उन्हें 'राजधर्म निभाने' की सलाह दी.

गुजरात दंगो में पीएम मोदी पर कई संगीन आरोप लगे. उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाने की बात होने लगी तो तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी उनके समर्थन में आए और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने रहे. हालांकि पीएम मोदी के खिलाफ दंगों से संबंधित कोई आरोप किसी कोर्ट में सिद्ध नहीं हुए हैं.

दिसंबर 2002 के विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनावों में और फिर 2012 में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी गुजरात विधानसभा चुनावों में जीती.

साल 2009 के लोकसभा चुनावों के बाद बढ़ा कद

2009 के लोकसभा चुनाव बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी को आगे रखकर लड़ा था, लेकिन यूपीए के हाथों शिकस्त झेलने के बाद आडवाणी का कद पार्टी में घटने लगा था. दूसरी पंक्ति के नेता तेजी से उभर रहे थे- जिनमें नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली शामिल थे. नरेंद्र मोदी इस समय तक गुजरात में दो विधानसभा चुनावों में लगातार जीत हासिल कर चुके थे और उनका कद राष्ट्रीय होता जा रहा था और जब 2012 में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की, तब तक ये माना जाने लगा था कि अब मोदी राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करेंगे. ऐसा ही हुआ भी जब मार्च 2013 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी संसदीय बोर्ड में नियुक्त किया गया और सेंट्रल इलेक्शन कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाया गया. वो एकमात्र ऐसे पदासीन मुख्यमंत्री थे, जिसे संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया था. ये साफ तौर पर संकेत था कि अब मोदी ही अगले लोकसभा चुनावों में पार्टी का मुख्य चेहरा होंगे.

साल 2014 में बने देश के प्रधानमंत्री

13 सितम्बर 2013 को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों के लिये प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसकी घोषणा की. एक सांसद प्रत्याशी के रूप में उन्होंने देश की दो लोकसभा सीटों वाराणसी और वडोदरा से चुनाव लड़ा और दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से विजयी हुए. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2014 के चुनावों में अभूतपूर्व सफलता भी प्राप्त की. अकेले बीजेपी ने 282 सीटों पर विजय प्राप्त की. नरेन्द्र मोदी का 26 मई 2014 से भारत के 15वें प्रधानमन्त्री का कार्यकाल राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित शपथ ग्रहण के बाद शुरू हुआ.

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