Lok Sabha Election 2019: 17 वीं लोकसभा के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है. चुनाव में ज्यादातर पार्टियां या तो गठबंधन कर चुकी है या चुनाव बाद गठबंधन के मूड में है. मुख्यतौर पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) और बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बीच मुकाबला है. इन दो फ्रंट के अलावा कुछ ऐसी मजबूत क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो राज्यवार गठबंधन कर मैदान में है. ये पार्टियां एनडीए या यूपीए को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर या तो थर्ड फ्रंट का फॉर्मूला पेश कर सकती है या एनडीए या यूपीए में जाने के लिए अपने शर्तों पर गठबंधन को झुका सकती हैं.


वो पार्टियां जो एनडीए के साथ हैं
सत्तारूढ़ एनडीए की बागडोर बीजेपी के पास है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 543 सीटों में से 282 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वैसे तो एनडीए में 30 से अधिक पार्टियां शामिल हैं लेकिन 7 बड़ी क्षेत्रीय पार्टी है जो बीजेपी के लिए मददगार साबित होंगी.


जेडीयू-एलजेपी (बिहार)
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अध्यक्ष नीतीश कुमार 2017 के मध्य में आरजेडी से गठबंधन तोड़कर एनडीए में शामिल हो गए थे. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट है. नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने से सत्तारूढ़ दल को काफी फायदे की उम्मीद है. ज्यादातर सर्वे में दावा किया गया है कि एनडीए को 30 से अधिक सीटें मिल सकती है.


2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ी थी और उसे मात्र दो सीटें मिली थी. वहीं बीजेपी को 22 सीटों पर जीत मिली थी. बिहार में एनडीए में रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी भी शामिल है. 2014 के चुनाव में एलजेपी को 6 सीटें मिली थी.


शिवसेना (महाराष्ट्र)
उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना एनडीए की सबसे पुराने सहयोगियों में से एक है. बीजेपी पर तमाम तरह के आरोप लगाने के बावजूद वह चुनावों में बीजेपी के साथ है. 2014 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को बड़ी सफलता मिली थी. शिवसेना ने 18 और बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी. शिवसेना-बीजेपी गठबंधन का मुकाबला कांग्रेस-एनसीपी से है.


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अकाली दल (पंजाब)
पूर्व के चुनावों की तरह ही प्रकाश सिंह बादल की शिरोमणि अकाली दल (शिअद) एनडीए में है. 2014 के लोकसभा चुनाव में शिअद ने कुल 13 सीटों में से 4 पर जीत दर्ज की थी. वहीं बीजेपी ने दो सीटें जीती. तब पंजाब में बीजेपी-शिअद की सरकार थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिअद गठबंधन को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 2014 के चुनाव में कांग्रेस तीन और आम आदमी पार्टी चार सीटों पर चुनाव जीती थी.


एआईएडीएक और पीएमके
दक्षिण भारत में सत्ता में जनाधार मजबूत करने में जुटी बीजेपी ने हाल ही में एआईएडीएक और पीएमके को एनडीए में शामिल करवाया है. राज्य में 39 सीटें है. चुनाव में बीजेपी पांच सीटों और पीएमके 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 2014 के चुनाव में एआईएडीएमके को 37 सीटों पर कामयाबी मिली थी. लेकिन जयललिता के निधन के बाद से सूबे में एआईएडीएमके की स्थिति कमजोर हुई है. 2014 में एक-एक सीट पर पीएमके और बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. तमिलनाडु में एआईएडीएक, पीएमके (एस रामदॉस की पार्टी) और बीजेपी के गठबंधन का मुकाबला कांग्रेस और उसकी सहयोगी डीएमके से है.


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अपना दल (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही एनडीए में अपना दल शामिल है. हालांकि समय-समय पर अपना दल अध्यक्ष अनुप्रिया पटले बीजेपी से नाराजगी जताती रही हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में से बीजेपी ने 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं अपना दल ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था.


वो पार्टियां जो UPA के साथ हैं
2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के हाथों करारी शिकस्त खाने वाली यूपीए के साथ मुख्यतौर पर छह पार्टियां है. यूपीए की बागडोर सोनिया गांधी के हाथों में हैं, जो अन्य बीजेपी विरोधी दलों को मनाने का माद्दा रखती हैं.


आरजेडी (बिहार)
बिहार में कांग्रेस, लालू यादव की पार्टी आरजेडी, जीतन राम मांझी की पार्टी हम, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी मिलकर चुनाव लड़ रही है. सभी दल केंद्र में यूपीए के साथ है. महागठबंधन का मुकाबला बीजेपी और आरजेडी गठबंधन से है. 2014 के लोकसभा चुनाव में आरेजेडी ने 4, आरएलएसपी ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2014 में आरएलएसपी बीजेपी के साथ थी.


डीएमके और एमडीएमके (तमिलनाडु)
तमिलनाडु में कांग्रेस, डीएमके और एमडीएमके के गठबंधन का मुकाबला एआईएडीएक, पीएमके (एस रामदॉस की पार्टी) और बीजेपी के गठबंधन से है. 2014 के लोकसभा चुनाव में तीनों पार्टियां एक भी सीट जीतने में नाकामयाब रही थी. हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस, डीएमके और एमडीएमके गठबंधन को अच्छी सफलता मिलने की उम्मीद है. सूबे में लोकसभा की 39 सीटें है.


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जेडीएस (कर्नाटक)
कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन किया था. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस ने लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का एलान किया है.


एनसीपी (महाराष्ट्र)
शरद यादव की पार्टी एनसीपी कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. उन्हें सभी विपक्षी पार्टियों से भी कांग्रेस के साथ आने की अपील की है. महाराष्ट्र में एनसीपी की अच्छी पकड़ है. कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का मुकाबला बीजेपी-शिवसेना गठबंधन से है. महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं.


नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू कश्मीर)
जम्मू-कश्मीर के छह लोकसभा सीटों पर पांच चरणों में वोट डाले जाएंगे. सूबे में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस साथ चुनाव लड़ेगी.


वो पार्टियां जो न ही एनडीए के साथ हैं और न ही यूपीए के साथ हैं
करीब-करीब 13 बड़ी क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो न तो एनडीए के साथ है और न ही यूपीए के साथ हैं. इनमें टीएमसी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी, टीआरएस, बीजेडी, एजीपी, पीडीपी, वामदल, आम आदमी पार्टी शामिल है. ये सभी पार्टियां समय-समय पर थर्ड फ्रंट की वकालत करती रही हैं.


उत्तर प्रदेश
सबसे अधिक 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (एसपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन किया है. बीएसपी अध्यक्ष मायावती कांग्रेस और बीजेपी पर हमलावर रही हैं.


दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की लाख कोशिशों के बावजूद कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पास दिल्ली में एक भी सीट नहीं है.


वामदलों ने केरल में अकेले जबकि पश्चिम बंगाल में कुछ सीटों पर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी अकेले चुनाव लड़ेगी.


ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी, आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और असम में प्रफुल्ल महंता की पार्टी एजीपी अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ रही है.