Lok Sabha Election 2019: 25 लोकसभा और 175 विधानसभा सीटों वाले आंध्र प्रदेश की राजनीति में वाई एस जगनमोहन रेड्डी बड़ा नाम हैं. इस बार राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों के लिए वोटिंग हो चुकी है. नतीजे 23 मई को आने हैं. आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन रेड्डी विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं. इनपर सबकी नजरें हैं. मौजूदा सीएम चंद्रबाबू नायडू और जगनमोहन के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने 175 में 67 सीटे जीती थीं लोकसभा चुनाव में आठ सीटे मिली थीं.


2014 में चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर सीएम बनने में कामयाब जरूर हो गए लेकिन वोट शेयर के मामले में जगनमोहन ने उन्हें कड़ी टक्कर दी. नायडू की पार्टी तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) को 44.90 फीसदी वोट मिली थे जबकि जगनमोहन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस 44.60 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर थी. दोनों वोट शेयर में महज 0.30 का अंतर रहा. इसतरह से जगनमोहन का राज्य की सियासत में ग्राफ बढ़ा है.


बीते सालों में जगनमोहन रेड्डी राज्य की नायडू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. उन्होंने राज्य में भर में तीन हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की पदयात्रा की है. इस दौरान वो लोगों से मिलते रहे और चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश में जुटे रहे. चाहे किसान हों या युवा, जगनमोहन पदयात्रा के दौरान हर वर्ग के लोगों से मिले हैं. जनता के बीच उन्होंने इस यात्रा के जरिए अपनी मौजूदगी पुख्ता तरीके से दर्ज कराई.


बिजनेस से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले जगनमोहन रेड्डी साल 2009 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ते हुए कडपा से पहली बार सांसद बने. इस तरह से कांग्रेस के साथ उनका राजनीतिक कैरियर शुरू हुआ लेकिन आगे चलकर वे कांग्रेस के धुर-विरोधी बन गए. दरअसल साल 2009 में ही जगनमोहन के पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई. राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद राज्य में सीएम की कुर्सी खाली हो गई. जगनमोहन चाहते थे कि कांग्रेस उन्हें सीएम बनाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके लिए उन्होंने खूब जोर भी लगाया लेकिन कांग्रेस ने उनकी इच्छा को पूरा नहीं होने दिया. जगनमोहन इससे नाराज हो गए.


जगनमोहन के पिता राजशेखर रेड्डी दो बार राज्य के सीएम रहे. वे कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे. जनता के बीच उनके लिए बेहद प्रेम और सम्मान था. उनकी मौत के बाद लोगों में सहानुभूति की लहर थी. इसी को देखते हुए 2010 में जगनमोहन रेड्डी पदयात्रा पर निकल गए. नवंबर 2010 में ही उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और मार्च 2011 में उन्होंने अपनी नई पार्टी वाईएसआर कांग्रेस बनाई. नई पार्टी बनाने के बाद मई 2011 में हुए कडपा लोकसभा उपचुनाव में जगनमोहन ने कांग्रेस के उम्मीदवार को भारी अंतर से हरा दिया. इसके बाद 2014 में वे विधायक बने. 16 मई 2014 से वे विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं.


कुल मिलाकर जगन मोहन रेड्डी अपने पिता और पूर्व सीएम राजशेखर रेड्डी की विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ आंध प्रदेश के मौजूदा सीएम चंद्रबाबू नायडू अपने ससुर और दिग्गज नेता एनटी रामाराव की विरासत संभाल रहे हैं. ऐसे में 23 मई को इस बात का फैसला होगा कि कौन अपनी विरासत को कितना संभाल पाया है और आंध्र प्रदेश की कमान किसके हाथ में जाएगी.