हजारीबागः राजनीति में कई ऐसे मौके आते हैं जब रिश्ते, दोस्ती और दुश्मी का ऐसा घालमेल होता है कि पता ही नहीं चलता कि आखिर हो क्या रहा है. ठीक उसी तरह यहां न तो कोई हमेशा के लिए विरोधी होता है और न हीं कोई विरोध. कुछ इसी तरह का वाक्या देखने को मिला कल हजारीबागा में जब यशवंत सिन्हा वोट डालने मतदान केंद्र पहुंचे.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपना वोट डाला. उन्होंने अपना वोट हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में ही डाला. यहां से उनके बेटे और मौजूदा मोदी सरकार में मंत्री जयंत सिन्हा चुनावी मैदान में हैं.
ऐसे में यशवंत सिन्हा के सामने असमंजस सी स्थिति बन गई होगी कि क्या अपने बेटे को वोट के जरिए समर्थन करें या अपने वोट के जरिए उस पार्टी का विरोध करें जिसका विरोध पिछले कई साल से कर रहे हैं.
यशवंत सिन्हा के सामने संभवतः दो प्रश्न खड़े हुए होंगे कि क्या वह जयंत सिन्हा के पिता होने का धर्म निभाएं या सरकार विरोधी रुख पर कायम रहें.
अब लोगों के बीच यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या उन्होंने अपने बेटे का समर्थन किया या विरोध. अगर वह अपने बेटे का समर्थन करते हैं तो उसी पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे जिससे उनकी नाराजगी है.
अगर वह अपने बीजेपी के पक्ष में वोट नहीं देते हैं तो वह अपने बेटे को भी अपने मत के जरिए समर्थन नहीं कर रहे हैं. बता दें कि भारत में मतदान एक गुप्त प्रक्रिया है. कौन किसे वोट डाला यह पूछने का अधिकार किसी को नहीं है. लेकिन, यशवंत सिन्हा के वोट डालने के बाद फिजाओं में यह सवाल तो तैरना लाजिमी है.
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