Lok Sabha Election 2024 Amethi Political Equation: लोकसभा चुनाव के लिए दो फेज के लिए वोटिंग हो चुकी है. इसके साथ ही केरल की वायनाड सीट पर भी चुनाव खत्म हो गया है. खबर आ रही थी कांग्रेस केरल के वायनाड में वोटिंग खत्म होने का इंतजार कर रही थी और वोटिंग खत्म होने के बाद अमेठी और रायबरेली सीट के उम्मीदवारों का ऐलान करेगी. दोनों सीटों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. अमेठी और रायबरेली से प्रत्याशी कौन होगा? कांग्रेस के लिए ये एक बड़ा सवाल बन गया है. ऐसे में पक्की खबर क्या है, इस रिपोर्ट के जरिए जानिए.
कांग्रेस पार्टी के लिए पावर सेंटर रहे अमेठी के कांग्रेस कार्यालय की रंगाई-पुताई चल रही है. वहां 'राहुल बिन अमेठी सून' के पोस्टर दिखने लगे हैं. नेताओं का जमघट भी दिखने लगा है, क्योंकि खबर है जल्द ही राहुल गांधी अमेठी कैंप करने वाले हैं औ वो यहां से चुनाव लड़ेंगे. खुद राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं. राहुल गांधी ने कहा है कि अमेठी पर जो भी मुझे ऑर्डर मिलेगा, उसका फैसला CEC में होगा. वहीं कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा है कि अमेठी और रायबरेली सीट को लेकर एक दो दिन में सब स्पष्ट हो जाएगा.
स्मृति ईरानी अमेठी के रण को जीतने के लिए जीजान से जुटी हुई हैं. उन्होंने रविवार (28 अप्रैल) की शुरूआत राम मंदिर में राम लगा के दर्शन के की तो अमेठी के कई मंदिरों में दर्शन पूजन किया. स्मृति ईरानी ताबड़तोड़ प्रचार के साथ कांग्रेस पर हमले भी कर रही हैं और अमेठी में किए कामकाज का हिसाब भी गिनवा रही हैं.
अमेठी कांग्रेस के वर्चस्व की सबूत
अमेठी सिर्फ लोकसभा की एक सीट नहीं है, ये राजनीति में गांधी परिवार और कांग्रेस के वर्चस्व का साक्ष्य है. संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी अमेठी से सांसद रह चुके हैं. जब देश की राजनीति में कांग्रेस शिखर पर थी तो अमेठी में कांग्रेस का सिक्का चलता था. आज कांग्रेस हाशिए पर है तो इसका असर अमेठी में भी दिख रहा है.
अमेठी क्यों गांधी परिवार का गढ़?
पिछले 42 साल में अमेठी में 11 चुनाव और 2 उपचुनाव हुए हैं. इनमें से कांग्रेस ने 11 चुनावों में जीत दर्ज की है. बीजेपी सिर्फ दो चुनावों में अमेठी जीत सकी है. 1998 और 2019 में ही बीजेपी को अमेठी से जीत मिली है. इसलिए कांग्रेस के मन में अमेठी की हार की टीस बरकरार है और ये दर्द तब और बढ़ जाता है, जब स्मृति ईरानी का जिक्र आता है. स्मृति ने कांग्रेस के गढ़ में कांग्रेस के भविष्य यानी राहुल गांधी को हराया था.
2019 में क्यों हारे राहुल गांधी?
2014 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के सामने बीजेपी ने स्मृति ईरानी को चुनाव लड़ाया. यूपीए सरकार की एंटी-इनकम्बेंसी, करप्शन, महंगाई और मोदी लहर के बाद भी राहुल गांधी ने अमेठी सीट बचा ली. हालांकि 2009 में राहुल की जीत का मार्जिन 3.7 लाख रहा, जो 2014 में घटकर 1.07 लाख पर आ गया और आखिरकार साल 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55 हजार वोटों से पटखनी दे दी. 2019 में स्मृति ईरानी की जीत कोई एक चुनाव की लहर का नतीजा नहीं थी, उन्होंने सिस्टमैटिक तरीके से अमेठी के हर इलाके में राहुल गांधी के वोटर्स में सेंधमारी की. पहले 2014 में हार का अंतर घटाया और फिर 2019 में जीत दर्ज की.
विधानसभा चुनाव में भी दिखा पैटर्न
विधानसभा चुनाव में भी ये पैटर्न दिख गया था. अमेठी जिले में 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर लगभग 34 प्रतिशत रहा था, जो 2012 के विधानसभा चुनाव में घटा और ये लगभग 30 प्रतिशत पर आ गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में में तो ये 25 फीसदी से भी नीचे आ गया. 2022 के विधानसभा चुनाव में में अब तक के सबसे कम प्रतिशत 14 फीसदी पर पार्टी पहुंच गई. 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अमेठी लोकसभा की पांच में से दो विधानसभा पर जीत हासिल की. साथ ही हर सीट पर जीत का अंतर लगभग 22 हजार से लेकर 77 हजार तक रहा.
क्या आउट ऑफ पेस दिख रहे राहुल?
वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी कहते हैं कि 2014 से स्मृति ईरानी ने राहुल के गढ़ अमेठी में सेंधमारी शुरू की, 2019 में गांधी परिवार के विजय रथ को रोक दिया. पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानें तो राहुल गांधी 2024 में अमेठी से आउट ऑफ पेस दिख रहे हैं, जिसकी वजह भी हैं.
पहली वजह अमेठी से दूरी
2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने वादा किया था कि अगर वो अमेठी से जीतती हैं तो जनता को उनसे मिलने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा. अपने वादे पर खरा उतरते हुए स्मृति ने फरवरी 2024 में अमेठी में अपना घर बनाया. अपने पति के साथ गृह प्रवेश किया, इसके लिए 22 हजार लोगों को निमंत्रण पत्र भेजा गया था. स्मृति ईरानी की इस कोशिश को लोकसभा चुनाव के पहले अमेठी में बड़े संदेश की बात कही गई. अगर आंकड़ों पर निगाह डालें तो साल 2020 से 2023 तक स्मृति ईरानी ने एक दर्जन से ज्यादा दौरे किए हैं. दूसरी तरफ, राहुल गांधी ने 2019 की हार के बाद अमेठी से दूरी बना ली.
कब-कब अमेठी आए राहुल गांधी
9 जुलाई 2019 को अपनी हार के कारणों की समीक्षा करने के करीब 900 दिन बाद 18 दिसंबर 2021 में राहुल पहली बार अमेठी पहुंचे. इसके बाद राहुल गांधी. लगभग 70 दिन के बाद 25 फरवरी 2022 को अमेठी गए. राहुल गांधी आखिरी बार 19 फरवरी 2024 को भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर 725 दिन के बाद अमेठी आए थे. हालांकि कांग्रेसी नेता ऐसा नहीं मानते. कांग्रेस नेता योगेंद्र मिश्रा कहते हैं. राहुल गांधी गायब नहीं थे, जगदीशपुर से पदयात्रा निकाले थे, चुनाव हारने के बाद भी आये थे. कोरोना काल में अमेठी में ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाई थी. कोरोना काल में स्मृति ईरानी दिखाई भी नहीं दी कि उन्हें कोरोना हो जाएगा.
दूसरी वजह सिपहसालारों ने पार्टी छोड़ी
दूसरी वजह जानने से पहले केरल के वायनाड में दिया गया राहुल गांधी के भाषण में दूसरी वजह का मर्म छिपा है.. 16 अप्रैल को राहुल गांधी ने कहा था, जब भी मैं वायनाड आता हूं तो आप मुझे ऐसा महसूस कराते हैं जैसे मैं घर आ गया हूं. स्मृति ईरानी ने भी वायनाड को लेकर राहुल गांधी पर वार किया है. स्मृति ईरानी ने कहा, वायनाड में लड़ रहे थे तो उसी को अपना परिवार बता दिए. लोगों को रंग बदलते मैंने देखा है, लेकिन परिवार बदलते पहली बार देखा है. अब कहेंगे एक परिवार वायनाड में है एक परिवार अमेठी में है. औरत का जब ब्याह हो जाता है तो वह ससुराल को सब कुछ मान लेती है, लेकिन फिर भी वह अपने मायके को नहीं छोड़ती है. यह तो 15 साल जीतकर लापता हैं, थे और हारकर 5 साल भाग गए.
क्या इसलिए खिसक रहा पारंपरिक किला?
अमेठी से दूरी और हाल के दिनों में वायनाड से नजदीकी दिखाने के चक्कर में कांग्रेस के हाथ से अमेठी की पारंपरिक किला भी खिसक रहा है. उसे बचाए रखने वाले वाले सिपहसलार भी. गांधी परिवार को अमेठी में स्थापित करने वाले डॉ. संजय सिंह 2019 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. साल 2017 में जंगबहादुर सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसी साल स्मृति ईरानी की मौजूदगी में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव राजेश्वर सिंह समेत दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए थे. ऐसे में राहुल गांधी अगर अमेठी से भी मैदान में उतरते हैं तो खुद उनके लिए ये एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है
तीसरी वजह, अखिलेश के साथ गठबंधन
कांग्रेस और गांधी परिवार बिल्कुल भी नहीं चाहता कि पार्टी अपनी पारंपरिक सीटों और खास तौर पर उत्तर भारत की इलेक्टोरल पॉलिटिक्स से बाहर हो जाए. इस बार पार्टी ने उत्तर प्रदेश में एक बार फिर समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया है. यूपी में कांग्रेस के हिस्से 17 सीट जरूर आई हैं, लेकिन उसे समाजवादी पार्टी के पारंपरिक वोट बैंक और कैडर के साथ-साथ SP के इमोशनल वोटर्स का साथ मिलने की पूर संभावना है. राहुल गांधी कहा कहना है कि हमने ओपन माइंडेड तरीके से सीट शेयरिंग की है.
BJP के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी
उत्तर प्रदेश सरकार ने अमेठी के संजय गांधी अस्पताल को सील कर दिया था. ये मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद हाईकोर्ट ने अस्पताल खोलने के निर्देश दिए. सरकार के इस रवैये को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है, इसका फायदा राहुल गांधी को मिल सकता है. कांग्रेस नेता योगेंद्र मिश्रा के मुताबिक, अमेठी की धरती राजीव गांधी को जिताकर प्रधानमंत्री बनाया था, स्मृति ईरानी ने अमेठी में जहर घोलने का काम किया हैं, जनता त्रस्त हैं.
पार्टी के इंटरनल सर्वे में राहुल को फायदा
15 अप्रैल से पहले कांग्रेस ने यूपी की अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर इंटरनल सर्वे करवाया, जहां से पार्टी को सकारात्मक संकेत मिले हैं. सीटों पर गांधी परिवार को लेकर रिपोर्ट अच्छी है. रिपोर्ट में दोनों सीटों पर गांधी परिवार के सदस्य को ही कैंडिडेट बनाने पर जोर दिया गया है. एबीपी न्यूज ने अमेठी के बाद रायबरेली में ग्राउंड सर्वे किया. वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी कहते हैं कि एक थ्योरी है कि कांग्रेस पार्टी को राहुल गांधी को रायबरेली और अमेठी से प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारना चाहिए.
बीजेपी ने अभी तक नहीं उतारा कोई उम्मीदवार
रायबरेली में BJP ने भी अभी तक किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. जिले में ये भी चर्चा है भारतीय जनता पार्टी वरुण गांधी को भी इस सीट से उतार सकती है. कयासों और दावों के दौर के बीच अमेठी और रायबरेली में पांचवे फेज में मतदान होना है, जहां नॉमिनेशन फाइल करने की आखिरी तारीख 3 मई को है, ऐसे में सभी को इतंजार है कांग्रेस के उस फैसले का, जिसमें जवाब निकलेगा की रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस की तरफ से कौन होगा उम्मीदवार होगा?
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