Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले घोसी में हुए उपचुनाव में दलित वोट मनमुताबिक न मिलने से बीजेपी की चिंता बढ़ने लगी है. इस वोट बैंक को दुरुस्त करने के लिए पार्टी बड़े स्तर पर तैयारी कर रही है. उपचुनाव के ट्रेंड देखें तो यह वोट बैंक बसपा की गैर मौजूदगी में बीजेपी के बजाय किसी अन्य दल में शिफ्ट हो गया है. इसे सहेजने के लिए बीजेपी ने प्रयास भी करने शुरू कर दिए हैं.


राजनीतिक जानकर बताते हैं कि दलित वोट पाने के लिए लगभग हर दल अपने हिसाब से लगे हैं. लेकिन बीजेपी ने जो 80 सीटे जीतने का लक्ष्य रखा हैं, इसमें बैगर दलित वोट मिले इनका कल्याण नहीं होंने वाला है. पार्टी को घोसी चुनाव से समझ में आ रहा है कि राशन और घर तो इन्हें मिला है. लेकिन इसको भुनाने में कहीं न कहीं कमी रह गई है. उसे पूरा करना होगा.


इन तीन चुनावों में बीजेपी को दलित वोट न के बराबर

बीजेपी के एक बड़े नेता ने बताया कि हमारी सरकार ने भले ही दलितों के तमाम योजनाएं चलाई हो, लेकिन कहीं न कहीं यह लोग हमसे दूर हो रहे हैं जो कि चिंता का विषय है. इसके लिए पार्टी को जागरूकता के तौर पर लेना होगा. बिना इनके लोकसभा चुनाव में मिले लक्ष्य को पाना मुश्किल है.


वरिष्ठ राजनीतिक जानकर प्रसून पांडेय कहते हैं कि अगर दलित वोट की बात करें तो सबसे ताजा उदाहरण घोसी का है. इस विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी. लेकिन पार्टी को जीत नहीं मिल सकी. बसपा के मैदान में न होने का फायदा भी सपा को मिला. बीजेपी के लिए यह चिंता की लकीरें बढ़ा रहा है. अगर ट्रेंड को देखें तो चाहे मैनपुरी हो, खतौली हो या फिर घोसी -- तीनों चुनावों में बीजेपी को दलित वोट न के बराबर ही मिला है. इसके आंकड़े भी गवाह हैं.


सपा को यहां पर करीब 57 फीसद वोट मिले हैं जबकि बीजेपी 37.5 प्रतिशत वोट हासिल कर सकी. यहां बसपा ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. जबकि 2022 के आंकड़े बताते हैं कि सपा को 42.21, बीजेपी को 33.57 और बसपा को 21.12 प्रतिशत वोट मिले थे. खतौली और मैनपुरी में भी कमोबेश यही हालत दिखते हैं. बीजेपी को एक बार दलित वोट पाने के लिए फिर कड़ी मेहनत करनी होगी. उनको विश्वास दिलाकर ही आगे सफलता हासिल की जा सकती है.


बीजेपी दलित वोट जुटाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करेगी

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा कहते हैं कि दलित मतदाताओं में यह संदेश चला गया है कि उनकी नेता मायावती टिकट देती थी. उसके बदले में कुछ न कुछ लेती थी. अब उन्होंने भी तय किया है कि वह वोट उसी को देंगे जो उनकी तत्काल मदद करेगा. ऐसा जमीन पर देखने को मिल रहा है. वह तत्काल मदद पर यकीन कर रहे हैं. पहले चाहे राशन दिया हो या अन्य सुविधा दी हो. लेकिन किसी भी पार्टी को यह नहीं मानना चाहिए कि दलित उनका अपना मतदाता बनेगा, या उन्हे वोट देगा.


बीजेपी के अनसूचित मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया का कहना है कि उपचुनाव से कोई भी आंकलन ठीक नहीं है क्योंकि यह स्थानीय स्तर का चुनाव है. दलित वर्ग पूरी तरह से मोदी और योगी के साथ है. घोसी उपचुनाव की बात करें तो वहां पर लोगों के बयानों और उम्मीदवार से नाराजगी थी. आजादी के बाद से बीजेपी सरकार में ही पहली बार दलितों को आगे बढ़ाने की योजनाएं बनाई गई हैं जिससे इस वर्ग को काफी लाभ मिला है. एक बार फिर पार्टी की तरफ से दलित बस्तियों में भ्रमण की शुरुआत की जा रही है. इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उनके लिए चलाई जा रही योजना के बारे अवगत कराया जायेगा. इसके अलावा भीम सम्मेलन भी आयोजित होंगे. दलित नौजवानों से संवाद का कार्यक्रम आयोजित होगा. इसमें अनसूचित वर्ग के विधायक, मंत्री और पाधिकारी भी भाग लेंगे.


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