Lok Sabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी ने इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में 400 सीटे जीतने का लक्ष्य रखा है. इस टारगेट को हासिल करने के लिए पार्टी जी तोड़ मेहनत कर रही है. साथ ही बीजेपी इस बार मुस्लिम बहुल कश्मीर में भी अपना खाता खोलने की कोशिश कर रही है. यह ही कारण है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में भाषाई पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने का फैसला किया है.


इस फैसले ने पूर्ववर्ती राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर बेग के राजनीतिक करियर को एक नया जीवन दिया है. पार्टी ने यह भी खुलासा किया है यह कश्मीर में अपनी पहली लोकसभा सीट जीतने के लिए पार्टी के प्रयास और रणनीति का हिस्सा है. गौरतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश की उधमपुर और जम्मू लोकसभा सीटें फिलहाल बीजेपी के पास हैं.


पीएम मोदी की रैली में शामिल हुए बेग
पिछले महीने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में लौटने वाले मुजफ्फर बेग ने पिछले हफ्ते जम्मू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रैली में भाग लेकर सबको हैरान कर दिया और कहा कि वह पीडीपी का हिस्सा नहीं हैं. पीडीपी के संस्थापक सदस्य का यह कदम इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि उनको मुफ्ती मोहम्मद सईद नौवीं बरसी पर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के साथ देखा गया था. उस समय, बेग ने कहा कि उन्होंने पीडीपी नहीं छोड़ी है, बल्कि वह एक्टिव नहीं हैं.


पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने किया था सस्पेंड
इससे पहले 2021 में बेग सज्जाद लोन की पीपल्स कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए थे. हालांकि, वह पार्टी में लंबे समय तक नहीं रहे और पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. माना जा रहा है कि केंद्र की ओर से पहाड़ियों को एसटी का दर्जा मिलने से बेग फायदा होगा. 


हिंदू और पहाड़ी वोटों को एकजुट करने की कोशिश
वहीं, केंद्र में सत्तारूढ़ दल कश्मीर में पहाड़ी समुदाय का समर्थन चाहता है, क्योंकि इस समुदाय का पुंछ और राजौरी में काफी प्रभाव है. इसके अलावा, बारामूला संसदीय सीट पर भी बड़ी संख्या में पहाड़ी आबादी है. पहाड़ियों को एससटी का दर्जा देकर बीजेपी कश्मीर में हिंदू और पहाड़ी वोटों को एकजुट करके यहां  लोकसभा सीट जीतने की उम्मीद कर रही है. अगर वह इसमें सफल हो जाती है तो यह उसके लिए बहुत बहुत अहम होगा.  


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