यूपी में कांग्रेस जिन 17 सीटों पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव, ज्यादातर पर 2019 में जब्त हुई थी जमानत
Lok Sabha Polls: कांग्रेस को जो 17 सीटें मिलीं हैं. इनमें से ज्यादातर सीट पर उसने 2019 के आम चुनावों के दौरान कोई खास प्रदर्शन नहीं किया था और ज्यादातर सीट पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी.
SP- Congress Alliance: कई हफ्तों की लंबी बातचीत के बाद समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन हो गया. दोनों दल अब उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ेंगे. इस अलायंस से दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता उत्साहित हैं.
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने कांग्रेस को 17 सीटें और चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (ASP) को एक सीट आवंटित की है, बाकी 62 सीटों पर सपा अपने उम्मीदवार उतारेगी. इस गठबंधन ने 2017 के विधानसभा चुनावों की याद ताजा कर दी है, जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से मुकाबला करने के लिए हाथ मिलाया था.
2019 में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशजनक
2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बना यह गठबंधन बीजेपी को चुनौती देने के लिए तैयार की गई रणनीति से ज्यादा आवश्यकता से प्रेरित प्रतीत लगता है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कांग्रेस को जो 17 सीटें मिलीं हैं. इनमें से ज्यादातर सीट पर उसने 2019 के आम चुनावों के दौरान कोई खास प्रदर्शन नहीं किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 12 सीटों पर पार्टी अपनी जमानत तक बचाने में नाकाम रही थी, जबकि बांसगांव में तो उसने अपना उम्मीदवार भी खड़ा नहीं किया था. 2019 के चुनावों में कांग्रेस ने 67 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें से 63 निर्वाचन क्षेत्रों में उसकी जमानत जब्त हो गई थी.
अमेठी से चुनाव हारे थे राहुल गांधी
कांग्रेस से एकमात्र सोनिया गांधी ही रायबरेली से जीत हासिल कर सकी थीं. वहीं, राहुल गांधी को कांग्रेस के गढ़ अमेठी में हार का समना करना पड़ा था. उन्हें बीजेपी की स्मृति ईरानी ने मात दी थी. इसके अलावा इन 17 सीटों में वाराणसी सीट भी शामिल है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र है, जबकि कांग्रेस को अपने गढ़ अमेठी से बहुत उम्मीद नहीं है.
2024 के चुनाव में कांग्रेस जिन सीटों पर चुनाव लड़ेगी उनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलदंशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया शामिल हैं.
कमजोर दिखाई देता है अलायंस
2019 में, बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 80 में से 64 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन किया था और 15 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार मायावती की बसपा अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और जयंत सिंह की आरएलडी एनडीए के साथ चली गई है. ऐसे में एसपी, कांग्रेस और एएसपी का गठबंधन 2019 के अलायंस के मुकाबले कमजोर नजर आता है.
बेशक कांग्रेस, सपा और एएसपी के बीच सीट-बंटवारे से इंडिया गठबंधन को प्रोत्साहन और ताकत देगा. हालांकि, पिछले चुनावी रिकॉर्ड को देखते हुए इससे ज्यादा उम्मीद नहीं लगती.
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