Election 2024: प्रोफेसर, IAS, फिर राजनेता, यशवंत सिन्हा बढ़ा सकते हैं BJP की मुसीबत, I.N.D.I.A से टिकट तय!
Lok Sabha Election 2024: कभी बीजेपी के तेजतर्रार नेताओं में शुमार रहे यशवंत सिन्हा ने 2009 में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था. 2021 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ली थी.
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Yashwant Sinha Political Profile: झारखंड की हजारीबाग लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. यहां से यशवंत सिन्हा I.N.D.I.A गठबंधन के उम्मीदवार हो सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी की ओर से बेटे जयंत सिन्हा का टिकट कटने के बाद यशवंत यहां से ताल ठोक सकते हैं. बताया जा रहा है कि वह बेटे के साथ हुए इस व्यवहार से काफी आहत हैं.
हालांकि अभी I.N.D.I.A गठबंधन ने आधिकारिक रूप से यशवंत सिन्हा के नाम की पुष्टि नहीं की है, लेकिन चर्चा है कि ऐसा होता है तो यहां का मुकाबला रोचक हो सकता है. कभी प्रशासनिक अफसर रहे यशवंत सिन्हा का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. आइए जानते हैं कैसे उन्होंने प्रशासनिक पद छोड़कर सियासत की गलियों में अपना लोहा मनवाया.
प्रोफेसर से आईएएस अफसर तक का सफर
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर 1937 को बिहार के नालंदा जिले के अस्थावां गांव में हुआ था. कायस्थ परिवार में जन्मे यशवंत सिन्हा ने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की औक कुछ समय तक पटना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की जिम्मेदारी निभाई. 1960 में इनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस के लिए हुआ. इन्होंने 24 साल तक यहां काम किया. अपनी नौकरी के दौरान वह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप-सचिव भी रहे. बाद में इन्हें जर्मनी दूतावास में प्रथम सचिव वाणिज्यिक के तौर पर तैनात किया गया.
अचानक नौकरी छोड़कर राजनीति में की एंट्री
यशवंत सिन्हा ने 1984 में आईएएस की नौकरी छोड़कर जनता पार्टी की सदस्यता ले ली. महज दो साल में यानी 1986 में पार्टी ने उन्हें महासचिव नियुक्त किया. 1988 में वह पहली बार राज्यसभा सदस्य चुने गए. 1989 में जब जनता दल का गठन हुआ तो वह उसमें शामिल हो गए. यहां भी उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई. 1990 से 1991 तक वह चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री भी रहे. 1996 में भारतीय जनता पार्टी में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिली और वह राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त हुए. 1998 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो वह वित्त मंत्री बने. इसके बाद उन्होंने विदेश मंत्री का पद भी संभाला, लेकिन 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2005 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा. पार्टी आलाकमान से मनमुटाव के बाद यशवंत सिन्हा ने 2009 में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. 2021 में उन्होंने टीएमसी की सदस्यता ली. विपक्षी गठबंधन ने यशवंत सिन्हा को 2022 में राष्ट्रपति का उम्मीदवार भी बनाया.
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