Lok Sabha Election 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (14 मई) वाराणसी में नामांकन दर्ज कर दिया है. नामांकन दर्ज करने से पहले पीएम मोदी ने काल भैरव के दर्शन किए और उनकी अनुमति ली. PM मोदी के नामांकन में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए. नामांकन दाखिल करने के लिए पीएम मोदी ने काल भैरव की अनुमति क्यों ली. आइए जानते हैं.
वाराणसी में काल भैरव मंदिर एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान है, जो सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है. “काशी के कोतवाल काल भैरव” को काशी (वाराणसी) शहर का संरक्षक माना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं में, काल भैरव को एक उग्र और शक्तिशाली देवता के रूप में दर्शाया गया है. ऐसा माना जाता है कि वह भगवान शिव के क्रोध का अवतार हैं और बुराई के विनाश से जुड़े हैं. कहा जाता है कि काशी के संरक्षक के रूप में, काल भैरव शहर को बुरी ताकतों से बचाते हैं और इसकी आध्यात्मिक शुद्धता बनाए रखते हैं. “काशी के कोतवाल काल भैरव” वाक्यांश का प्रयोग अक्सर उनके आशीर्वाद और सुरक्षा का आह्वान करने के लिए किया जाता है.
वाराणसी में काल भैरव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे शहर के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है. काल भैरव मंदिर के निर्माण की सही तारीख ज्ञात नहीं है, लेकिन अनुमान है कि वर्तमान संरचना 17वीं शताब्दी के मध्य में बनाई गई थी. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत के नायक पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान किया था.
काल भैरव बुरी शक्तियों के विनाश से जुड़े हैं, जो उन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में एक शक्तिशाली देवता बनाता है. भक्त बुरी ताकतों से सुरक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हुए काल भैरव को प्रार्थना और प्रसाद चढ़ाते हैं. मंदिर को आध्यात्मिक साधकों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है, जो पूजा करने और देवता से आशीर्वाद लेने आते हैं. मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और काशी खंड सहित कई प्राचीन ग्रंथों में किया गया है.
इस मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें काल भैरव की आकर्षक काले पत्थर की मूर्ति है. मंदिर दिन के 24 घंटे खुला रहता है, पुजारी निरंतर पूजा और अनुष्ठान करते हैं. यह मंदिर प्रतिदिन हजारों लाखों भक्तों को आकर्षित करता है, जिससे यह भारत के सबसे व्यस्त मंदिरों में से एक है. मंदिर अपने विशेष अनुष्ठानों और पूजाओं के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें “काल भैरव पूजा” भी शामिल है, जो आधी रात को की जाती है.